इस संसार की तरह ना बनो परंतु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल चलन बदलता जाए जिससे तुम परमेश्वर के भली और भवती इच्छा को मालूम करते रहो !
इस संसार की तरह ना बनो परंतु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल चलन बदलता जाए जिससे तुम परमेश्वर के भली और भवती इच्छा को मालूम करते रहो !
इस संसार की तरह ना बनो परंतु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल चलन बदलता जाए जिससे तुम परमेश्वर के भली और भवती इच्छा को मालूम करते रहो !इस संसार की तरह ना बनो परंतु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल चलन बदलता जाए जिससे तुम परमेश्वर के भली और भवती इच्छा को मालूम करते रहो !
(रोमियो 12:2)
(इफिसियों 5:13-20)
जी हां मित्रों हमारा चाल चलन ही परमेश्वर की धार्मिकता के निशानी है और ज्योति है और ज्योति में कुछ छुपता नहीं बल्कि जो कुछ गुप्त और अंधियारे में होता है वह ज्योति में प्रकट हो जाता है इसलिए हमें निब्रुध्धियों के समान नहीं परंतु बुद्धिमानो के सामान चलना चाहिए!
इसलिए ध्यान से देखो कैसी चाल चलते हो जी हां मित्रों वचन हमें चेतावनी देता है अपने चाल चलन के विषय में हम कैसी चल चलते हैं बुद्धिमानो के सामान के निर्बुद्धियों के सामान!
16 पद कहता है अवसर को बहुमूल्य समझो क्योंकि दिन बुरे हैं!
जी हां मित्रों यह अंत का समय है और दिन बुरे हैं क्योंकि हमारे चारों और बुराई और अंधकार का साम्राज्य बढ़ता जा रहा है ऐसे में अपने आप को बचा कर रखना अपनी ज्योति को बचा कर रखना बहुत मुश्किल है क्योंकि दिन-रात उठते बैठते हमारे चारों ओर बुराई से भरे लोग हैं और उनके विचार हैं हम उन्हीं के बीच में उठते बैठते हैं ऐसे में हमको अपने आप को संभाल कर रखना बड़ा कठिन है लेकिन यह परमेश्वर का वचन और प्रार्थना का जीवन है जो हमें ऐसे अंधकार के बीच में ज्योति के समान बनाकर रखता है!
ऐसे में अपनी संगति ऊपर ध्यान दें कि हम कैसे लोगों के साथ संगति करते हैं क्योंकि हम जैसे लोगों के साथ संगति करेंगे हमारा चाल चलन हमारा उठना बैठना हमारा सोचने विचारने का तरीका वैसा ही हो जाएगा!
और वचन कहता है दाखरस से मतवाले मत बनो जिससे लुचपन होता है ऐसा करके मतवाले हो जाते हैं लेकिन यह नशा जरूरी नहीं कि दाखरस या शराब का हो परंतु यह टीवी का नशा भी हो सकता है, मोबाइल का नशा भी हो सकता है, स्त्री का नशा भी हो सकता है, धन दौलत का नशा भी हो सकता है, घमंड का नशा भी हो सकता है, पाखंड का नशा भी हो सकता है, डिंगे मारने का नशा भी हो सकता है, अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताने का नशा भी हो सकता है, और लोग आजकल इसी में मतवाले हो रहे हैं और अपने कामों से अपने लुचपन को प्रकट कर रहे हैं!
परंतु हम जो ज्योति की संतान हैं परमेश्वर की संतान हैं वचन कहता है आपस में कीर्तन भजन किया करो आराधना किया करो और आत्मिक गीत गाया करो अपने मन से कर्म से और आत्मा से प्रभु की स्तुति और महिमा और भजन गाते रहो!
और सब बातों में हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से पिता परमेश्वर का धन्यवाद करते रहो और एक दूसरे से मेल मिलाप रखो और संगति करो ताकि परमेश्वर की नजर में धर्मी बने रहो !
जी हां मित्रों परमेश्वर की नजरों में हम धर्मी तभी बनेंगे जब हमारा चाल चलन सही होगा हमारा उठने बैठने का तौर तरीका सही होगा हमारे सोचने विचारने का तरीका सही होगा और सब चीजो में जब तक पवित्रता और ईमानदारी नहीं होगी तो हम परमेश्वर के राज्य के ना तो वारिश हो पाएंगे और ना तो धर्मी की संतान कहलाएंगे!
एक दूसरे के अधीन रहें एक-दूसरे के साथ सत्य बोले और एक दूसरे की उन्नति करें!
प्रभु आप सबको आशीष दे!