बारामती का शेर....
बारामती के लोंगों ने बस एक ही नाम को है पूजा
शरद पवार नाम मान्यवर हर गली शहर में है गूँजा
साहब महाराष्ट्र की धरती पर ऐसा नाम कहाँ है दूजा
राजनीति गलियारे में भी वही नाम जाता है पूजा।
बड़े महारथी पाँव चूमते झुक झुककर भाई जिसके
गाथा क्या गाऊँ मैं भाई उसके चरित्र की महिमा के
बोल कभी बड़ बोलन के भाई लगे नहीं हैं काका के
जिसने उनको अपना समझा वे बने रहे उन सबके।
प्रणय बंधन से पहले जिसने एक बच्चे का प्रण किया
प्रतिभा ताई धन्य हो गई पति का पूरा संकल्प किया
दुहिता प्रिया को पाकर के निज जीवन कर्म सम्पूर्ण किया
बेटी को ही बेटे जैसा सदा दोंनों ने ही सम्मान दिया।
धन्य हुए गुरु द्रोण को पाकर जिसने नया मुकाम दिया
राजनीति के गलियारे में दादा शंकर ने पहचान दिया
शुरू हुआ जो फिर कारवां उसे नया आयाम मिला
मुख्यमंत्री के सिंहासन से राजनीति को एक भीष्म मिला।
सोच समझ अदम्य साहस के धनी हैं शरद पवार जी
चार बार मुख्यमंत्री पद का धारण किया है ताज जी
जैसे होनहार विरवान के तो होत हैं चिकने पात जी
वैसे ही शरद जी के हाथ में सोहे राजनीति की डोर जी।
स्वास्थ्य पर इनके ग्रहण लगा और व्याधियों ने जब घेरा
डॉक्टरों ने छह महीनें का समय दिया सोचा न होगा सवेरा
कर्क रोग को मात दे दिया और लगा दिया जज़्बे का पहरा
बारामती का शेर थक गया पर तन मन से कभी न हारा।
"दादा अजीत पवार जिसे कहते हैं काका
भाई वे राजनीति के सबसे बड़े हैं आका
दिल्ली सिंहासन भी देख जिसे था कांपा
ऐसे दबंग नेता जिनका दल है राकांपा.।"
➖ अशोक सिंह 'अक्स'
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