मित्रों पिछले भागों में हमने देखा कि कैसे खुदा का वचन सुनने से और खुदा के खादिमों का आदर करने से और वह जो वचन सुनाते हैं उनको ध्यान से सुनने से परमेश्वर कैसे हमें आशीषित करता है यह हम कई उदाहरणों में देख चुके हैं!
आज हम राजा दाऊद के विषय में देखेंगे जो परमेश्वर के साथ ईमानदार था वफादार था और वह हमेशा जब भी कोई काम करता था तो परमेश्वर के वचन को सुनकर करता था जब तक परमेश्वर उसे कोई बात ना बताएं वह कोई काम नहीं करता था इसीलिए दाऊद अपने पूरे जीवन भर आशीषित रहा है बीच में उससे गलतियां हुई लेकिन उस गलतियों मे भी उसने अपनी गलतियों को माना पश्चाताप किया और परमेश्वर ने उसे फिर से धर्मी ठहराया और आशीषित किया!
(2 शमूएल 12:1-15)
मित्रों परमेश्वर दाऊद से प्रीति रखता था और दाऊद भी परमेश्वर से प्रीति रखता था इसलिए परमेश्वर अपने भक्तजन पर हमेशा नजर बनाकर रखता है और जो परमेश्वर से ज्यादा प्रेम करता है शैतान भी उसके जीवन में उतना ही पीछे पड़ जाता है और इसीलिए जब शैतान ने दाऊद के द्वारा व्यभिचार करवाया तो दाऊद पाप में गिर गया और क्योंकि वह राजा था इसलिए उसे अपने पाप का बोध नहीं था लेकिन परमेश्वर की नजर दाऊद के ऊपर थी क्योंकि परमेश्वर उससे प्रेम करता था और इसलिए परमेश्वर नहीं चाहता था कि दाऊद शैतान के जाल में फंस जाए और सदा के लिए नरक में जाए इसलिए परमेश्वर अपने लोगों की सुधि लेता है इसलिए परमेश्वर ने अपने नबी नातान को दाऊद के पास भेजा जाकर उसे स्मरण दिला कि उसने आधर्म का काम किया है!
मित्रों नातान नबी एक साधारण व्यक्ति था कोई धनवान नहीं और वह खुदा का भक्त था इसलिए दाऊद उसका आदर करता था जबकि दाऊद एक राजा था और राजा को उसके पाप के विषय में कहना किसी के बस की बात नहीं थी लेकिन यहां नातान नबी जो परमेश्वर का भक्त है उसके अंदर किसी व्यक्ति विशेष का डर और भय नहीं है डर और भय अगर है तो केवल परमेश्वर का इसलिए परमेश्वर ने जो उसे खरी बात बताई दाऊद को कहने के लिए वाह खरी बात उसने दाऊद के भवन में भरे दरबार में जाकर दाऊद को कह सुनाई और दाऊद का मन देखिए कि दाऊद को परमेश्वर के नबी का भय था और यही बात परमेश्वर को आज भी अच्छी लगती है जो भी कलीसिया के लोग परमेश्वर के भय में और अपने पास बानो के साथ ईमानदार रहते हैं उनके भय में चलते हैं उनका आदर करते हैं परमेश्वर उनका आदर करता है और इसीलिए जब नबी ने दाऊद को उसके व्याभिचार के बारे में स्मरण दिलाया तो तुरंत उस ने भरी सभा में अपने पाप को मान लिया और पश्चाताप करने लगा और यही बात परमेश्वर को भली लगी और परमेश्वर ने उसे दोबारा फिर से उठाकर राजगद्दी पर बैठाया!
(नीतिवचन 28:13)
जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जाये!
दाऊद राजा को परमेश्वर के नबी का भय था इसलिए उसने उसकी बात को ध्यान से सुना अगर वह अपने राजा होने पर घमंड करता और उसके वचन को ध्यान से ना सुनता तो वचन कहता है कि जो अपने अपराध छुपा रखता है वह कभी सफल नहीं हो पाता परंतु जो उसे मान लेता है और छोड़ देता है उस पर दया की जाती है और दाऊद ने वचन को सुना और माना और यही वचन उसके छुटकारे का कारण बन गया और वह सफल हो गया !
लेकिन आज कितने ही हमारे भाई बहन हैं जो प्रतिदिन अपराध कर रहे हैं और मसीह का गुणगान भी कर रहे हैं लेकिन अपने अपराधों को न मानते हैं ना छोड़ते हैं और मैं और घमंड में रहते हैं कि मैं बड़ा यह तुम बड़े हम इसी में आज जीते हैं!
भूल जाते हैं कि मसीह हमारा सिर है और हम मसीह की देह हैं और देह के सारे अंग एक समान होते हैं कार्य उनका भले ही अलग-अलग हो और यदि अंग ही आपस में लड़ने लगे तो सिर कहां रहा!
आज कोई किसी के सुनना नहीं चाहता और इसीलिए हमारे जीवन में आज आशीषे कम और श्राप ज्यादा आ रहे हैं क्योंकि हम अपने पुरानियों की सुनना नहीं चाहते!
एक्टर क्या कह रहा है क्रिकेटर क्या कह रहा है इंस्टाग्राम क्या कह रहा है टेलीग्राम क्या कह रहा है हीरोइन क्या कह रही है इनमें ज्यादा ध्यान देते हैं और ज्यादा ध्यान से सुनते हैं इसीलिए हमारा जीवन बर्बाद हो रहा है यदि हम खुदा के खादिमों के वचन को ध्यान से सुने खुदा के आवाज को ध्यान से सुने तो आज हम और हमारा घराना उद्धार पा जाए!
प्रभु आप सबको आशीष दे!