आओ की फिर से तन्हा हु मैं
मेरी रूह चली गई है मेरे जिस्म को छोड़कर
चाँदनी रात मे आना तुम
मेरी परछाई ओढ़ कर
मुझको गमो ने मार ही डाला है
तुम लाना मेरे लिए कोई खुशी खोजकर
मैं इन तन्हा और अन्धेरे रास्तो पर पहले भी तो चलता था
कोई नहीं था अपना लेकिन जीवन तो फिर भी चलता था
आ भी जाओ अब मेरे जीवन मे तुम उजाला बनकर
हम इस डर से अब किसी का हाथ नहीं पकड़ते
कौन फिर से आँखों मे आँसू लेगा यार से बिछड़कर
आओ की फिर से तन्हा हु मै