(प्रेरितो के काम 16:11-13)(प्रेरितो के काम 16:11-13)
जी हां मित्रों पिछले भाग में मैंने आपको बताया जो लोग परमेश्वर का वचन ध्यान से सुनते हैं और संगति रखते हैं और परमेश्वर के सेवको का आदर करते हैं परमेश्वर उनके लिए आशीषों के द्वार खोल देता है और उनकी प्रार्थना सुनता है लुदिया नाम की स्त्री के बारे में देखा कि कैसे वह वचन को सुनती थी और सुनने के बाद उसने संगति की और प्रभु के प्रेरित पौलुस को अपने घर में रहने के लिए आमंत्रित किया कि वह उसके साथ रहे ताकि उससे और वह वचन को सीखे और आशीषें पाए!
आपको भी प्रभु की आशीषें चाहिए तो आप भी प्रभु के सेवकों के साथ संगति करना सीखे उनका आदर करना सीखे आज लोग परमेश्वर के सेवकों का आदर करना छोड़ रहे हैं कारण हैं गलत शिक्षा जो कुछ प्रचारको के द्वारा दी जा रही है कि हम सीधे यीशु मसीह से प्रार्थना करें बाइबल पढ़े और परमेश्वर आपकी सुनेगा जी नहीं मित्रों ऐसा नहीं होता है सेवकाई दो तरह की होती है कुछ सेवकों को स्वतंत्र बुलाया गया है और कुछ को दास के रूप में बुलाया गया है!
स्वतंत्र प्रभु के सेवक वे होते हैं जिनको करोड़ों करोड़ों के बीच में प्रभु चुनता है और सीधे उनसे बात करता है जो कि वह दिल के और मन के अच्छे होते हैं जैसे उसने पौलुस को चुना!
और दास के रूप में प्रभु उन सेवको को चुनता है जो अपने पासबानो की अधीनता में ईमानदारी से रहते हैं आज्ञाकारीता में रहते हैं और उनका अगुवा ही उनको अभिषेक करता है जैसे मूसा ने यहोशू का अभिषेक किया था क्योंकि यहोशू मूसा के साथ रहता था आज्ञाकारीता में ईमानदारी में और प्रार्थना उसका जीवन अच्छा था!
इसलिए उसको मूसा ने चुना था आज भी इसी तरह जब तक प्रभु के दास आपको ना चुने और आपका अभिषेक ना करें आप कितना भी सेवकाई कर लो वह आशीषित नहीं हो पाएगी लेकिन जो प्रभु की ओर से सीधे चुना गया स्वतंत्र है उसकी सीधे परमेश्वर सुनता और वह करोड़ों में कहीं एक आध होता है!
क्यों प्रभु के चुने हुए सेवकों के द्वारा आशीषें मिलती हैं क्योंकि परमेश्वर ने कहा तुम मेरा मंदिर हो और मैं तुममे चला फिरा करुगा और वाश करूंगा!
(1कुरिन्थियों 3:16)
आज कुछ प्रभु के सेवक ऐसे हैं जो अपने शरीर रूपी मंदिर को पवित्र रखते हैं और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलते हैं और नम्र व दीन होते हैं इसीलिए परमेश्वर उनकी प्रार्थना को सुनता है और उनके द्वारा वह अपनी प्रजा के लोगों को आशीष देता है कलीसिया के लोगों को आशीष देता है
जैसे मूसा ,एल्लियाह,पौलूस, पतरस एलीशा इत्यादि,!
आज के समय की प्रभु के सेवकाई में प्रभु के सेवकों के मंदिर पवित्र नहीं है इसीलिए उनकी सेवकाइयों पर आशीषें नहीं है उनके साथ संगति करने में कलीसिया के लोगों को आशीषें नहीं मिलती हैं !
इसलिए आज विश्वासियों को यह देखना चाहिए कि हम जिस खुदा के खादिम के साथ संगति कर रहे हैं क्या उसका जीवन चरित्र अच्छा है क्या उसका जीवन इमानदारी से भरा हुआ है क्या वह पवित्र जीवन जीता है अगर ऐसा नहीं है तो उसके साथ संगति करने में आपको न तो कोई आशीष मिलेगी और ना तो आपका भला होगा क्योंकि ऐसे व्यक्तियों के अंदर दुष्ट आत्माएं रहती हैं और जो खुदा के खादिम के अंदर होगा वही कलीसिया के अंदर भी आएगा!
इसीलिए आज बहुत से विश्वासी ठोकर खा रहे हैं और अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं और छूट नहीं पा रहे हैं क्योंकि ना तो सही शिक्षा उनके पास है ना सही खादिम उनके पास हैं ना सही संगति उनके पास है!
प्रभु ने संगति के ऊपर विशेष ध्यान देने को कहा था!
(इब्रानियों 10:25)
जैसे-जैसे उन दिनों को आते देखना और ज्यादा संगति किया करना!
आज के समय के कठिन दिनों के बारे में पहले ही हमें आगाह किया था कि जैसे-जैसे उन कठिन दिनों को आते देखना और ज्यादा संगति किया करना लेकिन किस की संगति ऐसे खुदा के खादिमो की जिनका जीवन पवित्र हो जिनकी खुदा सुनता हो वही है जो कलीसिया के लोगों को छुड़ा सकते है!
जैसे इजराइली जब मिश्र मे गुलाम थे तो परमेश्वर ने मूसा को भेजा था कि तुम जाओ मेरी प्रजा के लोगों को छुड़ाकर लाओ और परमेश्वर केवल मूसा की सुनता था जबकि उनके बीच में 70 पास्टर और पुरानिये बहुत सारे थे लेकिन परमेश्वर मूसा की ही सुनता था क्योंकि मूसा मन में नम्र व दीन था और पवित्र जीवन जीता था!
इसलिए मित्रों खुदा के खादिमों का आदर करें और जब वह आपको वचन सिखाएं तो बड़े ध्यान से सुने भले ही आपको अगर वह समझ में नहीं आता तो आप उनसे 10 बार पूछे 20 बार पूछे क्योंकि नए-नए विश वासियों को जल्दी गहराई के वचन समझ में नहीं आते इसलिए वह कान खुजाते हैं इधर-उधर ताकते हैं लेकिन याद रहे आपके ऊपर परमेश्वर की नजर है आप यदि परमेश्वर के वचन को ध्यान से नहीं सुनते हो संगति नहीं करते हो तो आप परमेश्वर से आशीषेन नहीं प्राप्त कर पाओगे!
प्रभु आप सबको आशीष दे!