🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️
*‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️*
🚩 *सनातन परिवार* 🚩
*की प्रस्तुति*
🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼
🌹 *भाग - उनसठवाँ* 🌹
🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧
*गताँक से आगे :---*
*रे कंदर्प करं कदर्थयसि किं कोदण्डटंकारितैः !*
*रे रे कोकिल कोमलैः किं त्वं वृथाजल्पसि !!*
*मुग्धे स्निग्धविदग्धमुग्धमधुरैर्लोलैः कटाक्षैरलं !*
*चेतश्चुम्बितचन्द्रचूड़चरणध्यानमृतं वर्त्तते !! ९६ !!*
*अर्थात्:-* हे कामदेव ! तू धनुष्टङ्कार सुनाने के लिए क्यों बारबार हाथ उठाता है ? हे कोकिला ! तू मीठी-मीठी सुहावनी आवाज़ में क्यों कुहू-कुहू करती है ? ए मूर्ख स्त्री ! तू अपने मनोमोहक मधुर कटाक्ष मुझ पर क्यों चलाती है ? अब तुम मेरा कुछ नहीं कर सकते; क्योंकि अब मेरे चित्त ने शिव के चरण चूमकर अमृत पी लिया है |
*अपना भाव:--*
इस संसार के कर्ता - धर्ता ब्रह्म एवं उनकी दासी माया के आश्रय से ही यह संसार चल रहा है | मनुष्य के लिए ब्रह्म एवं माया दोनों ही आनन्द प्रदायक हैं ! परंतु दोनों के आनन्द में विशेष अन्तर है ! *ब्रह्मानन्द की प्राप्ति हो जाने के बाद कुछ भी प्राप्त करना शेष नहीं रह जाता जबकि मायाजनित आनन्द क्षणिक तो होता ही है साथ ही वह सदैव अतृप्त ही रहता है !* मनुष्य माया के अनुचरों ( काम - क्रोधादि ) के वशीभूत होकर ब्रह्म की ओर उन्मुख हो ही नहीं पाता जबकि यह सत्य है कि *जब तक मनुष्य का मन ब्रह्मानन्द का आनन्द नहीं जानता, जब तक वह परमात्मा के चरणों में ध्यान लगा कर अमृत नहीं पीता, तभी तक कामदेव का ज़ोर चलता है, तभी तक कोकिला का पञ्चम स्वर उसके दिल में खलबली पैदा करता है, तभी तक स्त्री के कटाक्ष-बाण उस पर असर करते हैं !* इन सबसे बचने का सबसे सरल उपाय है ब्रह्म में मन को लगाना क्योंकि *कामारि शिव से प्रीति होने पर ये सब कुछ नहीं कर सकते |* भगवान् शिव और कामदेव में वैर है | *अतः शिवभक्तों पर कामदेव अपने अस्त्र अपने अस्त्र नहीं चला सकता |*
*सारांश:--*
*अरे काम वेकाम, धनुष टंकारत तर्जत !*
*तू हू कोकिल व्यर्थ बोल, काहे को गरजत !!*
*तैसे ही तू नारि वृथा ही करत कटाक्षै !*
*मोहि न उपजै मोह, छोह सब रहिगे पाछै !!*
*चित चन्द्रचूड़चरण को, ध्यान अमृत बरषत हिते !*
*आनन्द अखण्डानन्द को, ताहि अमृत सुख क्यों हिते !!*
*×××××××××××××××××××××××××े×××××××××*
*!! भर्तृहरि विरचित "वैराग्य शतकम्" एकोनषष्टितम् भाग: !!*
*शेष अगले भाग में:--*
🌸🌳🌸🌳🌸🌳🌸🌳🌸🌳🌸🌳
आचार्य अर्जुन तिवारी
प्रवक्ता
श्रीमद्भागवत/श्रीरामकथा
संरक्षक
संकटमोचन हनुमानमंदिर
बड़ागाँव श्रीअयोध्याजी
(उत्तर-प्रदेश)
9935328830
🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟