मैं बहुत खुश नसीब हूँ कि मेरे भाई - भाभी मुझसे इतना प्यार करते है । वो मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं ।
अनिका — सौम्या को रोते हुए देख कर उसे हंसाने के लिए कहती है । अ ऽ ऽ ऽ अ ऽ ऽ रोते हुए मुस्कुरा क्यों रही हो ? आंखों में आंसू , होठो पे मुस्कान • • • हैं क्या कोई इसका भी राज ! यह कहते हुए वो सौम्या के पास गई और उसके आस - पास सुंघते हुए बोली — हई ... और राज मुझे पता चल गया ।
सौम्या ( हंसते हुए उसको कहती है ) — चल हट यहां से नौटंकी •••• सुंघ कर पता लगा रही है कि क्या राज है ? तुम क्या कोई कुत्ता हो .... ? जो सुंघ कर पता लगा लेती हो ।
आनिका —सिर्फ कुत्ते ही सुंघ कर राज का पता नहीं लगाते हैं . . . , अनिका भी सुंघ कर पता लगाती है ।
सौम्या —तो फिर बताओ कि क्या राज है ?
अनिका — ओ ऽ ऽ हो ऽ ऽ बड़ी जल्दी है भाई ... तुम्हें राज जानने को | फिर नाक और मुँह को सिकुड़ते हुए बोलती है , , चलो वेट नहीं कर आऊंगी तुम्हें ...बता ही देती हूं ।
सौम्या — अरे बताओ भी या ऐसे ही बोल दिया था तुने ।
अनिका —अनिका हवा में नहीं बोलती है । सुनो मैं तुम्हें बताती हूं क्यों राज क्या है ? फिर उसने अपने दोनों आंखों को सिकुड़ते हुए उसके थोड़ा पास आकर बोलती है — लड़की वो राज हमारे होने वाले जीजू हैं . . . . मतलब तुम्हारे मुस्कुराने का राज .... तुम्हारे प्यारे शशांक हैं । प्यार की खुशबु अनिका के नाक में बहुत जल्दी पहुंचती है । चाहे वो प्यार कैसा भी क्यों ना हो ?
सौम्या ( अपना आइब्रो टेढ़ा करते हुए बोली ) — चल बड़ी आई ... राज पता लगाने वाली , तू फेल हो गई है ।
अनिका ( मुस्कुराते हुए अपने कंधे को उचका कर और अपने होठ को थोड़ा नीचे की लटका कर बोली ) — हां ••• फेल तो होना ही था , मैं क्या कोई कुत्ता हूं ... जो सुंघ कर पता लगा लूंगी । मैं तो तुम्हें सिर्फ हंसाना चाहती थी । जिसमें मैं कामयाब हो गई ।
फिर अनिका थोड़ा संजीदा होकर बोली — वैसे तुम्हें रोते हुए देखना मुझे अच्छा नहीं लगता है । तुम्हारे आँखों में आँसू आये ये मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं और अनिका यह बात कहकर सौम्या की दोनों गल खींच ली ।
सौम्या हँसते हुए अनिका से कहती है — ओह ऐसा है क्या मेरी जान ... चलो तब तो ठीक हैं , वाह ... मुझे चाहने वालों की संख्या अब तो धीरे - धीरे बढ़ते जा रही हैं । सौम्या एक लम्बी सांस लेकर अनिका से बोली — अब तो मुझे शर्म आने लगी है ।
अनिका — वो क्यों ?
सौम्या — तेरे मुंह से इतनी गहरी और समझदारी भरी बातें सुनकर । सच में तुम कभी - कभी दादी अम्माओं की तरह बात करती हो । लेकिन तुम्हें मै ढेर सारा थैंक्यू बोलना चाहती हूं , अगर तू आज मुझे यह सब नहीं बताती तो मैं शायद आज भी भैया - भाभी से बात नहीं करती । अब मैं उनके साथ में अच्छा से रहूंगी , जो होगा वह हम देख लेंगे | होनी को कोई नहीं टाल सकता ।
अब मैं बिल्कुल पहले की तरह रहूंगी सबसे अच्छे से बातें करूंगी ।
अनिका उसे रोकते हुए — अरे ....अरे .... रुको भी अब । मेरी भी तो सुन लो , कब से तुम अपनी सुनाई जा रही हो ।
सौम्या — चलो फेको अब अपना ।
अनिका — क्या मतलब है कि चलो फेको अब अपना ? अनिका ने अपना मुँह टेढ़ा करते हुए कहा । तुम्हें क्या लगता है मैं फेंकती हूं ।
सौम्या — दोनों हाथों को जोड़ते हुए _ नहीं - नहीं मेरी मां .... तुम सुनाओ अपना ।
अनिका — हां ... ये हुई ना बात । चलो मैं फिर सुनाती हूँ तुम्हें ।
फिर सौम्या से अनिका कहती है — वह तो मैं समझदारी वाली बातें पैदा होते ही करने लगी थी , लेकिन कोई समझदार होगा , तब ना मेरी बातों को समझेगा , लेकिन चलो आज बरसों बाद मेरे मन की मुराद पूरी हुई है । मुझे कोई समझदार इंसान आज मिला है |
सौम्या — अ ऽ ऽ ऽ अ ऽ ऽ ऽ कौन है वो इंसान ? हम्म ऽ ऽ ऽ
अनिका — तुम और कौन हो सकता है ।
सौम्या — अरे ! नहीं - नहीं मेरे पीछे कोई है , तुम भले ही मेरा नाम ले रही हो , लेकिन है कोई और ही । वह समझदार इंसान कौन खुशनसीब है । मुझे बताओ जरा , , क्या मुझे पता है ? मै जानती हूँ उसे ?
फिर सौम्या कुछ रुक कर खुद ही बोलती है — शायद खुशनसीब इंसान आदित्य है तुम्हारे कॉलेज का दोस्त । उम्म ... है ना वही । पूरे विश्वास के साथ तो नहीं कह सकती हूं , लेकिन मुझे लगता है कि वही है वह खुशनसीब इंसान । मुझे तो ऐसा ही लग रहा है ।
अनिका बेफिक्री के साथ हंसते हुए कहती है — हा ऽ ऽ ऽ हा ऽ ऽ ऽ हा ऽऽऽ वह और समझदार इंसान ! हो ही नहीं सकता है । कॉलेज में तो हम कभी सीधे मुंह बात करें ही नहीं है । जब कि 3 साल तक साथ रहे हैं और तुमने तो देखा ही होगा राजगीर में , कैसे वह मेरे से लड़ता रहता था और तुम्हारे साथ हंस - हंस के बातें किया करता था ।
सौम्या — यही तो प्यार होने का लक्षण होता है ।
अनिका — अ ... ह ... क्या शशांक तुमसे लड़ाई किया है कभी बताओं ? उसने तो कभी ऊंची आवाज में बात ही नहीं की होगी तुमसे ।
क्रमशः ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★