सौम्या को देखते ही लड़का एकदम से चौक गया , तब उसके हाथ से चाय का कप गिरते - गिरते बचा था , जब से सौम्या नीचे आयी थी , तभी से वो एकटक से उसे ही देखे जा रहा था । वो इस समय यह भूल गया था की अभी उसके साथ और भी लोग हैं . . . यानी कि उसके मम्मी - पापा और सौम्या के भैया - भाभी और मां भी है . . वो तो बस सौम्या को देखने में ही बिजी था और मन ही मन खुश भी हो रहा था ।
सौम्या आते ही सबका पैर छूकर प्रणाम किया मतलब पाँचो जन को लड़के के माँ - पापा को और अपने माँ ,भैया और भाभी को भी ; क्योंकि वो बचपन से ही देखते आयी है कि उसकी ( सौम्या की )माँ जब भी किसी घर आये मेहमान को प्रणाम करती थी तो वो साथ में वहा जितने भी बड़े लोग होते थे उनका भी वो पैर छूती थी , और आज इसी दौरान वो लड़के के तरफ गई उसका पैर छूने तो लड़का ने अपना पैर जल्दी से पीछे खींच लिया और धीरे से बोला अरे - अरे आप,,, आप ये क्या कर रही हो ? इतना सुनते ही सौम्या झट से ऊपर लड़के की ओर देखती हैं क्योंकि उसे ये आवाज सूनी - सूनी सी लगी थी ,जब वो लड़का को देखी तो उसे दोबारा झटका लगता है , सौम्या ने लड़के को सांवलीयां नजरों से देखा ...? क्योंकि इस लड़के का अपने यहाँ होना वो भी उससे शादी के लिए ,,, ये उसे (सौम्या को) अविश्वसनीय लग रहा था ।
दरअसल बात ये है कि सौम्या ऊपर से आते ही सबका पैर छूने लगी थी तो उसने नोटिस ही नहीं किया कि लड़का किधर बैठा हैं . . . तो वो लड़के का पैर छूने उसके तरफ चली गयी थी ।
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अब हम अपनी कहानी की ओर चलते हैं ।
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सौम्या वही लड़का के पास खड़ी हो गयी और वो अपने आप से बोलती है . . .
सौम्या - थैंक गॉड कि यहाँ अनिका नहीं हैं,,,, आज अगर होती तो पता नहीं कितना मजाक बनाती ...इस बात को लेकर कि हम लड़के का पैर छूने गये थे ,,, कहती कि बिन शादी के ही लड़का को परमेश्वर मान लि हूँ ,,,, और भी ना जाने क्या क्या ... फिर उसने अपने आप से कहा ... चलो जो हुआ अच्छा ही हुआ है . . . हम ये बात अनिका को नहीं बतायेंगे .... अगर हम बता दिये ये बात उसे तो हम अपनी बेइज्जती खुद ही करवाये .... नो नो नो नो... ऐसा तो कभी नहीं हो सकता हैं . . . .
सौम्या को खड़ा देखकर मिसेज सूर्यवंशी जी कहती है . . . अरे बेटा तुम क्यों खड़ी हुई हो ? चलो बैठ जाओं .... और वो ये कहते हुए सौम्या के पास आयी और लड़का के बगल में बैठा देती हैं . . ।
सब लोग आपस में बात कर रहे थे और इधर सौम्या खुद से बात कर रही थी ।
सौम्या खुद से - भगवान जी ये जो मैं देख रही हूँ ... वो सच में सही है या गलत ? ... कही अनिका के बार - बार एक ही बात कहने का असर तो नहीं है ये ... जो मुझे इस बंदे में शशांक दिख रहे है . . . ये लड़की सच में किसी दिन मुझ से पिटेगी .... मै आज ही उससे बात करती हूँ और उससे कहूँगी कि मेरे सामने तु बार - बार शशांक का नाम मत लिया कर ... क्योंकि जो लड़का आज मुझे देखने आया था .. उसमें मुझे शशांक ही दिख रहे थे ।
फिर सौम्या खुद पे झल्लाती हैं और मन में बोलती है - नहीं ...नहीं ऐसे कहूंगी तो वो पता नहीं क्या - क्या सोचेंगी .. और अपने दिमाग में ना जाने कैसी - कैसी खिचड़ी पकायेगी । उसका दिमागी घोड़ा हमेशा गलत वे में ही दौड़ता है . . .😏 फिर कुछ सोचते हुए कहती हैं --- हाँ ऐसे कहना ठीक रहेगा ।
सौम्या अनिका से मन में कहती हैं --- देख अनिका अब मेरी शादी होने वाली है ,,, तो तुम बार - बार मेरे सामने शशांक का नाम मत लिया करो .. ।
फिर सोचती है कि तब अनिका मुझसे कहेगी - क्यों नहीं लूंगी मै उसका नाम ? हाँ ,,, बताओं मुझे ?
अगर नहीं बताओंगी तो मै उसका नाम लूँगी और वो भी रोज - रोज दिन में हजार बार - - - -
फिर सौम्या मन में ही अनिका को जवाब देती हैं ।
सौम्या अनिका से - इसलिए नहीं लोगी तुम अब उनका नाम क्योंकि,,, अब मेरी शादी किसी और से हो रही है . . .
क्रमश: - - - -