और सब कुछ लगाना
इश्क़ का रोग ना लगाना
केसर कस्तूरी है ये माया
भूल के भी इसको अंग ना लगाना
चाहे बनो चिराग चाहे बनो दीया
कभी किसी के घर को आग ना लगाना
ये जिस्म एक सफ़ेद लिबास है
भूल से भी इस पे दाग ना लगाना
खंजर की फसल बोते है
चंद सिक्को के लिए मजहबी दुश्मन
मेरे दोस्त , तुम गले अपने ऐसे नाग ना लगाना