पहनावाएक महिला को सब्जी मंडी जाना था। उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक रिक्शा वाले ने आवाज़ दी: "कहाँ जायेंगी माता जी...?'' महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा त
यूँ ना मुझसे नजरे चुराया करो ,☺️मैं तो तुम्हारा हूँ !मुझसे शर्मानाया ना करो ।🤭यूँ तो दुनियाँ में बहुतो को देखा ,मगर तुझ सा हँसीन कहीं देखा नहीं ।🌹तू हँसे तो दिल में कलियाँ खिले जाये ,तू देखे तो दिल
कभी गुस्सा तो कभी प्यार दिखलाती है,कभी डांट तो कभी दुलार बस यही तो है,मां का प्यार सीने मै दर्द कितने हो,कभी बता नहीं पाती सहन कर लेती,हर मुश्किल पर परिवार पर आंच नहीं आने देती,पेट ख़ाली भी हो तो चहरे
माँ की दुआ...बहारों के मौसम में भी दिल में पतझड़ है,किसी ने हमें दुआएं दी तो कहीं सिर्फ तोहमतें मिली,झोली मेरी खाली थी,जिसने जो प्यार से दिया उसको हमने सर झुका के लिया,जिंदगी का सफ़र अब तो बहुत काट लि
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को महोबा में हुआ था. दुर्गावती के पिता महोबा के राजा थे. रानी दुर्गावती सुन्दर, सुशील, विनम्र, योग्य एवं साहसी लड़की थी. महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्त
करवाचौथ सुनो ना, सीमा ने प्यार से पति रवि के कंधे पर सिर रखते हुए कहा... "करवाचौथ मे सिर्फ तीन दिन रह गए है । क्या उपहार चाहिए तुम्हें । "रवि ने सीमा की बात बीच मे काटते हुए तल्खी भरी आवाज म
😘😚😍😊🌞सूरज की पहली किरण के जैसेगालों पे उसके लाली आयेजब जब वो मुझसे शरमाये🤗😚😘आँखे झुका कर और पलके उठाकर ..बात करने की उसकी वो तहजीब .. हाय !मेरा दिल बेतहाशा धड़कता जाय
कभी तो खुद ख्याल करना तू इस दुनिया से डर चिंता सबकी तू करती हैअपनी ख्वाहिशों से क्यों मुकरती हैतेरे मन अपनों के लिए फिक्र हैबस खुद सिवा होठों पे तेरेसभी का जिक्र हैतुम्हे सदा ये ही सिखाया गया हैन
एक प्यासा आदमी एक कुएं के पास गया, जहां एक जवान औरत पानी भर रही थी. उस आदमी ने औरत से थोड़ा पानी पिलाने के लिए कहा खुशी से उस औरत ने उसे पानी पिलाया। पानी पीने के बाद उस आदमी ने औरत से पूछा कि आप मुझे
सुधीर जी उस बीच दिन रात चिंता में डूबे रहते थे । अपने पति को इतना परेशान देखकर जया जी उन्हें हिम्मत देती और खुद एकांत में जाकर रोती थी । राधिका भी अपने मां - पिताजी को इतना परेशान देखकर
स्त्रियों का सम्मान करो तुम ...मत उनका अपमान करो तुम ...हक है उनका जीने का ...उनको हक से जीने दो ...करने दो उनको खुद पर गर्व ...ना दो उन्हें तुम कभी कोई दर्द ...वो करना चाहती है गर कुछ तो ...उनको वो
नारी है वो नारीहै वो ताड़न की अधिकारीदो परिवारो को एक करने वालीटूटे विश्वास को जोड़ने वालीखुले मन से हँसने वालीअपनी इच्छा को मारने वालीआँसू को छूपाने वालीदर्द में भी मुस्कुराने वालीकर्तव्य से अपने मूँ
ये जरूरी नहीं है कि हमें सिख सिर्फ विद्यालयों में शिक्षकों के द्वारा ही मिले , कई बार हमें जिंदगी में आयी मुस्किलों से भी मिल जाती हैं । &nb
अनिका दांत दिखाते हुए दोनों से बोली — 😁 तुम दोनों का तो यहीं काम हैं । दूसरे की जिंदगी में क्या चल रहा है यह पता लगाना । कभी खुद के
पार्लर गर्ल अनिका को रेडी करने लगी और सौम्या कमरे से बाहर चली आई ये देखने के लिए की नीचे क्या हो रहा है अभी ? वह ऊपर से ही पिलर के पीछे खड़ा हो कर नीचे हॉल में देख रही थी , क्योंकि सौम्या
माथे पे वो तेज ...भृकुटी तनी हुई ...आँखों में रौब ...बुलंद आवाज ...चाल मस्तानी सी ...चले जब तो लोग उसे ही देखते है ...ऐसी है वो लड़की ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
🌹चेहरा उसका चाँद का टूकड़ा हो जैसे ....🌹❤️भौवे उसकी ! हमेशा बल दिये गये हो जैसे ....❤️🌷आँख उसकी कमल के फूल हो जैसे ...🌷🧚🏻♂️नाक उसकी पतली सुतवा हो जैसे ....🧚🏻♂️🌹होठ उसके अधखिले गुलाब के फुल
सौम्या अनिका को अपने रूम में लेकर गई और उससे पूछी — आज तुम हल्दी में इतनी परेशान क्यों लग रही थी । तो अनिका उससे बोली पहले हम फ्रेश होकर आते हैं तब बात करेंगे । मुझे तुमसे सुबह मे
आज इस वक्त अनिका को ये सारी बाते एक के बाद एक याद आने लगी थी , अचानक से आदि के प्रोपज कर देने से । जो कुछ दिन पहले सौम्या ने उससे कहा था । अनिका यहीं सब सोचते - सोचते सो गई ।
अनिका — हाँ - हाँ नहीं तोड़ूंगी दोस्ती तुमसे । आखिर तुम क्या कहने वाले हो ? ..... देखों ... . . आदि तुम्हें जो भी कहना है । साफ - साफ कहों । यूं बात को घूमा - घूम