मै दर्द मै लिपटी हुई इक रात हु
आँखों से बरसती हुई बरसात हु
मुझको गले से लगा लो आज
अपने आप से बिछड़ी हुई रीत हु
मेरा कोई नहीं तुम्हारे सीवा
मै बस तुम्हारी प्यारी प्रीत हु
मुझको अपनी बाहो मे उठा लो
मै गिर चुकी एक ईमारत हु
मुझको अपना समझो तो अहसान होगा
मै प्यार को तरसी हुई मोह्बत हु
मुझ से दूर जाओगे तो रह ना पाओगे
मानो या ना मानो तुम , मगर यही सच है
मै तुम्हारी पुरानी एक आदत हु
देखो मेरी नज़रो मे और पढ़ लो तुम
जो भूल गए हो तुम आजकल पढ़ना
प्यार का हसीन पाठ
मै वो भूली हुई प्यार कि एक किताब हु
मेरे बिस्तर कि सलवटे कह रही है
कि तुम घर आकर गए हो
बिता लेते कुछ पल मेरे साथ
तो तुम्हारा क्या जाता
मै तुमसे दूर जा रही , तुम्हारे घर कि जीनत हु
मै दर्द मे.................................