प्यारे कान्हा तुम्हे
गोकुल कि छाछ बुलावे
साबुत मटकी , गुलेल बुलावे
गोप बुलावे , गोपिया बुलावे
राधा का रास बुलावे
आ जाओ कन्हैया
हमारी मान मनुवार बुलावे
आखो में आँसू भर भर के
गोकुल के नन्द बुलावे
जमुना का तट बुलावे
पीपल का पेड़ बुलावे
जामुन का पेड़ रोए ,
तुम्हारी याद मे
कौन उसको समझावे
कौन हमें तुम बिन
झूला झुलावे
अमवा कि डाली पे बैठी
कोयल बुलावे
बाल सखा बुलावे
माँ के हाथ का माखन बुलावे
हमारे ह्रदय का प्यार बुलावे
इस कलयुग मे हमको तारने वाले
तुम्हे रो रो कर हर कोई बुलावे