७४ साल व्यतीत हुए- कहते परतंत्र नहीं हैं
स्वतंत्रता महोत्सव मनाते पर स्वतंत्र कहाँ हैं
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
राजनीतिक आजादी मानते हमने पाई है
आर्थिक स्वतंत्रता लाने की सपथ खाई है
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
☆★★☆☆★★☆☆★★☆☆★★☆
अब हम सब भारत के वासी जाग चुके हैं
कोरोना ऐसा कई कहर हम- झेल चुके हैं
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
चेतो जालिम चीन अधम अनैश्वरवादि
स्वदेसी हैं हम गये भाड़ में टोपी-खादी
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सुनो कान खोल- कैलाश-
मानसरोवर अविलंब लौटा दो
वरना सिंधाई-बुहान शहर बाढ़-
भू-स्खलन में बहवा दो
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
लड़ाकू राफेल विमान अब
भारत हैं पहुँचे
जल महाप्रलय देख भी
समझ कर तुम रे चेते
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
ताण्डव नर्तन की मुद्रा-
शिव पग थिरक रहे हैं
त्रिनेत्र खुले- पूर्व इसके
पड़ोसी नहीं चेत रहे हैं
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आजादी हम इस बार
हम कल घर-घर मनायेंगे
"तिरंगा प्यारा" उँचा हर
हिन्दुस्तानी फहरायेगा
वंदे मातरम्! बंदे मातरम्!!
चहुँदिसी गुँजाएगा
बहुत जल्द हम तेरी छाती पर
चढ़ कर तुझे खा जायेंगे
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
कारगिल पुलवामा तुमने भी
देखा समझा होगा
ठहर, अब तुझे दुनिया के
नक्शे से उठना होगा
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🇮🇳
दो करोड़ पार विश्व के
दग्ध कुपित आज हैं
आठ लाख इहजगत् से
कूच किए मचा हाहाकार है
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
चेत ओ अधम चीन,
सारे मानववादी एक हो जुटे खड़े हैं
मायाद्विप के युद्ध पोत
महासागर तल से तुझे लक्ष्य किए हैं
🇮🇳🇮🇳 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🇮🇳🇮🇳