हमारे हिंदुस्तान की रीति है पहले आप से शुरूआत की जाती है किसी भी काम को जो हम करते हैं तो पहले आप के द्वारा संबोधन से करते हैं और यह बहुत अच्छी बात है क्योंकि यह शब्द हमारी ओर से नहीं परंतु परमेश्वर की ओर से दिया गया याद करिए जब परमेश्वर ने हमें छुटकारा दिया तो शुरुआत पहले आपसे की यानि पहले उसने अपना एकलौता पुत्र दिया उसके
बाद हमें अपने सहायक के रूप में चुना यानी पहले शुरुआत परमेश्वर ने की बाद में अपने उस काम में हमको सहायक बनाया इसी तरह यदि हमें परमेश्वर से आशीषें चाहिए तो शुरुआत पहले हमें खुद करनी है ना कि परमेश्वर से मांगना है जब हम परमेश्वर के लिए अपने आप को देंगे परमेश्वर के लिए अपने चीजों को देगे तो परमेश्वर हमें उसे वापस आशीष के रूप में लौट आएगा!
(याकूब 4:8-10)
परमेश्वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा हे पापिया अपने हाथ शुद्ध करो और दुचिते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो दुखी हो और शोक करो और रो तुम्हारी हंसी शोक में और तुम्हारा आनंद उदासी में बदल जाए प्रभु के सामने दीन बनो तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा!
परमेश्वर अपने वचन में पहले हमको अपने नजदीक आने अपने कामों को सही करने और पश्चाताप करने के विषय में बोल रहा है यानी जो काम करना पहले हमें करना है परमेश्वर के अधीन हमें होना है परमेश्वर के पास पहले हमें जाना है तब परमेश्वर आपके पास आता है और आपको आशीष देता है और इसीलिए कहता है पहले तुम परमेश्वर के अधीन हो जाओ तब शैतान का सामना करो देखो शैतान भाग जाएगा आज हम परमेश्वर के अधीन नहीं होते और शैतान से रोज लड़ने निकल पड़ते हैं और इसीलिए रोज हार के आते हैं!
(यूहन्ना 4:7-10)
इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने आई यीशु ने उससे कहा मुझे पानी पिला!
यीशु ने उत्तर दिया यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है मुझे पानी पिला तो तू उससे मांगती और वह तुझे जीवन का जल देता!
यीशु मसीह पहले उस स्त्री से पानी पिलाने को कहते हैं यानी पहले शुरुआत उसे स्त्री को करनी थी देने की और जब वह स्त्री पानी देती है तब यीशु मसीह कहते हैं यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती तो तू मुझे जानती तो मैं तुझे जीवन का जल देता यानी शुरुआत स्त्री ने की और उसका उत्तर परमेश्वर ने अनंत काल के जीवन के रूप में कहा कि मैं तुझे आनंतकाल का जल दूंगा यानी आप पहले परमेश्वर को जब दोगे तब परमेश्वर आपके उस काम के ऊपर आशीष देता है इसलिए शुरुआत पहले हमको करनी है यदि हम आज नहीं बोएंगे तो कल परमेश्वर हमारे बीजों पर हमारी चीजों पर आशीष कैसे देगा बीज हमको बोना है आशीष परमेश्वर देता है यह प्रकृति का सिद्धांत है कि हम जब बोएगे तभी काटेंगे इसलिए यीशु मसीह ने कहा यदि तुम मनुष्यों से जैसा चाहते हो वैसा पहले तुम करो यदि हम मनुष्य से अच्छा व्यवहार चाहते पहले शुरुआत हमको ही करनी होगी!
याद करिए दुनिया को मुक्ति दिलाने से पहले परमेश्वर ने अब्राहम से उसका एक लौता पुत्र बलिदान के रूप में मांगा और जब अब्राहम ने उसको बलिदान के स्वरूप बेदी पर रखकर भेट चढ़ाने चला तब परमेश्वर ने उसे रोका और कहा जैसे तूने अपने इकलौते पुत्र को मेरे लिए बलिदान करने के लिए दिया वैसे ही मैं अपने इकलौते पुत्र को इस दुनिया में मानव जाति की मुक्ति के लिए भेजूंगा यानी शुरुआत अगर हम देखें तो हम सबको पहले करनी है तब परमेश्वर हमारे पक्ष में खड़ा होता है हमारी आशीशों में खड़ा होता है और अगर हम शुरुआत नहीं करेंगे हम बोएगे नहीं तो हम कभी काट भी नहीं पाएंगे!
आज की प्रार्थनाएं सूखी रोटी की तरह है जिसको जानवर को खाने को दी जाती है मनुष्य सूखी रोटी नहीं खाता मनुष्य रोटी में मक्खन लगाकर खाता है मलाई लगाकर खाता है नमक मिर्च लगाकर खाता है यानी कुछ ना कुछ उसके साथ खाता है चाहे सब्जी हो चाहे दाल हो सूखी रोटी से मनुष्य अपना पेट तो भर सकता है परंतु वह शरीर को हष्ट पुष्ट नहीं बना सकता इसी तरह सूखी प्राथनाएं परमेश्वर तक पहुंच तो जाती हैं परंतु उसका प्रतिफल बहुत कम आता है और आता है तो उसे मनुष्य का कुछ भला नहीं होता है और यदि भलाई देखनी है तो अपनी भेंट के साथ परमेश्वर को प्रार्थना चढ़ाएं फिर देखे परमेश्वर आपकी भेटों पर कैसे आशीष देता है परंतु भेट शुद्ध होनी चाहिए पवित्र होनी चाहिए कैन की तरह नहीं होनी चाहिए परमेश्वर ग्रहण नहीं करता
शुरुआत आप करिए अंत परमेश्वर करेगा आशीशों के साथ!
प्रभु आप सबको आशीष दे!