सौम्या उसको (अनिका को ) चिढ़ाते हुए कहती है — अच्छा - अच्छा ठीक है । जाओ भागो यहां से जल्दी ।
अनिका मुंह बनाकर — हां - हां जा रही हूं ।
यह कह कर अनिका वहां से अपने घर के लिए निकल गई ।
ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए और गुजरते दिनों के साथ-साथ हर्षवर्धन जी की चिंता भी बढ़ने लगी थी ।वह अब अक्सर किसी ना किसी से फोन पर बातें करते ही नजर आते थे । किसी से बात करके उनके चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आ जाती थी , तो वहीं किसी से बात करके उनका चेहरा उतर जाता था ।
सौम्या भी अब सब से बात करने लगी थी । जिससे घर में थोड़ी खुशी का माहौल बन गया था । हर्ष जी और प्रगति जी भी सौम्या के अपने प्रति बदले हुए रवैया को देखकर खुश थे । सौम्या अब सब कुछ अपने ईस्ट देव भगवान शिव के ऊपर छोड़ दी थी । अब बस वो खुद को और अपने परिवार को खुश रखना चाहती थी और देखना चाहती थी ।
हां .... लेकिन जब उसे बर्दाश्त नहीं होता तो , कभी - कभी टोका - टाकी कर देती थी शादी के तैयारियों में , 😁 जहां उसे ये लगता था कि , इस चीज की शादी में कोई जरूरत नहीं है या इतना ताम - झाम करने की , दिखावा करने जरूरत नहीं है , बस इतना ही और इसके अलावा वो कुछ नहीं बोलती थी शादी के विषय में ।
धीरे - धीरे करके कुछ और दिन भी निकल गए ।
इधर शशांक भी बहुत परेशान रहने लगा था , सौम्या के उदास चेहरे को याद कर - करके । उसे अब अपने आप पर बहुत गुस्सा आने लगा था , ये सोचकर की वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा है , सौम्या के लिए और उसके परिवार के लिए ।
एक दिन .... डिनर के टेबल पर शशांक अपने पिता जी से बोला कि , वो आदि के पास जा रहा है । उसे कुछ काम है वहां । शशांक की बात सुनकर मिस्टर सूर्यवंशी ने उसे कुछ पल तक सांवलिया नज़रों से देखा और फिर हां में अपना सर हिला दिया । मिस्टर सूर्यवंशी से स्वीकृति मिलते ही शशांक के चेहरे पर एक चमक भर आई और वो मुस्कुराते हुए अपनी मम्मी की ओर देखा । फिर जल्दी - जल्दी खा कर अपने कमरे में आया और आदित्य के पास जाने के लिए कुछ जरूरी चीज़ें पैक करने लगा ।
शशांक के पांव खुशी के मारे एक जगह नहीं रुक रहे थे । वह इतना खुश था की उसे यह समझ नहीं आ रहा था , कि वह आदि के पास जाने के लिए क्या रखे या ना रखे । कभी वह अपने बैंग के पास आता , कभी कबर्ड के पास जाता , तो कभी टेबल पर रखे फाइल्स को उलट-पलट कर देखता । जैसे - तैसे करके उसने अपनी सारी जरूरी चीजें रख लिया और फिर जल्दी से सो गया , क्योंकि उसे सुबह अपने दोस्त आदित्य के पास जाना था ।
वह बेड पर इधर से उधर करवटें बदल रहा था । लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी ... । उसकी आंखों से नींद काफी दूर थी । ऐसे ही करवटें बदलते - बदलते उसे नींद आ गई , और वो सो गया ।
मिस्टर और मिसेज सूर्यवंशी दोनों नाश्ते की टेबल पर बैठे उसका इंतजार कर रहे थे । तभी शशांक दो - दो सीढ़ियों को एक साथ पार करते हुए नीचे आ रहा था , इस समय वो बहुत हैंडसम लग रहा था , अच्छे से सेट किये हुए बाल , आँखों पे काला चश्मा , वाइट जींस के साथ बेबी पिंक टीशर्ट और ब्लू ब्लेजर पहने हुए था, एक हाथ में घड़ी और दूसरे में वो कार की चाभी को अपने उंगलियों में घुमाते हुए .... बिना मिस्टर और मिसेज सूर्यवंशी की ओर ध्यान दिये वो बाहर जा रहा था , अरे मिसेज सूर्यवंशी उसे रोकती है |
मिसेज सूर्यवंशी — अरे इतनी जल्दी में क्यों हो ? नाश्ता करके तो जाओ । इतनी जल्दी भाग रहे हो जैसे कि तुम्हारी ट्रेन छूट रही हैं । चलो जल्दी आओ और कुछ खाकर जाओ । सुबह - सुबह बिना खाएं घर से जा रहे हो .... ये अच्छी बात नहीं हैं । चलो जल्दी आओं और कुछ खा लो । फिर जाना ।
शशांक — जी ... जी ... अम्म ... आ रहा हूं , वो क्या है कि खुशी के कारण मैं भूल गया था नाश्ता करना ।
शशांक बीना मन के ही खाने के लिए बैठ गया । उसका इस समय खाने का बिल्कुल भी मन नहीं था । शशांक जल्दी से जल्दी आदि के पास जाना चाहता था ।
शशांक नाश्ता करते समय बार - बार मिस्टर सूर्यवंशी को कनखियों से देख रहा था ।
मिस्टर सूर्यवंशी ... शशांक के इन हरकतों को नोटिस कर रहे थे । उनको लग रहा था की वो उनसे कुछ छुपा रहा है , और डर रहा है कि मैं उससे वो बात पूछ ना लूँ । जिस बात को छुपा रहा है । वो कुछ सोचे और फिर शशांक से पूछे — तब कितने दिन का काम है वहां ? कब वापस यहां आना है ?
शशांक नजरे झुका कर और प्लेट में चम्मच को घुमाते हुए बोला — डैड ... ये काम होने के ऊपर डिपेंड करता है । बस काम जितना जल्दी हो जाए । मैं उतना ही जल्दी वापस आ जाऊंगा । वैसे कोशिश रहेगी कि जल्दी ही हो जाए । मैं कुछ अच्छा करने का सोच रहा हूं अपनी लाइफ में ।
मिसेज सूर्यवंशी ... शशांक के इस काम को जानती थी , इसलिए वह मुस्कुरा कर बोली — तुम्हारा काम जरूर पूरा होगा । तुम बस यह सब आराम से करना .... और हां रास्ते में भी आराम से ही जाना कोई जल्दी नहीं है । किसी रेस में नहीं जाना है तुम्हें ?
शशांक — मॉम आप ऐसे क्यों कह रही हो ? मैं तो हमेशा कोई भी काम आराम से ही करता हूं ।
मिसेज सूर्यवंशी — हां .... देखा है मैंने आज कुछ देर पहले तुम्हारा आराम से सीढ़ीयो से उतरना । कितने आराम से उतर रहे थे तुम । इतनी जल्दी में मैंने पहले तुम्हें कभी नहीं देखा ।
✍🏻क्रमश: ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★