पिछले दो भागों में मैंने आपको प्रभु भोज की गंभीरता के बारे में बताया कि कैसे हमको प्रभु भोज लेना चाहिए और किन लोगों को लेना चाहिए यह बहुत जरूरी बात है ।
प्रभु भोज हर एक व्यक्ति के लिए नहीं है परंतु उस व्यक्ति के लिए है जो प्रभु का चेला है जो मन फिरा चुका है जो पवित्रता से अपने जीवन को जीता है क्योंकि जो अनुचित रीती से प्रभु भोज लेता है वह अपने ऊपर दंड लाता है और अपने जीवन को श्रापित करता है!
इसलिए वह हमारी तड़ना करता है अगर ताड़ना के बाद भी हम अपने आप को नहीं सुधार पाए अपने मन को नहीं फिराते और उसके बाद भी अनुचित रीति से हम प्रभु भोज लेते रहते हैं तो वचन कहता तुम में से बहुतेरे निर्बल है रोगी है बहुतरे सो भी गए इतनी की गहराई के वचन सुनने के बाद भी अगर हम उसे हल्के में लेकर मसीह जीवन जीते हैं तो आखरी में हमारे पास कुछ नहीं बचेगा केवल निराशा के अलावा मित्रों अपने आप को जांचे और परखे है तब प्रभु भोज ले अन्यथा व्यर्थ में प्रभु की देह मे अपने आप को जोड़कर दंड के भागी ना बने!प्रभु आप सबको आशीष दे! जीसस गॉड चर्च ह्यूमन वेलफेयर
पिछले दो भागों में मैंने आपको प्रभु भोज की गंभीरता के बारे में बताया कि कैसे हमको प्रभु भोज लेना चाहिए और किन लोगों को लेना चाहिए यह बहुत जरूरी बात है प्रभु भोज हर एक व्यक्ति के लिए नहीं है परंतु उस व्यक्ति के लिए है जो प्रभु का चेला है जो मन फिरा चुका है जो पवित्रता से अपने जीवन को जीता है क्योंकि जो अनुचित रीती से प्रभु भोज लेता है वह अपने ऊपर दंड लाता है और अपने जीवन को श्रापित करता है!
(1कुरिन्थियो 11:27-34)
जो कोई अनुचित रीति से इस कटोरे में से खाएं और पिए वह यीशु के लहू का अपराधी ठहरता है अब अनुचित रीति क्या है?
अपने पासबानो की आज्ञा ना मानना, परमेश्वर की आज्ञा ना मानना ,मां-बाप की आज्ञा ना मानना ,जहां काम करते है वहां अपने बॉस की आज्ञा ना मानना, अधिकारियों की आज्ञा ना मानना, मन ना फिराना ,एक दूसरे के साथ भलाई ना करना, एक दूसरे पर दोष लगाना, बुराई करना ,दूसरे विश्व वासियों से दूसरे पास्टरों सेअपने आप को सर्वश्रेष्ठ दिखाना,उपवास ना रखना पौलुस कहता है कुछ तो तुम्हें भूखे रहते पर कुछ खाना खाकर आते हैं इसलिए जो उपवास नहीं रखते हैं वह घर से खाकर आए ताकि जो उपवास रखकर प्रभु भोज लेते हैं उनके लिए ठोकर का कारण ना बने क्योंकि हम एक दूसरे से ही सीखते हैं!
इसलिए प्रभु भोज लेते समय मनुष्य अपने आप को जांच लें जो खाते पीते समय प्रभु की देह को नहीं पहचानता कि वह पवित्र देह है जिसमें हम जोड़े जाते हैं और पवित्र और आपवित्र का कोई मेल नहीं ज्योति और अंधकार का कोई मेल नहीं और यदि हममे कहीं भी अंधकार है और हम उस देह में अपने आप को जोड़ते है जो ज्योति है तो अपने ऊपर दंड लाते हैं!
इसलिए प्रभु हमें संसार के साथ दोषी नहीं ठहरना चाहता इसलिए वह हमारी तड़ना करता है अगर ताड़ना के बाद भी हम अपने आप को नहीं सुधार पाए अपने मन को नहीं फिराते और उसके बाद भी अनुचित रीति से हम प्रभु भोज लेते रहते हैं तो वचन कहता तुम में से बहुतेरे निर्बल है रोगी है बहुतरे सो भी गए इतनी की गहराई के वचन सुनने के बाद भी अगर हम उसे हल्के में लेकर मसीह जीवन जीते हैं तो आखरी में हमारे पास कुछ नहीं बचेगा केवल निराशा के अलावा मित्रों अपने आप को जांचे और परखे है तब प्रभु भोज ले अन्यथा व्यर्थ में प्रभु की देह मे अपने आप को जोड़कर दंड के भागी ना बने!
प्रभु आप सबको आशीष दे!