कभी किसी से ना मोहबत करूँगा
दिल सलामत रहे बस यही दुआ करूँगा
अपने होठो से ना तेरा नाम लूँगा
जब भी आएगी तेरी याद
अपनी परछाई से लिपट के रो लूंगा
मैं क्यूँ मोहब्त पे इल्जाम लूँगा
जब तलक जियूँगा तन्हा रहूँगा
दिल सलामत रहे बस यही दुआ करूँगा
लोग जाते है मन्दिर ऊपर वाले से कुछ मांगने
मैं हर दुआ तेरे लिए करूँगा
हमने तो हर पल मरना सीखा है
जिन्दगी ने भी हमे रुलाना सीखा है
मौत आती नहीं हमे, तो हम क्या करे
दुआ अपने मरने की अब करूँगा
दिल सलामत रहे..........
कत्ल होने की ख्वाहिश हो आई है
मेरे महबूब आ मुझे फ़ना कर दे
चाक जिगर के पार खंजर कर दे
जिस्म मे बहता है तेरे प्यार का लहू
जिस्म से इसे बाहर कर दे
मेरी जिन्दगी के वैसे भी अब क्या मायने
जब भी मरूँगा तन्हा मरूँगा
दिल सलामत रहे बस यही दुआ करूँगा