मित्रों कल मैं आपको मसीह जीवन के बारे में बताया की कैसे हमको एक मसीह जीवन को नए जीवन को इस दुनिया में बिताना है और स्वर्ग जाने के कुछ परमेश्वर की आज्ञा और नियम बताएं और नए जन्म के बारे में बताया!मित्रों कल मैं आपको मसीह जीवन के बारे में बताया की कैसे हमको एक मसीह जीवन को नए जीवन को इस दुनिया में बिताना है और स्वर्ग जाने के कुछ परमेश्वर की आज्ञा और नियम बताएं और नए जन्म के बारे में बताया!
परंतु आज कुछ विश्वासी नया जन्म पाने के बाद भी अपने उस नए जीवन को संभाल कर नहीं रख पाते अपने जीवन को पवित्रताई से नहीं बिता पाते और अपने जीवन को पहले से ज्यादा बर्बाद कर लेते हैं और नरकीय बना लेते हैं इसके विषय में यीशु मसीह ने कहा!
(मत्ती 12:43-45)
जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती है, और पाती नहीं। तब कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थी, लौट जाऊंगी, और आकर उसे सूना, झाड़ा-बुहारा और सजा सजाया पाती है।
पहले जब हम अंधकार में थे यानी बहुत सारी अशुद्ध आत्माओं से भरे हुए थे और जब हम प्रभु में आते हैं तो प्रभु हमें मुक्ति देता है सारी अशुद्ध बातों से अशुद्ध आत्माओं से अशुद्ध कामों से और वह हमें एक पवित्र जीवन देता है लेकिन हम उस पवित्र जीवन को नए जन्म को संभाल कर नहीं रख पाते और संसार के साथ मिलकर ही चलते रहते हैं और संसार की चीजों को संसार के बातों को और सारी अशुद्धता को ग्रहण करते रहते हैं उसे छोड़ नहीं पाते और इसीलिए जब हम उसको नहीं छोड़ पाते तो हमारा उद्धार नहीं हो पाता जो उद्धार परमेश्वर दिया होता है हम उसे दोबारा खो देते हैं और जो जीवन प्रभु में आने से पहले हमारा अच्छा होता है थोड़ा बहुत वह प्रभु में आने के बाद और ज्यादा बर्बाद और नरकीय हो जाता है क्योंकि बाद में जब अशुद्ध आत्माएं आपके अंदर प्रवेश करती हैं उस घर को खाली देखकर पहले से ज्यादा दुष्ट आत्माओं को साथ लेकर आपके अंदर प्रवेश करती हैं!
और एक आदमी जो पहले केवल चोरी करता था अब वह झूठ बोलता है, चोरी भी करता है, व्याभिचार भी करता है, लालच भी करता है ,बुराई भी करता है, बहुत कुछ करने लगता है और धीरे-धीरे उसकी शांति जाती रहती है उसके मन का चैन जाता रहता है उसके अंदर बुराई बढ़ती रहती है और अशांति बनी रहती है डर और भय लगने लगता है!
यानी पहले की अपेक्षा अब उसका जीवन ज्यादा नरकीय हो जाता है यह एक सच्ची हकीकत है जिससे हर दूसरा तीसरा विश्वासी गुजर रहा है क्योंकि मैंने ऐसी बहुत सी लोगों की
गवाहियां को और लोगों के जीवन को देखा जिन्होंने खुद बताया कि पहले तो हम अच्छे थे जब शुरू में प्रभू आए थे लेकिन अब हमारा जीवन बहुत ज्यादा नरकीय हो गया है अब हमारे दिलों में शांति नहीं आराम नहीं चैन नहीं क्योंकि हम प्रभु की आज्ञा का पालन नहीं कर पाए उसके साथ वफादार नहीं हो पाए और संसार को छोड़ नहीं पाते!
मैं खुद कई ऐसे विश्वासियों को जानता हूं जो प्रभु में आने से पहले सांसारिक रूप से एक खुशहाली का जीवन तो बिता रहे थे दुख तकलीफ उनके जीवन में था कष्ट था लेकिन इतना नहीं था जितना प्रभु में आने के बाद हो गया कारण क्या था?
प्रभु ने उन्हें अपने राज्य के लिए पहले से ही चुन लिया था और समय आने पर उनको अपने राज्य में बुला भी लिया और परमेश्वर ने उनको बहुत सारी आशीषे दी शांति दी और प्रभु में आने के बाद उनका जीवन आशीष से और शांति से भर गया लेकिन वे परमेश्वर के साथ उसके वचन के साथ आज्ञाकारिता में ईमानदारी में पवित्रता में अपने जीवन को नहीं बिता पाए और अपने मन की मर्जी के साथ चलते रहे जीते रहे और संसार की चीजों को नहीं छोड़ पाए और पाप भी करते रहे परमेश्वर ने उन्हें कई बार मौका दिया लेकिन वह नहीं सुधरे और अंत में परमेश्वर का आत्मा उनके ऊपर से हट गया और उनका जीवन नरकीए हो गया !
पहले वह दयालु थे, कृपालु थे, लालची नहीं थे, वह व्याभिचारी नहीं थे यह प्रभु में आने के पहले उनका जीवन था पर अब लालच भी कर रहे थे, चोरी भी कर रहे थे, बेईमानी भी कर रहे थे ,सारे गलत काम कर रहे थे, जो एक अन्य जाति का व्यक्ति करता है अब वह विश्वासी कर रहे थे!
जिनको प्रभु ने शांति दी थी और स्वर्ग का राज्य दिया था लेकिन आनाज्ञाकारिता और आपावित्रता के कारण उन्होंने दुष्ट आत्माओं को अपने ऊपर अधिकार दिया जिसके कारण पहले से ज्यादा बुरी आत्माओं ने उनके शरीर के अंदर प्रवेश किया और उनके जीवन को बर्बाद किया!
जैसा कि हम इसराइलियों के विषय में देखते हैं जिनको प्रभु ने मिस्र की गुलामी से निकालकर का कनान देश देने का वादा किया था परंतु वह कानान देश में प्रवेश करने से पहले ही उस जीवन के सफर में नष्ट हो गए और कानन नहीं पहुंच पाए क्योंकि मिश्र में रहते रहते वह सांसारिक चीजों के आदी हो गए थे भोगी है हो गए थे और इसीलिए उनका मन नहीं फिर पाया था वह केवल मिश्र की गुलामी से आजादी चाहते थे लेकिन अपने मन की गुलामी से आजादी नहीं चाहते थे इसीलिए जब वह सफर में थे तो उनको कष्ट हो रहा था उनको वह चीज भोग के लिए नहीं मिल रही थी जो उन्हें मिश्र मे मिलती थी!
इसीलिए वह बार-बार कहते थे इससे अच्छा तो हम मिस्र में थे इससे अच्छा तो हम मिश्र में थे और इसी कारण वह कुड़कुराड़ाते थे और इसीलिए परमेश्वर का क्रोध उन पर प्रकट हुआ और इजरायली उस मिश्र से कानन के सफर के रास्ते में ही नष्ट हो गए!
आज हम में से बहुत सारे विश्वासी भी पुराने अंधकार के जीवन से निकलने के बाद भी आज उस स्वर्ग के रास्ते में चलते-चलते नष्ट हो रहे हैं क्योंकि हम मन नहीं फिरा पा रहे हैं हम संसार को नहीं छोड़ पा रहे हैं उसकी अभिलाषाओं को नहीं छोड़ पा रहे हैं और दुष्ट आत्माओं को अपने ऊपर अधिकार दे रहे हैं जो हमें बीच में ही नष्ट कर रही हैं!
मित्रों विश्वासी जीवन अनमोल है जो आपको यीशु मसीह के बलिदान के बाद मिला है अगर आज हम उस बलिदान की कीमत को नहीं समझ पाए याद रखिए जो अंधकार पहले हमारे जीवन का हिस्सा था वह अंधकार दुगनी रीति से प्रभु में आने के बाद आपके जीवन का हिस्सा बन जाएगा!
प्रभु आप सबको आशीष दे!प्रभु आप सबको आशीष दे!