स्वच्छता अभियान चलायें
कोरोना का प्रोटोकॉल अपना प्रदुषण को बाई- बाई।
स्वच्छता अभियान की श्रिंखला फिरसे चमकी भाई।।
दिव्यांग धरा हो रही अब तो घरवालों चेतो।
सूख रहे अश्रु धराधाम के, अब कुछ सोंचो।।
पर्यावरण पर एक सुन्दर गीत गा कर सुनाता हूँ।
धरा पर रहने वाला हूँ- कुछ आज गुनगुनाता हूँ।।
कभी पँक्षी प्यार के संदेश वाहक बनतेे हैं।
आज वो ही प्यारों का निवाला नित बनते हैं।।
कभी पँक्षी देवी-देवताओं का वाहन होते हैं।
जंगल काट-काट कर अब, नगर बसाए जाते हैं।।
गिद्ध शेष हुए तेजी से धरती पर,
प्रदुषण की चिंता नहीं करता है।
ताल-तलइया पाट, शारदे वाहन
निरीह हँस को रुलाया जाता है।।
पशु-पँक्षियों से प्यार नहीं तो बंदे,
मानवता को कैसे अपनायेंगे।
मानवता को कैसे अपनायेंगे।।
शिव-कृष्ण-येशु के पशु प्रेम पर
प्रश्न चिन्ह लगाए जाएंगें।
आने वाली है तीसरी लहर,
कहर कैसे? सलटायेंगे।।
आओ समय है यथेष्ट घर में रह,
घर और पड़ोस को स्वच्छ बनायें।
नप के सहायक बन कचरा हटायेंगे।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल