सवाल : गाय की नर प्रजाति को यातना देने की मोदी सरकार ने आखिर क्यों दी मंजूरी ?
चेन्नई : बीफ पर बैन लगाने की तरफदारी करने वाली केंद्र सरकार ने आखिरकार तमिलनाडु में चुनाओं के मद्देनजर एक ऐसे खेल को मंजूरी दे दी जिसमे गाय के नर प्रजाति को बड़ी यातना दी जाती है। इस खेल का नाम जलिकट्टू है। 2011 में इस खतरनाक खेल पर लगी थी रोक 2011 में सरकार ने सांडों को किसी तमाशा या प्रदर्शनी का हिस्सा बनने पर रोक लगा दी थी। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के इस आदेश को सही बताया था। केंद्र की मोदी सरकार ने खेल जल्लीकट्टू को मंजूरी देने की अधिसूचना जारी कर दी है। तमिलनाडु में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं इसके मद्देनजर इसे राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। तमिलनाडु में बीजेपी काफी कमजोर है इसलिए इससे बीजेपी को लाभ मूल सकता है। कई हिन्दू संगठनों की मांग थी कि इस खेल को दुबारा शुरू किया जाना चाहिए। पशु अधिकार समूहों की आपत्तियों के बावजूद इस खेल को मंजूरी दी गई है। केंद्र ने क्या कहा अधिसूचना में केंद्र की अधिसूचना में कहा गया है कि भालू, बंदर, बाघ, चीते और सांड़ को प्रदर्श पशुओं (परफॉर्मिं एनिमल) के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित नहीं किया जाएगा। इसमें कहा गया, 'हालांकि किसी समुदाय के रीति रिवाजों या परंपराओं के तहत तमिलनाडु में जल्लीकट्टू और महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और गुजरात में बैलगाड़ी की दौड़ जैसे कार्यक्रमों में सांडों को प्रदर्श पशु के तौर पर प्रदर्शित या प्रशिक्षित करना जारी रखा जा सकता है। 200 से ज्यादा लोग गँवा चुके हैं जान पशु रक्षा संगठनों का कहना है कि इस खेल में शामिल किए जाने वाले सांडों पीटे जाने, उनके शरीर में नुकीले औजार घुसाने और बिजली के झटके दिए जाते हैं जिससे कई बार इनकी हालत नाजुक हो जाती है। इनका मानना है कि इस खेल में भाग लेने वाले करीब 95 फीसदी लोग, अनपढ़ और बेरोजगार ग्रामीण युवा होते हैं, जोकि सिर्फ जानवरों के साथ निर्दयता दिखाते हैं बल्कि अपनी जान भी जोखिम में डालते हैं। पिछले दो दशक के दौरान 200 से ज्यादा लोग इस खेल में अपनी जान गंवा चुके हैं।