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थ्रिलर

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यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं ।  20 सितंबर 2015 को रात के 8.45 हो रहे थे । शर्मा दंपत्ति खाना खाकर अपने घर की छत पर टहल रहे थे । अचानक गोलियां चलने की आवाजें सुन

बात बहुत पुरानी हो गयी है ठीक से याद नही पर मै इतना जानता हूं वो मंजर अगर मै आज भी याद करता हूं तो मेरी रुह कांप जाती है।अब मै एक रिटायर्ड अधिकारी हूं उम्र के साठ बसंत पार करके पैसठवें मे चल रहा हूं भ

 ये कहानी उस दौर की है जब दुनिया पूरी तरहा से तहस नहस हो गई थी। दुनिया मे प्रलय आने के लिए कोई भी दैवी शक्ति जिम्मेदार नहीं थी। ये तो हमारी ही भूख बहोत बढ गई थी, और चाहिए, और चाहिए की भ

 बारिश हो रही थी बहोत तेज बारिश। वो बरसात की रात थी। शहर से बाहर दूर एक खेत मे सुनील राधा के साथ गया था। सुनील अपने गाव मे कॉलेज की छुट्टीया मनाने आया था। और फिर वो राधा से मिला। र

प्यार और मोहब्बत के बीच में सारे अंतर सही होते है मगर एक अंतर ही बीच में गलत होता है और वो होता है धोका प्यार जब तक सही होता है तबतक सही है मगर जब प्यार और मोहब्बत के बीच मैं धोका आ जाता है तो एक

मेरी रीढ़ अब तक दर्द में थी। मैं अपने पैरों पर सीधी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। वहाॅ किसी ने भी मुझे किसी तरह की दवा नहीं दी। दर्द से तड़पना ही एकमात्र विकल्प बचा था मेरे पास। लगभग एक दिन न तो रिहान और

अब सारा माहौल ड़र की चादर ओढ़े खामोष होकर दुबका हुआ था। उस रोज वह कुछ घण्टे बड़े थका देने वाले थे मेरे लिए। बाकि बंधक बड़ी-बड़ी आॅखों से मुझे तक रहीं थीं, मानों कह रहीं हो कि अब हो गयी तसल्ली? मैं अपन

“याद नहीं।” उसने जवाब दिया  “शायद पंद्रह दिन, या उससे भी ज्यादा।” अन्य महिलाओं में से एक ने वहीं कोने से जवाब दिया। “हमारे पास दिनों की गिनती करने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने हमारा सब कुछ ले लिया। ”

मेरी धड़कनें खुद मुझे भी सुनायी दे रहीं थीं। मैं महसूस कर सकती थी कि मेरा दिल मेरी छाती के पिंजर पर जोर से टकरा रहा है लेकिन उस रोषनी में मुझे जो दिखा उसने मुझे थोड़ी तस्सली दी। मुझे यह देखकर ताजुब्ब

वह आदमी दुकान तक गया और मेरा थैला उठा लाया। उसने इसे मेरे चेहरे पर फेंक दिया और मेरे जाने का इंतजार करने लगा। मैंने एक बार दुकान पर नजर डाली। मुझे उस गरीब दुकानदार की चिंता थी, जो हर गुजरते पल के साथ

गर्म पानी के स्नान के बाद मैं हमाम से बाहर आयी। अपने कमरे में आकर मैनें खिडकी के पर्दे उठाए। कोहरे ने मेरी खिड़की के सभी शीषों को धुंधला कर दिया था। मैं उनके पार नहीं देख सकती थी। बाहर का मौसम सर्द है

मेरी आॅखें उस वक्त भी आसूॅओं से भर गयीं। मीनाक्षी ने मेरी ओर देखा। हम दोनों को पता था कि हम दोनों एक ही घटना के बारे में सोच रहे थे। अजान की आवाज खामोष हुई। “क्या यह तुम्हें अब भी ड़रा देता है?” उसने

यह कहानी पाकिस्तान की एक सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए हैं ।  सुलेमान काम से लौटा ही था कि हाथ मुंह धोने चला गया । उसकी पत्नी फरीदा ने उसका खाना लगा दिया था । वह खाना खाने बैठ ग

अब तक आपने पढ़ा के कैसे मंदार ने सार्थक का शरीर पाकर कितनी हत्याएं कर दी थी कैसे वो बाड़े को पाने के लिए सार्थक के शरीर का शैतान की तरह फायदा उठा रहा था। इधर पल्लवी उसे इस मुसीबत से निजात दिलाने के लिए

अब तक कहानी में आपने पढ़ा के किस तरह से, सार्थक में घुसे मंदार ने मौत का खेल खेला, किस तरह से उसने चार लोगो की हत्या कर दी इसे हत्या नहीं दरिंदगी कहना ठीक होगा वो तो उन मासूम लोगो को जिनको यह भी जान का

अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक घर से बहार निकल जाता है।  कैसे उसके अंदर मंदार सूबेदार की आत्मा कब्ज़ा कर लेती है। और यह सब वो उस बाड़े को पाने के लिए कर रहा है। क्या राज़ छिपा था, उस बाड़े में क्यों वो पूर

अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक मै कोई आत्मा आ जाती है और उस को परेशान करती है और उधर सरिता को कैसे वो आईने वाली औरत परेशान करने लगती है अब आगे पर आगे बढ़ने से पहिले आप सभी से अनुरोध के आज से इस कहान

अब तक आपने पढ़ा के कैसे अमन ने अपनी माँ के साथ मज़ाक किया, कैसे अमन को अपनी माँ से डांट खानी पड़ी।  उधर सार्थक के सामने पूरे बाड़े का परिवार एक साथ खड़ा था।  अब क्या होगा क्या सार्थक और बाड़े मै रह रहा एलेक

अब तक आपने पढ़ा के सरिता और एलेक्स ने वो बाड़ा भोजवानी से खरीद लिया और वो वहां शिफ्ट भी कर गए वहां  सामान लगा रहे थे। इधर सार्थक को कुछ आवाज़े आ रही थी अब इस कहानी मोड़ लेने ही वाली थी कहानी अब दिलचस्प

कहानी अब आगे और भी रोमांचक होती जा रही है क्या आपको भी यही लगता है ,अगर हाँ तो आप लोग प्लीज रेटिंग्स जरूर दें। कहानी अब असल डर की और चल दी है जैसा अपने पढ़ा के यहाँ भोजवानी ने इस बाड़े को बेचने के बाद

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