लाल गुलाब ‘मरजानया’ से जीन जोग्या तक के नाम
डॉ शोभा भारद्वाज
वेलेंटाइन डे के मौके पर मुझे पाकिस्तानी इंजीनियर अहसान की
कहानी याद आई वह हमारे ईरान में प्रवास
के दौरान परिचित
भारतीय के साथ घूमने आया था | पाकिस्तान में लाहौर का निवासी ईरान में डेपुटेशन पर आया था उसकी गायनाकोलोजिस्ट भाभी भी ईरान के एक
अस्पताल में दो वर्ष तक काम कर चुकी थीं अब वह लाहौर मेडिकल कालेज में
गायनाकौलोजिस्ट थीं
| अहसान खामोश इन्सान था वह पंजाबी
मिश्रित उर्दू बोलता था मैने उसे कहा आप लाहौरिये हैं मेरी माँ कपूरथला की हैं |अब उसका लहजा बदल गया अरे भाभी आप तो
पंजाबी हैं मेरी बहन हुई पंजाब के नाम पर मैं भाभी से आपा बन गयी |पंजाबी विच गल्ला मुहं भर भर कर ( मतलब
अपनत्व से बातें ) होती हैं |उसका
दूसरा प्रश्न था अरे आपके माता पिता को आपका ब्याह करने के लिए भईया (पंजाब में
यूपी के लोगों को भईया कहते हैं ) ही मिला | पंजाबी पाकिस्तान का हो या भारत का वह पहले पंजाबी है यह प्रश्न मैने पहली बार
नहीं सुना था |मैने भी उसी के लहजे में हंस कर कहा
भईया है परन्तु बहुत अच्छा हैं मेरा अभी अभी बना भाई खुश हो गया चलो उसकी बहन सही
इन्सान से ब्याही है उसने अगला प्रश्न पूछा आपने बच्चों को मदर टंग पंजाबी नहीं
सिखाई मैने कहा मुझे ही नहीं आती | आप
लोग पंडत हो मतलब ब्राह्मण हो कहाँ के मैने बताया मथुरा के उसके मुहँ में पानी आ गया वहाँ
के पेड़े मेरा हिन्दुस्तानी दोस्त लाया था बहुत स्वाद थे |मेरी हंसी निकल गयी |
अब
वह इनसे बात करने लगा उसने बताया उसकी भाभी पठान हैं हमें हैरानी हुई पठान शादी ब्याह के मामले में बहुत
कट्टर है उसने बताया मेरे अब्बा जूनियर इंजीनियर थे बस दस दिन के बुखार में अल्ला
को प्यारे हो गये तब बड़ा भाई रफीक इंटर में था वह डाक्टरी में सिलेक्ट हो गया अम्मी ज्यादा
पढ़ी लिखी नहीं थी उन्होंने एक अस्पताल में नौकरी कर बड़ी मुश्किल से हमें पढाया
भाभी भाई साथ ही पढ़ते थे उनके अब्बा खुले विचारों के आर्मी वाले थे उन्होंने कोई अड़चन नहीं डाली पढ़ाई खत्म होते ही शादी हो गयी उस समय मैं
इंजीनियरिंग के आखिरी साल में था मेरे भाई भाभी चाहते थे मैं जियारी का इम्तहान
पास कर अमेरिका की अच्छी यूनिवर्सिटी में पढ़ने जाऊ मैं बेफिक्र किस्म का था एक दिन
दोस्तों के साथ शराब पी रहा था वहाँ शराब मिलना आसान नहीं है चोरी छिपे आपके देश
से स्मगल हो कर आती है | मेरी भाभी दनदनाती हुई आई उसने मेरे दोस्तों
को खरी खोटी सुनाई तुम्हें शर्म नहीं आती अच्छे खासे पढ़ने वाले लड़के को बिगाड़ते हो,मुझे कहा ,’मरजानेया’ तू घर चल मेरे कान पकड़ कर मुझे घसीटते हुए लायी उन्होंने घर आकर बस मेरी ठुकाई नहीं की परन्तु
जम कर फजीहत की मेरे लिए भाभी की फटकार नई नहीं थी |
भाई
भाभी अक्सर भविष्य की प्लानिंग करते रहते थे| तकदीर
से भाभी को लाहौर के मेडिकल कालेज में नौकरी मिल गयी हमारे घर में भैया भाभी के दो
जुडवा बच्चों ने जन्म लिया इससे बड़ी ख़ुशी की खबर और क्या हो सकती थी उन्होंने
अम्मी की गोद में दोनों बच्चे डालते हुए कहा अब इन्हें तुम्ही पालो | भैया का लीबिया में सिलेक्शन हो गया
भाभी को भी ईरान का आफर मिला उन्होंने मेडिकल कालेज से छुट्टी ले ली और ईरान चली
गयी दोनों का सपना था ख़ास कर भाभी का पाकिस्तान में पैसा जोड़ कर गरीब बस्ती में अपना नर्सिंग होम बनायेंगे घर में
पुश्तेनी जायदाद नहीं थी अत : खुद ही मेहनत करनी थी फिर मुझे भी उन्होंने अमेरिका
की बेस्ट यूनिवर्सिटी में पढ़ने भेजना था मैं अब मशहूर मल्टीनेशन कम्पनी में काम के साथ ही जियारी की तैयारी कर रहा था
भाभी काफी का मग लेकर मेरे सिर पर सवार रहती थीं
जरा सा आलस करते देखती उनका लेक्चर शुरू हो जाता मरजानया अब मेहनत कर ले यूएस में
चला गया सोने के निवाले खायेगा | भाभी बड़ी हंसमुख थी अम्मी की उसमें जान बसती थी | ईरान में जिन दिनों वह रहती थी जंग चल रही थी एक दिन
अस्पताल में मरीज कराह रहा था पानी – पानी
भाभी हैरान हो गयी जंग में घायल उर्दू भाषी वह समझ गयी कोई पाकिस्तानी शिया लड़का है जंग में हिस्सा लेने आया
है भाभी ने गुस्से में पूछा ओये तूं कित्थे दा( तू कहाँ का है ) कराहते हुए लडके
ने जबाब दिया स्यालकोट का हूँ यहाँ अपना वतन छोड़ कर मरने आया हैं वह अजनबी लड़का
बिना माँ बाबा से कहे शहादत देने आया था तीन दिन बाद मर गया भाभी ने उसका जनाजा उसके शहर पहुंचवाया | भाभी क्या पूरी खुदाई खिदमतगार थी |
अहसान के पास भाभी के अनेक किस्से थे | अचानक अहसान अपने घुटनों पर सिर रख कर बच्चों की तरह बिलखने लगा बड़ी
मुश्किल से शांत हुआ |आगे उसने बताया भाई भाभी देश आये वह एक
जमीन का टुकड़ा खरीदने के लिहाज से देखने गये | शाम
बीत गयी उनकी कोई खबर नहीं थी |दूसरे
दिन दोपहर के समय अस्पताल की एम्बुलेंस दरवाजे पर रुकी जिसमें भाभी पत्थर के बुत
की तरह बैठी थी गाड़ी में जनाजा था मेरे भाई का जनाजा | घर में कोहराम मच गया पता चला एक रईस
जादा दोस्तों के साथ तेज रफ्तार से गाड़ी उड़ा रहा था उसने भाई भाभी के स्कूटर पर
टक्कर मारी भाई का सिर जमीन पर इतनी तेजी से टकराया वह बेहोश हो गये अस्पताल तक
पहुंचते उसने दम तोड़ दिया |भाभी के भी चोटें थी |
भाई का जनाजा
उठा रिश्तेदार परिचितों के विलाप से दीवारें थर्रा गयी बच्चे नासमझ थे वह मेरे से
चिपके हुए थे परन्तु भाभी दीवार से टिक कर बुत बनी हुई थी उनकी आँख से एक बूंद
आंसू नहीं टपका, अम्मी ने कौर बना कर मुहं में डाले वह
उल्ट देती सभी घबरा गये |भाभी के अम्मी अब्बा से बेटी की हालत
देखी नहीं जा रही थी |एक दिन अचानक भाभी गावँ की औरतों की
तरह पश्तों में बोल बोल कर मुहं पीटते कीरने डालने लगी (बिलखने लगी) और बिलखती ही रही |भाभी के अब्बा उन्हें अपने साथ घर ले
जाना चाहते थे परन्तु वह नहीं गयी |लाहौर
में अपनी सरकारी नौकरी करने लगीं उनके जीवन का एक ही मकसद हैं गरीब लाचार औरतों की
सेवा करना | घर मे बजुर्ग इक्कठे हुए उन्होंने भाभी
पर मेरी तरफ से चादर डालने का निर्णय लिया न मैने एतराज किया न भाभी ने भाभी बुत
बनी बैठी थी मासूम बच्चे मेरी गोद में चिपके थे | मेरा दिमाग बिलकुल सुन्न हो चुका था मेरा मेरी भाभी से रिश्ता बदल
गया अब मैं इन मासूमों का अब्बू था |भाभी
उस दिन काल पर थी एक एमरजेंसी थी वह अस्पताल चली गयीं मैं कम्पनी में चला गया| मैं काफी समय से विदेश जाना चाहता था
तकदीर देखिये मुझे कम्पनी ने ईरान भेज दिया |
फ्लाईट
पर भाभी और अम्मी मुझे छोड़ने आई बच्चे मेरे से चिपके हुए थे मेरी बेटी आदत के
मुताबिक़ आँखें बंद किये थी मेरा बेटा अधखुली आँखों से मुझे देख रहा था मैने बच्चे
अम्मी को देकर अम्मी से खुदा हाफिज कहा भाभी मेरा सामान ट्राली में रख रहीं थी मैं
उनके सामने खड़ा हो गया | मैने भाभी के सिर पर हाथ रखा कभी न
झुकने वाली भाभी ने कंधे झुका लिए उन्होंने कहा ‘जीन जोगया’ ( तेरी लम्बी उमर हो |तेरे भाई तुझे दुनिया की आखिरी पढ़ाई
पढ़ाना चाहते थे जिससे तुझे हर ख़ुशी हासिल हो हमें तुम पर फख्र हो | लम्बी भाभी से मैं दस अंगुल बड़ा था
मैने उनसे कहा भाभी अपने तरीके से मरजानया कहो हर डिग्री हासिल करूगां जिसकी मेरे
प्रोफेशन में जरूरत है | भाभी ने लम्बी साँस लीं |भाभी एक दिन मैं और आप बूढ़े हो जायेंगे
बच्चे खजूर के दरख्त से भी ऊँचे होगे मैं पाकिस्तान आऊंगा आपकी आखिरात तक जियूँगा |अचानक बच्चे समझ गये मैं जा रहा हूँ वह
मेरी तरफ लपक कर चीखने लगे | मैने
अम्मी से कहा अम्मी इन्हें सम्भालो मैं हार जाऊंगा फिर मैने पीछे मुड़ कर नहीं देखा
|
मैने पूछा अब
आगे क्या हुआ ?मैं कभी पाकिस्तान नहीं गया अम्मी मेरे
बच्चों को हर छठे महीने मुझसे मिलाने लाती हैं भाभी को मैं रोज फोन करता हूँ भाभी पाकिस्तान
की गरीब मजलूम औरतों की सेवा में लगी हैं जब भी उनको फोन करता हूँ वह बताती हैं जब
भी किसी औरत का आपरेशन करती हूँ वह मेरा हाथ पकड़ कर कहती है डाक्टरनी जी बचा लो मै
कहती हूँ मेरे हाथों से आज तक कोई नहीं मरा आज तक सबको बचाया हैं पर मेरे शौहर ने
इन हाथों में दम तोड़ा था |
उनके पास मजलूम
औरतों के हजारों किससे हैं |अम्मी
को एक ही शिकायत रहती है यह किस मिट्टी की बनी है न खाने पीने की होश बस काम ही
काम |अहसान की एक ही ख्वाहिश थी वह इतना
पैसा जमा करे जिससे उसका बेटा और बेटी विदेश में रह कर उसकी सरपरस्ती में बड़ी से
बड़ी पढ़ाई पढ़ें ,जब भाभी रिटायर हो उनका गरीब बस्ती में अपना अस्पताल हो |
मेरे
पूछने पर उसने बताया घर में रफीक का फोटो लगा है बच्चे उसे रफीक कहते हैं मुझे
अब्बू मेरी अम्मी को बड़ी अम्मी पर अपनी माँ को नजमा या डाक्टरनी कहते हैं क्योकि
जब भाभी खाने पर ध्यान नहीं देती मेरी अम्मी कहती हैं अरे डाक्टरनी कुछ तो मुहँ
चला ले | कुछ समय बाद अहसान को कम्पनी ने
इंग्लैंड भेज दिया चलते समय उसका फोन आया था |आज
जब कहानी पूरी कर रही हूँ अहसान के बच्चे खजूर के दरख्त से भी लम्बे होंगे
अहसान जिम्मेदारी निभाते निभाते वृद्ध हो चुका होगा और कभी न थकने वाली डॉ नजमा
सीनियर प्रोफेसर न जाने कितनों को जिन्दगी बचा चुकी होंगी और अम्मी ?