दर्द मे डूबा हुआ चाँद है ,
जख्म लेकर सीने पे , तेरी गलियों मे फिरते है सितारे
कोई तो हो जो इनको , दर्द के पार उतारे
क्या गुनगुना रहे हो तुम
इस नन्ही "ग़ज़ल" के
शब्द बिखरे हुए है सारे
कोई तो हो जो इनको , सही से कागज़ पर उतारे