हे कपटी शास्त्री और फरीसियों तुम पर हाय तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिए सारे जल और थल में फिरते हो और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूर ना नारकिय बना देते हो!
हे कपटी शास्त्री और फरीसियों तुम पर हाय तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिए सारे जल और थल में फिरते हो और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूर ना नारकिय बना देते हो! हे कपटी शास्त्री और फरीसियों तुम पर हाय तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिए सारे जल और थल में फिरते हो और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूर ना नारकिय बना देते हो!
(मत्ती 23:15)
तीन प्रकार के लोग होते हैं एक धर्मी, दूसरा पापी, तीसरा कपटी, यीशु को धर्मी पसंद है, यीशु को पापी भी पसंद है क्योंकि वह पापियों के लिए इस संसार आया!
(मरकुस 2:17 )
लेकिन उसको कपटी बिल्कुल पसंद नहीं वह उनसे नफरत करता है उनके खिलाफ उसने
मत्ती का पूरा 23 अध्याय लिखा है कपटी को मक्कार और ढोंगी भी कहते हैं या वह लोग होते हैं जो कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं ऐसे लोग अपने को धर्मी कहते हैं परंतु हकीकत में वह पापी होते हैं वह कहते कि हम आत्मिक है और हम परमेश्वर को
जानते परंतु अपने कामों से उसका इनकार करते हैं!
( तितुस 1:16)
मित्रों क्या आप जानते हो क्या किसी विश्वासी का जीवन भी नरकीय हो सकता है जी हां मित्रों बिल्कुल हो सकता है हो सकता आप सांसारिक जीवन में पहले बहुत अच्छे रह रहे हो आराम से रह रहे हो लेकिन प्रभु में आने के बाद आपका जीवन दुगना नरकीय बन गया हो आपकी खुशियां चली गई हो इसका कारण यीशु मसीह नहीं है यीशु मसीह तो हमें अनंत जीवन देने आया है स्वर्गीय जीवन देने आए हैं खुशियां देने आया है शांति देने आया है लेकिन जैसा कि वचन कहता है शास्त्री और फरीसी जिनको यीशु मसीह ने ढोंगी कपटी व मक्कार कहां इन्हीं लोगों की वजह से एक विश्वासी का जीवन नरकीय बन जाता है क्योंकि यह यीशु मसीह की सही शिक्षाओं को ना बता कर यह अपनी शिक्षा को बताते हैं और इसीलिए वचन कहता है तुम एक लोगो को मत में लाने के लिए विश्वासी बनाने के लिए जल थल में फिरा करते हो उनका जीवन नरकीय बना दो यह उनका जीवन कैसे नरकीए बनाते हैं यह आज हम सीखेंगे!
वर्तमान समय में दो तरह की सेवकाई चल रही है!
1- खरी शिक्षा सीधी बात नो बकवास अनंत जीवन!
2- लालच की शिक्षा स्वार्थ लोभ मोह भरमार्ने वाली शिक्षा नारकीय जीवन!
यीशु मसीह की सेवकाई शिक्षा
यीशु मसीह जब भी कभी प्रचार करने जाते थे तो वह लोगों को चंगा करते थे दुष्ट आत्मा को निकालते थे परमेश्वर का वचन बताते थे लेकिन वह खरा वचन बताते थे वह अनंत जीवन की बात बताते थे परमेश्वर के राज्य की बात बताते थे और क्रूस उठाने की बात बताते थे यानी दुख उठाओ और इसीलिए यीशु मसीह ने कहा जो कोई मेरा चेला बनना चाहे वह अपना क्रूस उठाएं अपने मां बाप भाई बहन इस सबसे बढ़कर अगर वह मुझसे प्रेम नहीं करता तो वह मेरा चेला नहीं बन सकता और इसीलिए यीशु मसीह ने जब चेलों को चुना तो उसने सारी रात प्रार्थना की और फिर 12 चेलों को चुना वह भीड़ में कभी किसी को नहीं कहता था मेरे पीछे हो लो!
परंतु वर्तमान समय के शास्त्री फरिसी पास्टर बनकर बैठे हैं वह जरूर कहते हैं कि मेरे चर्च में आ जाओ मेरे पीछे हो लो मेरे चर्च के मेंबर बन जाओ और आशीष पाओ
प्रभु तुम्हें नौकरी देगा ,पैसा देगा, घर देगा, बंगला देगा, गाड़ी देगा, तुम्हारी सारी समस्याएं जाती रहेंगी दुख तकलीफ जाती रहेंगी इस तरह की भरमाने वाली शिक्षाओं के द्वारा वह एक विश्वासी को अपने मत मे लाते हैं और विश्वासी बना देते हैं!
चाहे उस विश्वासी का छुटकारा हुआ हो या ना हुआ हो चाहे उसने मन फिराया हो या ना फिराया हो लेकिन वह चर्च में सदस्य जरूर बना रहे चाहे वह परमेश्वर के राज्य में सदस्य बन पाया ना बन पाए!
मैं यह नहीं कहता कि परमेश्वर यह सब आशीषें आपको नहीं देता है परमेश्वर आपको आशीष देता है परंतु जब आप मन फिरा लेते हैं और परमेश्वर के वचन के अनुसार अपने जीवन को जीते हैं और यदि आपका मन नहीं फिरा और वह परमेश्वर के वचन के साथ खराई से नहीं चलता तो फिर भी हो सकता आपको संसारिक आशीषें मिल रही हो परंतु यह आशीषें परमेश्वर की ओर से नहीं होती बल्कि शैतान की ओर से होती है क्योंकि आप का मन ही नहीं फिरा और जब तक आपका मन नहीं फिरेगा यीशु आपके जीवन में कभी नहीं आएगा!
लेकिन वह कुछ खास और चुने हुए लोगों से ही कहता था मेरे पीछे हो लो क्यों वह कुछ खास लोगों से ही कहता था मेरे पीछे हो लो उसका मकसद क्या था? उसका मकसद था परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी और वह जानता था अगर यह भीड़ मेरे पीछे हो भी लेगी तो भी कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि यह चिन्ह चमत्कार और चंगाई के लिए मेरे पास आई है और इसीलिए यीशु कुछ खास लोगों को चुनता था और उसे चेला बनाता था!
क्योंकि उसे कुछ खास लोग ही चाहिए थे जो परमेश्वर के राज्य को दुनिया में ला सके जो लोगो का मन परमेश्वर की और फिरा सके भीड़ जो सांसारिक आशीशों के लिए येशु मसीह के पास आती थी अगर वह उनसे कहता मेरे पीछे हो लो तो शायद वह यीशु के साथ चलते तो लेकिन व आत्मिकता के लिए उसके साथ नहीं चलते वे केवल, संसारिक रोटी और आशीषों के लिए उनके साथ चलते और इसीलिए परमेश्वर का वचन जब उनके अंदर जाता तो वह उस पर चल नहीं पाते और अपना जीवन नारकीय बना लेते हैं!
इसीलिए यीशु सबसे नहीं कहता था लेकिन कुछ खास लोगों को चुनता था और इसीलिए जब चेलों को उसने चुना तो यह वह चेले थे!
जिन्होंने अपना सारा संसारिक जीवन त्याग दिया और अपने अंतिम सांस तक यीशु मसीह के पीछे चले और हंसते-हंसते यहां तक कि उन्होंने दुख भी उठाया और अपने प्राणों को त्याग दिया और यही वजह है कि आज हम जो विश्वासी कहलाते हैं परमेश्वर के आशीषों को देख रहे हैं वह उन चेलों की कुर्बानी थी जो यीशु मसीह का क्रूस उठाकर उसके पीछे खरी शिक्षा का प्रचार करते हुए चले ना कि शास्त्री और फारिसियों की तरह जो ढोंग का प्रचार करते थे जो लोभ का प्रचार करते हैं जो यीशु मसीह की खरी शिक्षाओं का प्रचार नहीं करते वह चर्चों में भीड़ देखना पसंद करते!
ताकि उनकी इच्छाएं उनका स्वार्थ उनका लोभ उनके संसाधन पैसों के द्वारा पूरी हो जाए उनको कोई मतलब नहीं कि एक विश्वासी का जीवन बचे या ना बचे नया जन्म प्राप्त हो या ना हो चाहे वह उनका पुराना मनुष्यत्य बना रहे उनको चर्चो में भीड़ चाहिए और सही शिक्षा के अभाव के कारण ही विश्वासियों का जीवन नरकीए हो जाता है!
प्रभु आप सबको आशीष दे!