पिछले भागों में मैंने आपको बताया कि कैसे परमेश्वर सेवकाई के लिए लोगों को चुनता है और इस्तेमाल करता है और कैसे लोग खुद अपने मन से परमेश्वर की सेवा को चुनते हैं और अपने जीवन को बर्बाद करते हैं!
पिछले तीन भागों में मैंने आपको बताया कि कैसे परमेश्वर सेवकाई के लिए लोगों को चुनता है और इस्तेमाल करता है और कैसे लोग खुद अपने मन से परमेश्वर की सेवा को चुनते हैं और अपने जीवन को बर्बाद करते हैं!
पिछले तीन भागों में मैंने आपको बताया कि कैसे परमेश्वर सेवकाई के लिए लोगों को चुनता है और इस्तेमाल करता है और कैसे लोग खुद अपने मन से परमेश्वर की सेवा को चुनते हैं और अपने जीवन को बर्बाद करते हैं!पिछले तीन भागों में मैंने आपको बताया कि कैसे परमेश्वर सेवकाई के लिए लोगों को चुनता है और इस्तेमाल करता है और कैसे लोग खुद अपने मन से परमेश्वर की सेवा को चुनते हैं और अपने जीवन को बर्बाद करते हैं!
क्योंकि आज लोग सेवा तो करना चाहते हैं परंतु सेवक नहीं बनना चाहते सेवा भाव अंदर नहीं लाना चाहते हैं बस सीधे मालिक बनना चाहते हैं स्वामी बनना चाहते हैं और इसीलिए वह सेवा तो करते हैं परंतु उनके अंदर सेवा भाव ना होने के कारण बहुत लंबे समय तक प्रभू की सेवकाई में आगे नहीं बढ़ पाते जबकि स्वयं प्रभु यीशु मसीह जो परमेश्वर की सेवा को लेकर इस दुनिया में आया वह सेवक बनकर आया और सेवक बनकर ही उसने दुनिया में अपने आप को रखा उसने आपको गुरु या स्वामी कहलाने की कोशिश नहीं की बल्कि परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने आप को नम्र व दीन करके एक सेवक के रूप में अपने जीवन को दे दिया और विश्वास योग्यता ईमानदारी और वफादारी का ही नतीजा था वह परमेश्वर के दाहिने और जाकर सिंहासन पर महिमामान हुआ!
यीशु मसीह जो स्वयं परमेश्वर था लेकिन जब तक वह दुनिया में रहा एक सेवक के रूप में रहा लेकिन आज हम इस दुनिया में रहकर भी सेवक नहीं बनना चाहते और सेवा का भाव तभी हमारे अंदर आता है जब अपनी चर्च कलीसिया के अंदर अपने आगुवो के साथ हम वफादारी ईमानदारी से उनकी सेवा में रहते हैं और सेवा भाव को सिखते हैं और तब परमेश्वर हमारी सेवा भाव को ईमानदारी वफादारी को देखकर ही हमें अपनी सेवाकई के लिए चुनता है!
(मत्ती12:18-21)
(परमेश्वर का चुनाव हुआ सेवक)
मित्रों आपको एक में राज की बात बताता हूं यीशु मसीह जो परमेश्वर का एकलौता पुत्र था जब तक वह इस दुनिया में नहीं आया था और वह परमेश्वर का इकलौता पुत्र जो स्वर्ग में था तब भी वह एक सेवक के रूप में ही परमेश्वर के पास था और उसकी ईमानदारी और वफादारी का नतीजा था कि परमेश्वर ने अपने इकलौते पुत्र यीशु मसीह को इस दुनिया में भेजा ताकि वह हमारे पापों के बदले अपने आप को देकर हमारा उद्धार कर सके!
यह बात यशायाह भविष्यवक्ता ने जो यीशु मसीह के आने से भी 750 साल पहले इस दुनिया में था उसने अपनी भविष्यवाणी में स्वर्ग के उसे दर्शन को देखकर लिखी थी देखो यह मेरा सेवक है जिसे मैं चुना है मेरा प्रिय जिसमें मेरा मन प्रसन्न है मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा और वह अन्य जातियों का न्याय का समाचार देगा वह ना झगड़ा करेगा और ना धूम मचाएगा और ना बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा वह कुचले हुए सरकंडे को ना तोड़ेगा और ना धुआं देती हुई बत्ती को ना बुझाएगा जब तक वह न्याय को प्रबल ना कराए और अन्य जाति उसके नाम पर आशा रखेंगे!
स्वयं परमेश्वर यीशु मसीह के विषय में कह रहा है यह मेरा चुना हुआ सेवक है प्रिय सेवक है जिससे मेरा मन प्रसन्न है उस पर अपना आत्मा उड़ेलूंगा ना वह झगड़ा करेगा ना वह अपनी महिमा करेगा ना वह धूम मचाएगा ना वह सरकंडे को तोड़ेगा सरकंडे का मतलब दबे कुचले लोगों को ढेस नहीं पहुंचाएगा बल्कि उनको ऊंचा उठएगा और धुआं देती बत्ती को ना बुझाएगा मतलब जिसके अंदर तेल टिमटिमा रहा है जो विश्वासी कमजोर है जिसका दिया खत्म होने पर है उसको वह बुझने नहीं देगा क्योंकि यीशु मसीह ने अपने वचन में खुद कहा ना तो मैं तुझे छोड़ूंगा और ना तो मैं तुझे त्यागूंगा यीशु मसीह कभी भी जब सु समाचार सुनाने जाते थे वह लोगों से यही कहते थे देखो लोगों को मत बताना वह कभी अपनी महिमा नहीं करते थे लेकिन आज लोग अपनी महिमा के लिए शोहरत के लिए नाम के लिए परमेश्वर की सेवा को चुनते हैं यीशु मसीह स्वर्ग में भी सेवक था और इस पृथ्वी पर भी सेवक रहा और उसने सेवा को पूरा करके जब परमेश्वर के पास दाहिने और जाकर बैठ गया तो उसकी विश्वास योग्यता ही थी कि परमेश्वर ने उसको अब जब दोबारा इस दुनिया में भेजने को कहा है तो एक राजा के रूप में कहा ताकि वह हमारा और आपका न्याय करें याद रखें प्रभु आपकी सेवा में तभी बरकत देता है तभी आपको लोगों पर अधिकारी बनाता है जब आप उसके साथ वफादार विश्वास योग्यता और ईमानदारी में खरे उतरते हो और मैंने बहुत से ऐसे परमेश्वर के सेवकों को देखा है जिन्होंने एक दुख भरा जीवन जिया जो परमेश्वर के साथ विश्वास योग्य रहे लेकिन आज वह बड़ी-बड़ी मिनिस्ट्रियों के मालिक है और लाखों लाखों लोग उनके अंडर कंट्रोल है!
याद रखिए परमेश्वर को अपनी सेवकाई के लिए विश्वासी नहीं विश्वास योग्य लोग चाहिए विश्वास तो दुष्ट आत्मा भी करते हैं और इसका उदाहरण बाइबल में है लेकिन परमेश्वर दुष्ट आत्माओं को नहीं चुनता इसलिए आप विश्वास करके प्रभु की सेवा को करें इसमें कोई योग्यता नहीं लेकिन यदि परमेश्वर के साथ विश्वास योग्य आप पूरे जीवन भर रहेंगे तो परमेश्वर आपसे अपनी महिमा भी लेगा और आपको दुनिया का मालिक भी बनाएगा जैसे कि उसने अपने वचन में कहा है धन्य है जो नम्र है वह पृथ्वी के अधिकारी होंगे!
यदि आप प्रभु की सेवा करना चाहते हैं तो विश्वासी ही नहीं बल्कि विश्वास योग्य बनिए परमेश्वर के साथ भी और दुनिया में लोगों के साथ भी तब परमेश्वर आपसे अपनी महिमा लेगा!
प्रभु आप सबको आशीष दे!