संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कानून द्वारा तलाक -ऐ -बिद्द्त असंवैधानिक करार डॉ शोभा भारद्वाज 30 जुलाई 2019 ऐतिहासिक दिन राज्यसभा में तीन तलाक गैर कानूनी करार किया गया | राष्ट्रपति महोदय की मंजूरी से विधेयक कानून बन गया |तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “पूरे देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई। उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला। उन्होंने सभी सांसदों का आभार व्यक्त किया था|” बचपन की याद कभी मेरे जेहन से नहीं मिटी मेरे पिताजी के मित्र थे इलाहाबाद के सम्मानित व्यक्ति वह पाँच भाई थे उनकी इकलौती बहन का नाम क्या था ? अब बड़े छुटटो ,बच्चे छुटटो बुआ कहते थे खूबसूरत सलीकेदार थीं परन्तु कभी बावर्ची खाने से बाहर नहीं निकलीं घर की देहरी भूल चुकी थी | शादी हुई थी शौहर ने एक दिन घर के दरवाजे पर खड़े होकर तीन बार तलाक कह कर निकाह की जंजीर तोड़ दी | बेजुबान बुआ का कसूर क्या था ?उनकी माँ कहती थी तकदीर ऐसे अनेक किस्से हैं औरत बड़े प्यार से गृहस्थी बनाती है तीन बार तलाक ,तलाक ,तलाक का अधिकार मर्द को घर से बाहर का रास्ता दिखा देता है उसका अपना सब कुछ पराया हो जाता है | अक्सर बच्चे भी उसकी झोली में दिए जाते थे | इंस्टेंट ट्रिपल तलाक पर ऐतिहासिक फैसले नें भारत को उन 22 देशों की सूची में खड़ा कर दिया जहाँ एक मुश्त में तीन तलाक को वैध नहीं माना जाता इसमें पाकिस्तान बंगलादेश और अफगानिस्तान भी हैं लेकिन इस दिशा में पहला कदम ईजिप्त में उठाया गया था |दिन मंगलवार तारीख 22 अगस्त 2017 , सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस दिन को महत्व पूर्ण बना दिया ,मुस्लिम महिलाये भय मुक्त हो गयी अब उनका शौहर क्षणिक आवेश में तीन बार एक मुश्त में तलाक कह कर रिश्ता तोड़ नहीं सकता निकाह धूमधाम से दावत खिलाकर दहेज के साथ ,तलाक फोन ,वाट्सएप मेसेज , स्पीड पोस्ट या बंद कमरे में बिना कारण बताये ? मौलाना ट्रिपल तलाक को गुनाह कहते हैं लेकिन धर्म का सहारा लेकर तर्क देते हैं एक बार तीन तलाक हो जाने पर तलाक लौट नहीं सकता तलाक तो हो गया| 1937, ब्रिटिश हकूमत के समय भारत में ‘मुस्लिम पर्सनल ला एप्लीकेशन एक्ट पास हुआ था’ ब्रिटिश सरकार की कोशिश थी भारत की बिभिन्न संस्कृतियों की प्रचलित प्रथाओं और मान्यताओं के अनुसार राज चलाया जाये इससे शासन पर पकड़ मजबूत हो सकेगी | मुस्लिमों की शादी, तलाक, और विरासत व् पारिवारिक विवादों के फैसले इसी एक्ट के अनुसार होंगे उनके व्यक्तिगत मामलों से सरकार अलग ही रहेगी | आजादी के बाद संविधान निर्मातों ने मुस्लिम पर्सनल ला एक्ट को उसी रूप में स्वीकार कर लिया जब भी ट्रिपल तलाक का विरोध हुआ मौलानाओं ने उसी कानून और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की दुहाई दी उनका तर्क है विश्व के हर राष्ट्र में नागरिकों को अपने धर्म के अनुसार आचरण करने का अधिकार है | कानून आसानी से पास नहीं हुआ था जम कर बहस हुई थी विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है। इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद कभी तीन तलाक का समर्थन नहीं किया था ।कुरान में इंस्टेंट तलाक का कहीं जिक्र नहीं है| हाँ यदि शौहर और बीबी में मनमुटाव हो जाये एक साथ रहना सम्भव न हो तो नियमानुसार तलाक हो सकता है दोनों ही पक्षों का एक – एक जज नियुक्त किया जायेगा वह दोनों के झगड़े के कारण सुन कर सुलह करा सकते हैं लेकिन फिर भी यदि बात न बनें शौहर को पत्नि के पाक होने का एक महीना इंतजार करना पड़ेगा | सम्मानित लोगों को गवाह बना कर उनके सामने पत्नी को पहला तलाक दे | तीन तलाक तक तीन महीने पत्नी शौहर के घर पर रहेगी लेकिन उनके आपस में सम्बन्ध नहीं होंगे यदि पत्नी हामला है तब बच्चे के जन्म तक उसके खर्च शौहर को उठाने पड़ेंगे इस बीच दोनों परिवारों के लोग उनमें सुलह कराने की कोशिश करें यदि सुलह हो जाये दोनों साथ रह सकते है लेकिन इसकी सूचना गवाहों को देनी पड़ेगी यदि सुलह न हो दूसरा तलाक फिर गवाहों के सामने दिया जायेगा सुलह की कोशिश जारी रहेगी तीसरे महीने तीसरा तलाक कहने पर रिश्ता खत्म माना जाएगा तलाक देने का अधिकार मर्द को ही है | केवल दो बार तलाक के बीच में सुलह हो सकती है तीसरी बार नहीं इसी को एक मुश्त तीन तलाक मान लिया | ट्रिपल तलाक से ही एक कुप्रथा हलाला जुड़ गयी शौहर को महसूस हुआ उसकी गलती थी उसने जल्द बाजी में अपने बच्चों की माँ से नाता तोड़ लिया |अब हलाला द्वारा ही तलाक शुदा बीबी अपने पहले शौहर के पास लौट सकती है इसके लिए औरत को दूसरे मर्द से शादी कर उसके साथ रहना पड़ेगा यदि फिर तलाक हो जाए तभी वह पहले शौहर के पास लौट सकती हैं मजबूरी में बच्चों की खातिर हलाला को मानसिक कष्ट के बावजूद स्वीकार कर लेती हैं | खता मर्द की थी सजा औरत को मिली | लेकिन यदि औरत शौहर से तलाक चाहती है इसके लिए खुला का विधान है लेकिन तलाक का अधिकार मर्द की रजामंदी से औरत को मिलेगा |महिलाओं को कितनी भी हक देने की दुहाई दी जाये लेकिन मर्द की तरह तीन बार तलाक कह कर निकाह तोड़ने का अधिकार उसे नहीं है | सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक से सम्बन्धित मामले की सुनवाई अलग –अलग धर्मों को मानने वाले पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा की गयी इनमें तलाक –ए –बिद्दत, हलाला, बहुविवाह और मुताह विषय भी थे| छह दिन तक लगातार सुनवाई जारी रही हरेक दलील को सुना गया अंत में सुप्रीम कोर्ट के पाँचों जजों ने बहु चर्चित मामले पर अपना फैसला सुनाया गया पहले चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने तीन तलाक को धार्मिक प्रक्रिया और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मुद्दा माना, इस पर कानून बनाने का काम सरकार का है लेकिन छह माह में कानून बन जाना चाहिए इस अरसे में ट्रिपल तलाक नहीं होंगे यही निर्णय मुस्लिम जज का था एक बार सब खामोश हो गये दो जजों ने तलाक को संवैधानिक माना लेकिन तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दिया अर्थात आज से एक मुश्त ट्रिपल तलाक खत्म | महिलाओं में ख़ुशी छा गयी हर धर्म की महिलाओं ने अपनी मुस्लिम बहनों को मुबारक बाद दी जो महिलायें अपने पर होने वाले जुल्म पर जुबान सिल चुकी थीं बरसों से डर के साये में गृहस्थी बसाने वाली महिलाओं की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था कोर्ट ने अपना जजमेंट केवल तलाक –ए बिदद्त पर दिया |तलाक के दूसरे तरीके तलाक –ए-अहसन और तलाक-ए हसन जारी रहेंगे |सरकारों ने कभी विषय को छेड़ने की कोशिश नहीं की विषय वोट बैंक से जुड़ा था मोदी सरकार ने पहले जनमत बनाया अनेक पीड़ित महिलाएं एवं महिलायें संगठन एवं सामाजिक संस्थाएं आगे आये तीन तलाक के विरोध में जनमत बना जबकि विरोधियों की भी कमी नहीं थी | अब 82 % ट्रिपल तलाक के मामले खत्म हो गये | ट्रिपल तलाक देने पर सजा का सख्त प्रावधान है |