12 साल, 12 टुकड़े : बाप के कत्ल का 12 साल बाद यूं लिया बदला
मोरादाबाद: तब वह महज 12 साल का था। एक पारिवारिक मित्र को उसने पिता की हत्या करते हुए देखा था। यह सच मानने और इस घटना को समझने में उसे 12 साल लग गए। इन वर्षों में एक पल के लिए भी वह यह सब भूल नहीं पाया। हर वक्त उसके अंदर बस एक ही ख्याल उमड़ते-घुमड़ते, मुझे बदला लेना है। बदले की इस आग को उसने कभी ठंडी नहीं पड़ने दी। आखिरकार, 16 दिसंबर को उसने उस इंसान को शराब पीने के लिए घर बुलाया और मार डाला। शरीर के 12 छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए चेहरे पर थी सुकून भरी मुस्कराहट मुघापुरा पुलिस स्टेशन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए 24 वर्षीय उस युवक के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कराहट तैरती दिख रही थी। उसने बताया, "पिछले 12 साल से सोते-जागते मैं जो सपना देखता था, अब जाकर पूरा हो पाया है। मैं खुश हूं कि आखिर मैंने यह कर दिखाया।" इतने साल तक हत्यारे की पहचान उसने खुद तक ही सीमित कर रखी थी। ताकि पिता के हत्यारे का अंत वह कुछ इसी अंदाज में कर पाए। पुलिस अधीक्षक (शहरी) राम सुरेश यादव ने बताया कि खान ने अपना अपराध कुबूल कर लिया है। उसे इसका बिल्कुल भी पछतावा नहीं है। चाकू और हथौड़े का किया प्रयोग मृतक का मोबाइल और सिम कार्ड सहित उसे मारने के लिए प्रयोग किए गए हथियार भी खान के पास से बरामद कर लिए गए हैं। हत्या के बाद उसके शरीर के 12 छोटे-छोटे टुकड़े करने के लिए जिस चाकू और हथौड़े का प्रयोग किया गया, उसे भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। बाॅडी के टुकड़ों के बीच गायब था धड़ खोलना चाहता था अपने अंदर दबा राज पुलिस ने जब खान के घर की तलाशी ली तो उन्हें न केवल खान के दोषी होने का पता लगा बल्कि इस बाबत जानकारी देने की उस युवक की उत्सुकता भी नजर आई। मानो सदियों से अपने अंदर दबा राज वह आज खोलना चाहता हो। बताना चाहता हो कि आखिर उसने यह हत्या क्यों की? गाना बजाकर किए 12 छोटे-छोटे टुकड़े
यह कहानी है 24 साल के आलम खान की। सोमवार को पत्रकारों से इस बारे में बताते हुए उसके चेहरे पर तनिकमात्र भी अफसोस नहीं था। उसने उसके शरीर के 12 छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए क्योंकि 12 साल तक उसने प्रतिशोध की आग झेली थी इसलिए हर एक साल के बदले उसकी बाॅडी का एक टुकड़ा।
छोटे-छोटे 12 टुकड़ों में बंटी यह बाॅडी 16 दिसंबर को रामगंगा नदी के किनारे मिली थी। पुलिस को मृतक की पहचान करने में थोड़ा समय लग गया क्योंकि बाॅडी के टुकड़ों के बीच धड़ गायब था। बाद में एक स्थानीय निवासी अमीर हुसैन ने छाती पर सर्जरी के निशान देखकर बाॅडी की पहचान की और बताया कि वह उसके भाई मोहम्मद रईस की बाॅडी है। हुसैन ने पुलिस को बताया कि अंतिम बार उसने अपने भाई को आलम खान के घर रिपेयरिंग का कुछ काम करने के लिए जाते हुए देखा था, उसके बाद वह नहीं लौटा।
पुलिस को रईस के अंदर 12 साल से दबा गुस्सा साफ नजर आ रहा था, जो पिता की हत्या करते हुए देखकर उसके अंदर अब तक उमड़-घुमड़ रहा था। पिता का बदला लेने वाले 24 साल के इस युवक की तकलीफ समझ कर शोएब कलाम ने उसकी मदद भी की। रईस ने पत्रकारों को बताया, "हत्या के बाद मैंने तेज आवाज में गाना बजा दिया और उसके शरीर के 12 छोटे-छोटे टुकड़े किए। उसके बाद हमने उसके शरीर के टुकड़ों को एक पाॅलीथिन में भरकर नदी किनारे फेंक दिया।"