अरबों रूपये की गैस चोरी करने के मामले में मुकेश अम्बानी और मोदी सरकार आमने-सामने
नई दिल्ली : रिलायंस और ONGC के गैस विवाद में नया मोड़ आ गया है। रिलायंस ने उस रिपोर्ट को मानने से ही इंकार कर दिया है जिसमे यह बात सामने आई थी कि ONGC के ब्लॉक से रिलायंस ने गैस चुराई थी। रिलायंस का कहना है कि ऑइल ऐंड नैचरल गैस कॉर्प (ओएनजीसी) की फील्ड से गैस निकालने के अपने खिलाफ आरोपों की जांच कर रहे पैनल के पास इसकी जाँच करने का अधिकार ही नही है। ओएनजीसी ने रिलायंस पर आरोप लगाया था कि उसने ONGC के ब्लॉक से गैस निकाली है। ओएनजीसी ने बताया था कि रिलायंस ने उसके ब्लॉक्स के कॉमन बाउंड्री के बहुत नजदीक कुएं खोदकर गैस निकाली है। रिलायंस की पार्टनर निको रिसोर्सेज ने भी पैनल और पेट्रोलियम मिनिस्ट्री से कहा है कि सरकार को इस विवाद में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि इस मामले की तकनीकी जाँच कर रही संस्था डी एंड एम ने पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मिनिस्ट्री को अक्टूबर में सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि ओएनजीसी के गैस ब्लॉक के बगल में बनाये गए रिलायंस इंडस्ट्री के ब्लॉक से ओएनजीसी कागैस उत्पादन न सिर्फ प्रभावित हो रहा है और गैस का लाभ रिलायंस को मिल रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि रिलायंस के ब्लॉकों की मौजूदगी से ONGC का तकरीबन 11.12 घन मीटर गैस जिसकी कीमत तकरीबन 11,055 करोड़ है, प्रभावित हुआ है जिसका प्रवाह रिलायंस के गैस ब्लॉक की तरफ हुआ है।
रिलायंस का कहना है कि इसके लिए एक आर्बिट्रेशन कमेटी बनाई जानी चाहिए। यही नही रिलायंस ने पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के कमेटी बनाकर इसका हल सुलझाने को भी गलत बताया है। सूत्रों के अनुसार रिलायंस ने शाह को लिखे पत्र में यह कहा कि रिलायंस ('आरआईएल) यह नहीं मानता कि इस मामले में सरकार एक कमिटी नियुक्त कर सकती है या वह कमिटी बनाकर विवाद से निपट सकती है।