*किसी भी राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की मुख्य भूमिका होती है | जहां अपनी संस्कृति , सभ्यता एवं संस्कारों का पोषण करने का कार्य बुजुर्गों के द्वारा किया जाता है वहीं उनका विस्तार एवं संरक्षण का भार युवाओं के कंधों पर होता है | किसी भी राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का योगदान होता है इसे जानने के लिए हमको इतिहास के पन्नों को पलटना होगा | लुप्त होती हुई मानव संस्कृति को बचाने एवं धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अयोध्या के युवा राजकुमार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने रावण जैसे दुर्दांत निशाचर का वध करने का संकल्प लेकर उसका वध करके भारतीय संस्कृति का ध्वज फहराया | माता-पिता के पति एक युवा की क्या नैतिक जिम्मेदारी होती है इसका दर्शन करना है तो युवा श्रवण कुमार का चरित्र अवश्य देखना चाहिए | अपने राज्य के मद में अंधा होकर के निरंकुश बन कर प्रजा पर अनेक प्रकार के अत्याचार करने वाले मथुरा के राजा कंस का अंत युवा श्याम सुंदर कन्हैया ने किया | इसके अतिरिक्त परतंत्र भारत को स्वतंत्र करने के लिए युवाओं ने जिस प्रकार का योगदान दिया है उसको नहीं भुलाया जा सकता है | राष्ट्र का निर्माण युवाओं के कंधे पर होता है | हमारे देश के सरदार भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु , महाराणा प्रताप , पंडित चंद्रशेखर आजाद आदि युवाओं ने सिद्ध करके दिखाया है | अपने देश की संस्कृति के ध्वजवाहक स्वामी विवेकानंद जी को इस अवसर पर भला कैसे भूला जा सकता है जिन्होंने भारतीय संस्कृति , आधायात्म एवं युवा भारत का प्रतिनिधित्व विदेशी धरती पर करके भारत देश का ध्वज फहराया | स्वतंत्र भारत के इतिहास में अनेकों युवाओं ने भारत के नव निर्माण अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है , आज के युवाओं को उनसे शिक्षा ग्रहण करके नए भारत के निर्माण में अपना योगदान देते रहना चाहिए | प्रत्येक युवा किसी न किसी को अपना आदर्श मानता है और उन्हीं के क्रियाकलापों से प्रेरणा लेकर के अपने कार्य संपादित करता है | हमारे देश में आदर्शों की कमी नहीं है राम , कृष्ण , बुद्ध , वीर शिवाजी , वीर अब्दुल हमीद , वीर सावरकर एवं स्वतंत्रता के संग्राम अपना सब कुछ बलिदान कर देने वाले युवाओं को अपना आदर्श मानकर यदि आज की युवा पीढ़ी उनके पदचिन्हों का अनुसरण करें तो हमारा देश भारत पुनः सोने की चिड़िया कहे जाने के योग्य बन सकता है परंतु आज का युवा भटक गया है | हमें यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं है कि आज युवाओं ने अपने आदर्शों की ओर देखना बंद कर दिया है आज युवाओं के बदल रहे आदर्शों ने उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है |*
*आज समय परिवर्तित हो गया है ऐसा करने का सबसे प्रमुख कारण है कि जहां पूर्वकाल में हमारे देश में चरित्र ,बल , शिक्षा एवं परिश्रम को ही सफलता का मापदंड माना जाता था वहीं आज सफलता का समीकरण बदल कर रह गया है | आज के युवा भटकते हुए दिखाई पड़ रहे हैं क्योंकि आज यही देखा जा रहा है कि युवाओं के आदर्श कोई देशभक्त , महापुरुष या देवी देवता ना हो करके फिल्मों के नायक एवं नायिकाएं ही हैं | आज का युवा इन फिल्मी कलाकारों को अपना आदर्श मानकर के उन्हीं की तरह रातो रात प्रसिद्धि प्राप्त करने की सोचा करता है | इसे मृगतृष्णा ना माना जाय तो और क्या कहा जा सकता है ? सामाजिक जिम्मेदारी से अधिक आर्थिक जिम्मेदारी को ही अपना सब कुछ समझने वाले आज के युवा इसी कारण अधिकतर तनावग्रस्त भी रहते हैं | नायक - नायिकाओं के द्वारा फिल्मी पर्दे पर दिखाए जाने वाले अश्लीलता , हिंसा एवं कामुकता भरे दृश्यों को देख कर के अपने जीवन में उसी प्रकार करने का प्रयास भी करता है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" कहना चाहूंगा कि युवा वर्ग को यह बात समझनी होगी कि पर्दे की दुनिया एवं वास्तविक धरातल में जमीन आसमान का अंतर होता है | आज यह विचार करने का समय आ गया है कि युवा वर्ग देश की रीढ़ की हड्डी होता है , जिस प्रकार रीड की हड्डी में कोई रोग हो जाने पर मनुष्य सीधा नहीं खड़ा हो सकता है उसी प्रकार जिस देश का युवा मानसिक रोग से ग्रसित हो जाएगा वह देश कभी भी प्रगति नहीं कर पाएगा | यह यथार्थ सत्य है कि किसी भी देश या समाज पर आने वाले संकटों का सामना करने में कोई समर्थ होता है तो वह युवा वर्ग ही होता है | जब - जब देश पर कोई संकट आया है तब - तब उन संकटों का मुकाबला युवा वर्ग ने ही किया है | युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है | आज के युवा देश के भविष्य हैं उन्हें यह विचार करना चाहिए कि जिस प्रकार की नींव वे डालेंगे आने वाली पीढ़ी उसी प्रकार की दीवाल उसके ऊपर खड़ी कर पाएगी , इसलिए युवाओं को अपने आदर्शों के पद चिन्हों का अनुसरण करने की आवश्यकता है , अन्यथा आने वाला समय बहुत ही भयावह हो सकता है |*
*अधिकतर युवा नशे की चपेट में जाते हुए देखी जा रहे हैं जो कि अनुचित तो है ही साथ ही देश की प्रगति में भी बाधक है | युवा शक्ति राष्ट्र शक्ति के प्रयोजन को समझते हुए युवाओं को इस पर चिंतन करना चाहिए |*