एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि आज हर एक विश्वासी प्रभु की सेवा करना चाहता है परंतु वह अच्छा सेवक नहीं बनना चाहता आज लोग पास्टर तो बनना चाहते हैं लेकिन सेवक नहीं बनना चाहते और एक अच्छा सेवक ही अच्छा पास्टर बन सकता है
एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि आज हर एक विश्वासी प्रभु की सेवा करना चाहता है परंतु वह अच्छा सेवक नहीं बनना चाहता आज लोग पास्टर तो बनना चाहते हैं लेकिन सेवक नहीं बनना चाहते और एक अच्छा सेवक ही अच्छा पास्टर बन सकता हैएक बहुत महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि आज हर एक विश्वासी प्रभु की सेवा करना चाहता है परंतु वह अच्छा सेवक नहीं बनना चाहता आज लोग पास्टर तो बनना चाहते हैं लेकिन सेवक नहीं बनना चाहते और एक अच्छा सेवक ही अच्छा पास्टर बन सकता है
जिसको सेवा भाव का अनुभव ही नहीं वह पास्टर बन भी जाएगा तो प्रभु की सेवा नहीं कर पाएगा क्योंकि आज लोग पास्टर का मतलब एक रुतबे को समझते हैं एक अधिकार को समझते हैं जबकि एक अच्छा चरवाहा एक अच्छा पास्टर वही हो सकता जो सेवा करना जानता हो जो झुकना जानता हो जिसके अंदर दया हो, करुणा हो, क्षमा हो, और सहनशीलता हो, जो सबकी सहले और फिर भी लोगों से प्रेम करें लोगों की सेवा करें जैसे मदर टेरेसा के अंदर कोढ़ियों के बीच में जाकर सेवा करने का जज्बा था वैसे ही हर एक पास्टर जो सेवा करना चाहता उसके अंदर भी सेवा भाव होना जरूरी है अगर सेवा भाव नहीं होगा तो हम कभी भी ना तो अच्छे पास्टर बन सकते हैं ना तो अच्छे अगुवा बन सकते हैं याद करिए यीशु मसीह एक अच्छा पास्टर भी था अगुवा भी था, चरवाहा भी था, सब कुछ था लेकिन वक्त पढ़ने पर उसने अपने आप में एक मिसाल पेश की और अपने चेलों के पैर धोकर अपने आप को शून्य किया!
गुरु बनने के लिए पहले लोग चेला बनते थे और अपने गुरु की सेवा करते थे और गुरु के जाने के बाद गुरु अपने चेले को गुरु का पद देकर जाता था लेकिन हर चेले को नहीं उस चेले को जो उसके साथ वफादार होता था, इमानदार होता था, जिसके अंदर सेवा भाव होता था ईमानदारी होती थी पवित्रता होती थी आज लोग सीधे पास्टर बनना चाहते हैं जबकि वह अच्छे चेले भी कभी नहीं बन पाए वह अपने पास्टर के साथ ईमानदार नहीं हो पाए अपनी कलीसिया के प्रति ईमानदार नहीं होते बुराइयों से भरे होते हैं लेकिन पास्टर बनना चाहते हैं क्योंकि उन्हें रुतबा चाहिए ,उन्हें अधिकार चाहिए ,उन्हें नाम चाहिए, उन्हें इज्जत चाहिए, उन्हें शोहरत चाहिए, और इसमें सबसे ज्यादा कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो पैसे के लालच के चक्कर में गलत ऑर्डिनेशन कर कर लोगों को पास्टर बना देते हैं वह लोगों का चरित्र नहीं देखते बस वह पैसे कमाने के लिए किसी को भी पास्टर बना देते हैं भले वाह सेवा के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाएं लोगों को ठगे या कुछ भी करें उनको इसे मतलब नहीं होता बस वह पैसे कमाने के चक्कर में उनको सर्टिफिकेट दे देते हैं और अगुवा नियुक्त कर देते हैं!
मसीहत एक व्यापार बनती जा रही है जिसके कारण से भोले वाले विश्वासी ठोकर खा रहे हैं और बर्बाद हो रहे हैं लेकिन इसी बीच में कुछ ऐसी प्रभु के सेवक और दास हैं जो प्रभु की ओर से चुने हुए हैं और बड़ी ईमानदारी और पवित्रता और सामर्थ के साथ प्रभु का काम कर रहे हैं और एक मिसाल को पेश कर रहे हैं!
आज जितने भी प्रभु के महान सेवक हुए वह अपनी सेवा भाव के कारण अपनी मेहनत के कारण और प्रभु में समर्पण के कारण महान कहलाए उन्होंने रुतबे या लालच के अधिकार के चक्कर में प्रभु की सेवा को नहीं किया वह हमेशा नम्र रहे दीन रहे और लोगों की सेवा की अपनी जिंदगियों की परवाह नहीं की यही सेवा भाव है मानव सेवा ही सच्ची ईश्वरीय सेवा है!
आज कुछ प्रभु के गलत सेवकों के द्वारा यह प्रचार कर सिखाया जाता है कि केवल परमेश्वर की सुनो अपने पास्टरों की मत सुनो अपने अगुओं की मत सुनो जबकि हर एक पास्टर हर एक आगुवे को परमेश्वर ने कलीसिया के ऊपर नियुक्त किया होता है और अधिकार दिया होता है और विश्वासियों की परख यही से शुरू होती है कि जो अपनी कलीसिया अपने पास्टर और अपने आगुवे के साथ ही वफादार नहीं वह परमेश्वर के साथ क्या वफादार होगा क्योंकि जो भेड़ परमेश्वर ने हमें दी है जो अगुवा या गुरु हमको दिया गया है अगर हम उसी की ही नहीं सुनते जिसको परमेश्वर ने नियुक्त किया है तो हम परमेश्वर की क्या सुनेंगे परमेश्वर सीधे कभी बात नहीं करता परमेश्वर अपने चुने हुए दसों के द्वारा सेवकों के द्वारा पास्टरों के द्वारा ही कलीसिया के लोगों से बात करता है और उनको आशीर्वाद और आशीष देता है और यही कारण है कि आज लोग आशीष से वंचित होते जा रहे हैं!
क्योंकि आज लोग पास्टर के अधीन नहीं रह रहे हैं आज लोग प्रभु के दासों के अधीन नहीं है उनके आज्ञाकारी नहीं है उनको अपने घर में नहीं बुलाते प्रार्थना के लिए खुद अकेले बैठकर प्रार्थना करते हैं और सोचते परमेश्वर उनकी सुनेगा जबकि ऐसा नहीं है यदि भेड़ो का चरवाहा नहीं होगा तो भेड़ों को भेड़िए फाड़ खाएगे लेकिन वह चरवाहा ही होता है जो अपने भेड़ो पर नजर रखता है उनको भेडि़यो से बचाता है इसी तरह हर एक चुना हुवा प्रभु का सेवक पास्टर दास होता है जो अपनी भेड़ो पर नजर रखता है अपने भेड़ो की रखवाली करता है उनके ऊपर निगाह रखता है कि मेरी भेड़े गलत तो नहीं कर रही है गलत बातों में तो नहीं जा रही है गलत विचारों में तो नहीं जा रही है गलत संगति में नहीं जा रही है और यही आज विश्वासियों को अच्छा नहीं लगता कि उन पर कोई नजर रखें उनकी हरकतों के ऊपर कोई नियंत्रण रखें वह अपनी मनमर्जी से चलना चाहते हैं और प्रभु से प्रार्थना करते रहते हैं जबकि प्रभु ने चरवाहे को इसलिए रखा है ताकि समय-समय पर वह विश्वासियों को वचन रूपी रोटी के द्वारा तंदुरुस्त बनाएं बल और बुद्धि में मजबूत बनाएं और सामर्थी बनाएं!
प्रचार और शिक्षा दो तरह से होती हैं एक प्रचार जो हम अपने अनुभव से करते हैं वचन को मिलाकर और एक वह होती है जो बाइबल के वचन के सिद्धांत के ऊपर आधारित होती है और आज लोग बाइबल के सिद्धांत को छोड़कर अपने अनुभव मन के मुताबिक जो उनके मन में आता है उन भावों को प्रकट करते हैं!
इसलिए अगर आप एक अच्छा पास्टर एक अच्छा अगुवा बनना चाहते हैं तो पहले एक अच्छा सेवक अच्छा चेला बनना सीखिए समय आने पर परमेश्वर आपको एक पास्टर और एक अगुवा और एक सेवक के रूप में खुद नियुक्त करेगा और अपनी महिमा आपके जीवन से लगा!
प्रभु आप सबको आशीष दे!