(इफिसियों 6:10-17)
(प्रकाशितवाक्य 21:7 -8)
जो जय पाए वही इन वस्तुओं का वारिश होगा !
स्वर्ग और उसकी वस्तुओं के वारिस हम तभी होंगे जब हम एक जैवंत जीवन जीकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे!
मित्रों पिछले भाग में हमने आत्मिक युद्ध आत्मिक हथियारों और आत्मिक शक्तियों के बारे में और प्रधानताओं के बारे में सीखा और आज हम देखेंगे कि आत्मिक युद्ध के लिए हमारा नवीनीकरण होना जरूरी है क्योंकि आत्मिक हथियार और आत्मिक शक्तियां जब तक कि हमारा नवीनीकरण नहीं होगा हम उनका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे !
पुराने नियम में हम देखते हैं कि जो युद्ध लड़े जाते थे वह सांसारिक दृष्टि से होते थे और वहां पर मनुष्य प्रधानता करता था और उनके पीछे दुष्ट शक्तियां राज्य करती थी और वह धर्म और अधर्म का युद्ध कहलाता था सत्य और असत्य का युद्ध कहलाता था!
परंतु यीशु मसीह के साथ जो युद्ध हम लड़ने जा रहे हैं वह पूरी तरह से आत्मिक है और इंडिविजुअल शक्तियों से है जो दिखाई नहीं देती सुनाई नहीं देती लेकिन एहसास की जाती हैं जैसा कि हम आज दुनिया में देखते हैं कि दुनिया तरक्की करते चले जा रहे हैं और आज दुनिया में जो युद्ध हो रहे हैं वह नई नई टेक्नालॉजी के साथ परमाणु बम लेजर बम और ऐसे ऐसे सूक्ष्म हथियारों के द्वारा लड़े जा रहे दिखाई नहीं देता और हवा में वायरस फैला कर मिनट भर में अपने दुश्मन को तबाह कर देता है जब दुनिया युद्ध के मैदान में हथियारों का नवीनीकरण कर सकती है तो शैतान भी अपनी चीजों का नवीनीकरण करता है और इसीलिए हमारा भी नवीनीकरण होना जरूरी है नवीनीकरण का मतलब हमें पवित्र आत्मा में जन्म लेना बड़ा जरूरी है क्योंकि पवित्र आत्मा यदि हममे नहीं होगा तो हम अपने हथियारों का उपयोग नहीं कर पाएंगे बिना पवित्र आत्मा के ना तो हम वचन के तीर को चला पाएंगे और ना ही तो हम शत्रू की सामर्थ से लड़ पाएंगे!
आज विशवासियों की संख्या तो बढ़ रही है परंतु जिस तरह के विश्वासी आज बनाए जा रहे हैं उस तरह के विश्वासी आत्मिक युद्ध लड़ने में सक्षम नहीं है वह सांसारिक रूप से और ज्ञान के रूप में तो बढ़ रहे हैं और वचन में तो बढ़ रहे हैं परंतु आत्मा की सामर्थ में कमजोर बन रहे हैं आत्मा उनके अंदर काम नहीं कर पा रहा है और जब तक पवित्र आत्मा आपके अंदर काम नहीं करेगा आप कितना भी ज्ञान वचन में भर लो आप एक कमजोर और निर्बल विश्वासी रहोगे जो शत्रु की सामर्थ्य आगे फेल हो जाओगे विश्वासी जितना पुराना होता जाता है उतना ही कठोर होता जाता है!
जैसे कि एक पेड़ जितना बढ़ता हुआ पुराना हो जाता उसका तना उतना ही मजबूत हो जाता है लेकिन उस मजबूत तने में कोई फल नहीं लगता फल लाने के लिए उसे कोमल डाली की जरूरत पड़ती है ऐसे ही आपका हृदय जब तक कोमल नहीं रहेगा आप जब तक नम्र दीन नहीं दोगे पवित्र आत्मा आपके अंदर काम नहीं कर पाएगा और हठीले लोगों के लिए हमने पुराने नियम से लेकर नए नियम तक में देखा परमेश्वर ने उनको हमेशा अपने भविष्यवक्ताओं को भेज कर द्वारा समय-समय पर सीख दी चेतावनी दी ताकि वह फल लाने वाले हो सके!
(मरकुस 2:22)
नये दाखरस को पुरानी मश्कों में कोई नहीं रखता, नहीं तो दाखरस मश्कों को फाड़ देगा, और दाखरस और मश्कें दोनों नष्ट हो जाएंगी; परन्तु दाख का नया रस नई मश्कों में भरा जाता है!
दाखरस और मश्कों का मतलब विश्वासी और पवित्र आत्मा से है!
यानी विश्वासी जितना पुराना हो जाता है और पवित्र आत्मा से दूर हो जाता है उतना ही हटीला हो जाता है और ऐसे विश्वासियों के अंदर पवित्र आत्मा काम नहीं कर पाता यदि पवित्र आत्मा आ भी जाए तो विश्वासी नष्ट हो जाएगा इसीलिए कहा गया कि नया दाखरस नई मश्कों में भरा जाता है!
(2कुरिन्थियों 5:17-21)
इसलिए यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है पुरानी बातें बीत गई देखो सब बातें नहीं हो गई हैं!
जी हां मित्रों यदि कोई मसीह में है तो और नई सृष्टि है यदि आप नई सृष्टि नहीं है और आपके अंदर आजभी पुरानी बातें पुराना संसार पुराना सब कुछ है तो आप शत्रु से ना तो लड़ पाओगे और ना तो जीत पाओगे और शत्रु आपको हराता रहेगा इसलिए नई सृष्टि बनीए है आत्मा में जन्म लीजिए और आत्मिक उन्नति कीजिए और आत्मा की सामर्थ से भरते जाइए तब आप आत्मिक युद्ध जीत सकते हैं और शत्रु को हरा सकते हैं!
प्रभु आप सबको आशीष दे!
जीसस गॉड चर्च ह्यूमन वेलफेयर इंडिया लखनऊ
जे.जी.सी. मिनिस्ट्री
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