कोर्ट ने CBI से किया सवाल, 'क्यों हुई केजरीवाल के दफ्तर में छापेमारी'
इंडिया संवाद ब्यूरो दिल्ली : केजरीवाल के दफ्तर में हुई छापेमारी व दस्तावेज जब्त करने पर CBI की विशेष अदालत ने नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने CBI से पूछा है कि मुख्यमंत्री के दफ्तर में छापेमारी और दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल के निर्णय से संबंधित दस्तावेजों को जब्त करने में तय मानदंडों का पालन किया गया है या नहीं. CBI को 15 जनवरी तक अदलत मे अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है. गौरतलव है हाल ही मे CBI ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के खिलाफ दर्ज मामले में दिल्ली सचिवालय मे उनके दफ्तर और आवास पर 15 दिसंबर को छापेमारी की थी. इसी छापेमारी के दौरान CBI ने मुख्यमंत्री के दफ्तर से भी दस्तावेज जब्त किये थे. पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष न्यायाधीश ने यह आदेश दिल्ली सरकार की ओर से जब्त दस्तावेजों की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर विचार करते हुए दिया है. अदालत ने CBI को यह भी बताने के लिए कहा है कि जब संबंधित मामले में उन्हें वर्ष 2007 से 2014 के बीच के दस्तावेजों की जांच करनी थी तो इसके बाद के दस्तावेजों को क्यों जब्त किया गया. जबकि ये दस्तावेज वर्ष 2015 के मंत्रिमंडल के निर्णय से संबंधित हैं. दिल्ली सरकार की ओर अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अर्जी दाखिल कर CBI को सरकारी फाइल वापस करने का निर्देश देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि इन फाइलों की वजह से सरकार का कामकाज बाधित हो रहा है. विशेष अदालत ने 23 दिसंबर को CBI से सभी जब्त दस्तावेजों की फोटो कॉपी सरकार को मुहैया कराने का आदेश दिया. केजरीवाल का आरोप अपने दफ्तर में छापेमारी की जानकारी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट करके खुद दी थी. उन्होंने CBI पर केंद्र सरकार के इशारे में काम करने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह दिल्ली जिला क्रिकेट संघ से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले से संबंधित दस्तावेजों को जानने के लिए प्रधान सचिव के बहाने उनके दफ्तर पर छापेमारी हुई.