जी हां मित्रों मूरत वाह नहीं जो मिट्टी की बनी है लेकिन मूरत वाह है जो आपके मन में बसी है मिट्टी की मूरत तो तो हम तोड़ सकते हैं हटा सकते हैं पर मन की मूरत को तोड़ना और हटाना इतना आसान नहीं क्योंकि मन की मूरत में आपके प्राण बसे हैं आपकी आत्मा बसी है लेकिन यह मूरत कहीं आपके अनंत जीवन के लिए प्राणघातक ना बन जाए इसलिए मन की मूरत को अपने हृदय से निकालिए ताकि आप परमेश्वर को अपने हृदय में जगह दे सके!
आज लोग यीशु के पास आना तो चाहते हैं आशीष तो पाना चाहते हैं पर यीशु मसीह को अपने जीवन में प्रथम स्थान नहीं देना चाहते हैं और यही कारण है वाह आशीष नहीं पाते हम यीशु मसीह को अपने जीवन में अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं लेकिन हम भूल जाते कि येशु मसीह सृष्टि का परमेश्वर है वह हमारा मालिक है और मिट्टी कुम्हार से नहीं कहती कि मुझे ऐसा बना कुम्हार जैसा चाहता है वैसा मिट्टी का बर्तन बनाता है!
(यिर्मयाह 18:1-6)
कुम्हार मिट्टी की मूरत बनाता है बर्तन बनाता है क्योंकि उससे उसको पैसे की आमदनी होती है इसलिए उसका प्राण उसकी आत्मा उस मिट्टी की मूरत और बर्तनों में बसती है क्योंकि उससे उसकी जीवनशैली चलती है और लोगों ने धन को भी अपना स्वामी बना रखा है क्यों कि धन से जीविका चलती है लेकिन जीवन यीशु मसीह देता है यीशु मसीह कहते हैं कोई व्यक्ति दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता या तो एक से बैर रखेगा और दूसरे से तो एक से प्रेम रखेगा!
धनवान को जब यीशु ने धन बेचकर गरीबों को देने को कहा तब वह उदास होकर उसके पास से चला गया!
(मरकुस 10: 21- 22)
क्योंकि धन नाम की मूरत उसके मन में थी आज हमको हमारे मनों को साफ करने की जरूरत है परमेश्वर से कहे सब कुछ तेरा है मेरा कुछ भी नहीं मुझे सब कुछ यहीं छोड़ कर तेरे पास आना है यह धनवान अनंत जीवन चाहता था और धन भी
चाहता था आज हमारा जीवन भी ऐसा ही है अपने आप को परखे और देखे कहीं मन में कोई मूरत तो नहीं और अगर है तो यीशु के लहू को पुकारे वाह आपके मन को धोकर शुद्ध करेगा मन को बदलें खाली लालच ही नहीं घमंड, गुस्सा, झूठ, और भी कोई मूरत अगर हो तो उसको भी निकाल कर फेंके अपने मन को परमेश्वर का मंदिर बना दें और उसमें रात दिन आत्मिक भजन कीर्तन होता रहे !
(इफिसियों 5:19)
मन का मतलब है आपकी आत्मा जो कि निकलकर स्वर्ग जाएगी उसको पवित्र रखें अगर मन में कोई भी मूरत रह गई तो नर्क में जाना पड़ेगा इसलिए हमेशा मन शुद्ध रखकर तैयार रहे कभी भी हमको यहां से जाना पड़ेगा!
प्रभु आप सबको आशीष दे!