संसद का हिसाब-किताब : 55 घंटे बर्बाद, 10 करोड़ का नुकसान, नही हुआ GST पास
इंडिया संवाद ब्यूरो नई दिल्ली : 26 नवम्बर को शुरू हुआ संसद का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो गया। संसद इस बात भी राजनीतिक पार्टियों के निजी हितों का ही मंच बना रहा। विपक्ष ने हमेशा की तरह कभी असहिष्णुता तो कभी नेशनल हेराल्ड जैसे मुद्दों पर हंगामा खड़ा कर कई अहम् बिलों को पास होने में अडंगा डाल दिया। देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम् समझा जा रहा GST बिल भी विपक्ष के हंगामे के बीच धुल गया। संसद ने 87 घंटे गैर- वैधानिक काम में गुजारा जुवेनाइल जस्टिस बिल भी लोकसभा में मई में पास होने के बावजूद राज्यसभा ने जन दबाव ने आकर पास किया। जबकी इस बिल को लेकर सीपीएम और जेडीयू जैसी पार्टियों ने विरोध दर्ज किया था लेकिन जन भावनाओं के दबाव वह भी इस बिल को रोक न पाया। राज्यसभा में बर्बाद हुए 55 घंटे संसद के उपरी सदन की बात करें तो राज्यसभा में जहाँ सरकार के पास बहुमत नही है। वहां विपक्ष का सर जमकर दिखा और उसके हंगामे की वजह से सदन के 55 घंटे बर्बाद हो गए। उसे इस सत्र में काम करने के लिए 112 घंटे दिए गए थे। सरकार की बहुमत वाली लोकसभा में भाजपा को बहुमत हासिल है और वहां इस पार्टी ने 115 घंटे काम किया जबकि उसे यहाँ 114 घंटे मिले थे। संसद के हर एक सदन को चलाने के लिए 29 हज़ार रुपए प्रति मिनट का खर्चा बैठता है। राज्यसभा में घंटों का नुकसान होने की वजह से राजकोष को 10 करोड़ का नुकसान पहुंचा। लोकसभा में 14 बिल पास किए गए और 104 प्रतिशत उत्पादन क्षमता दर्ज की। राज्यसभा ने 9 बिल पास किए और 46 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी दर्ज की गई। पिछले साल संसद में लाए गए जीएसटी बिल ने इस बार भी राज्यसभा में विचाराधीन रहा।
संसद के काम काज पर नजर रखने वाली एजेंसी पीआरएस के मुताबिक लोकसभा ने करीब 50 घंटे गैर वैधानिक काम में बिताए, वहीं 33 घंटे वैधानिक कामकाज में बीते। राज्यसभा में गैर वैधानिक काम में 37 घंटे और वैधानिक काम में 10 से भी कम घंटे बिताए गए। अपने तयशुदा घंटों में से 64 प्रतिशत वक्त निचले सदन ने गैर वैधानिक काम में बिताए।
लोकसभा ने 14, राज्यसभा ने 9 बिल पास किये