तेरी जुस्तजू में मरने को जिन्दगी कहता हु
तेरी आरजू मे जीने को बन्दगी कहता हु
मै कल तक जियूँगा नहीं
आज मे जीने को जिन्दगी कहता हु
तुझ से बिछड़ के जीना , मेरा नसीब ना हो
मै - तेरे साथ जीने को जिन्दगी कहता हु
तेरी मोह्बत और मेरी मोह्बत
एक मजहब बन जाए
काटो को छुए हम , तो गुलाब बन जाए
पीर के मन्दिर मे दुआ को बन्दगी कहता हु
मै - तेरे प्यार को जिन्दगी कहता हु
मेरे आँसू तुझे , मेरे प्यार का अहसास करा देंगे
मै तेरे लिए खुद को ,
साबित करने को ज़िन्दगी कहता हु
आजा मेरी बाहो में , यू तन्हा रहना अच्छा नहीं
गुजर जाए जो जिन्दगी तेरी बाहो में
मै उस जिन्दगी को जिन्दगी कहता हु