शशांक — मॉम आप ऐसे क्यों कह रही हो ? मैं तो हमेशा कोई भी काम आराम से ही करता हूं ।
मिसेज सूर्यवंशी — हां .... देखा है मैंने आज कुछ देर पहले तुम्हारा आराम से सीढ़ीयों से उतरना कितने आराम से उतर रहे थे तुम । इतनी जल्दी में पहले मैंने तुम्हे कभी नहीं देखा ।
कुछ देर बाद शशांक नाश्ता करके घर से निकल गया अपने दोस्त आदित्य के पास जाने के लिए ।
आदित्य जब शशांक को अपने घर देखा तो बहुत खुश हुआ । वो जल्दी से शशांक के गले लगते हुए कहा — क्यों भई आज मै कैसे याद आ गया आपको ।
शशांक — अबे गधे ... जब कोई काम होता है तभी मैं तुमको याद करता हूं क्या ? जो ऐसे पूछ रहे हैं मुझसे !
आदित्य — नहीं .... मैंने तो ऐसा नहीं कहा , लेकिन पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है अभी , कि तुम को कुछ काम है मेरे से .... तभी आये हो तुम मेरे पास इस समय ।
शशांक — ऐसा कुछ नहीं है . . .. क्या मैं नहीं आ सकता हूँ ?
आदित्य — अरे ... अरे ... आ सकते हो । इतनी सुबह कभी तुम मेरे घर नहीं आए हो ना .... तो ......
शशांक — आदि को कंधे से पकड़ते हुए सोफे पर बैठाते हुए कहता है — आदि ... यार ... मुझे तेरी मदद चाहिए । देख ... Plz मना मत करना । मुझे तेरी इस मदद की सख्त जरूरत है ।
आदि मुस्कुराते हुए कहता हैं — चल बता .... क्या करना है मुझे तेरे लिए । ऐसे सड़े हुए टमाटर के जैसे मुँह मत बना । तेरे में सूट नहीं करता है ।
शशांक — ठीक है बता रहा हूं लेकिन तुम मना मत करना ।
आदि — बता रहे हो कि नहीं तुम . . .🤨 अगर ऐसे ही करते रहे ना , तो मै तेरी मदद बिल्कुल भी नहीं करूंगा ।
शशांक — नहीं - नहीं .. बता रहा हूं - बता रहा हूं ... गुस्सा मत कर । फिर शशांक ... आदि से बोलता है कि तुम अनिका को यहा बुला लो , उसके घर चलो या कहीं और बुला लो । मुझे उसकी भी मदद चाहिए ।
आदित्य चौकते हुए ! — तुम्हें अनिका से क्या काम है ? और मैं उसे कैसे बलाऊंगा ? मेरा मतलब है क्या कह कर बुलाऊंगा ? वह तो मेरा आवाज भी सुनना पसंद नहीं करती है ? तुम पहले बताओ तो सही .... करना क्या है ? यार तुम्हें मुझे मरवाने का मन है क्या ? क्या सोचेगी .. यार मेरे बारे में ? मैं क्यों बुला रहा हूं उसे यह भी तो बताना होगा ना ? वह पूछेगी तो मैं क्या बताऊंगा ?
शशांक कुछ देर इस बारे में सोचा , फिर बोला तुम यह बोल देना कि शशांक तुमसे मिलना चाहता है । बाकी आगे का मैं संभाल लूंगा । वह मेरा नाम सुनेगी तो बिल्कुल ही मना नहीं करेगी आने से ।
आदि — ओ .. हो ... क्या बात है । चंद दिनों के मुलाकात में आप दोनों के बीच कितनी गहरी अंडस्टैंडीग हो गई है कि वो आपको मना नहीं कर सकती हैं । ये आप पूरे विश्वास के साथ कह रहे हो । तीन साल ... पूरे तीन साल हम साथ रहें .... लेकिन मजाल है कि उसने मेरे से कभी सिद्धे मुँह बात की होगी । हर समय लड़ते फिरती थी मुझसे । गुस्सा तो उसके नाक पर रहता है हमेशा ।
शशांक मुस्कुराते हुए आदि से कहता है — और तुम मुझसे बातें करने के लिए मरते थे ... है ना 😊
आदि शशांक को आंखें दिखाते हुए कहता है — ऐसा कुछ नहीं है ।
शशांक — लेकिन तुम्हारे बातों से ऐसा लग रहा है कि तुम उसे पसंद करते हो ।
आदित्य सोचते हुए — पता नहीं ... कंफ्यूज हूं ।
शशांक आदित्य से कहता हैं — तो फिर बात कर लो उससे तुम । कब तक ऐसे रहोगे आख़िर ?
आदित्य — डरता हूँ कि कही मेरी एक गलती के वजह से हमारी दोस्ती ना खत्म हो जाए ।
शशांक — अरे बात करने से ये मसला हल हो सकता हैं । तुम एक बार बात तो कर के देखो , या फिर मैं तुम्हारे हवाले से बात कर के देखु । उम्म ऽ ऽ ऽ क्या कहते हो ? करू अनिका से बात ?
आदित्य शशांक कि ये बात सुनकर सोफे से लगभग उछल कर उठते हुए कहता है — नहीं यार ... तुम ऐसा नहीं कर सकते ! अगर तुम कहोंगे तो उसे बुरा भी लग सकता है । तुम छोड़ दो , मैं कुछ कर लूंगा । अगर मेरे नसीब में होगी , तो मुझे मिल ही जाएंगी वो ।
शशांक — ठीक हैं - ठीक हैं , लेकिन ज्यादा देर नहीं लगाना अपनी फिलिंग्स को अनिका को बताने में । नहीं तो पता चलेगा कि जिस दिन तुम अपना हाल ए दिल बया करने गए उसके पास और वो तुम्हें अपनी शादी की कार्ड ना थमा दे और ये कहे कि आदि तुम उस दिन थोड़ा जल्दी आना क्योंकि तुम्हें मेरे घरवालों कि कुछ मदद करनी होगी ।
आदि शशांक से ये बात सुन कर उसे मारने लगता है और कहता है — यार शशांक तुम तो मुझे जीते जी मार दोगे ऐसी बातें करके । ऐसा बिल्कुल नहीं होने दूंगा मैं । सोच रहा हूं तुम्हारी शादी में उसे बोल दूं , क्योंकि तब हम सब ज्यादातर एक ही साथ रहेंगे ना । सौम्या मुझे और अनिका हम दोनों को ही बुलाएगी ।
फिर शशांक बोला अच्छा ठीक है तुम पहले अनिका कॉल करो और फोन मुझे दे दो । मैं उससे बात कर लूंगा ।
तब आदित्य अनिका को कॉल करके शशांक को देखता दे देता है । शशांक उसे एक रेस्टोरेंट में आने को कहता है । अनिका उसे पूछती है , लेकिन क्यों आना है ; तो शशांक कहता है की उससे सौम्या के बारे में कुछ बात करनी है । यह बात सुनकर अनिका तुरंत मान जाती है और फिर कुछ देर में वो रेस्टोरेंट पहँचती है ये कहकर कॉल कट कर देती है ।
कुछ देर बाद तीनों रेस्टोरेंट में आ जाते है और जिस काम के लिए आए होते हैं यहां ; उस पर बात करते हैं । साथ - ही - साथ शशांक .... आदि और अनिका से यह भी कहता है कि वो इस बात को किसी से भी नहीं कहेंगे । खासकर सौम्या और उसके भैया - भाभी से तो बिल्कुल भी नहीं ।
क्रमश : ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★