अनमोल वचन ➖ 4
दाता इतना रहमिए, कि पालन-पोषण होय
पेट नित भरता रहे, अतिथि सेवा भी होय।
दीनानाथ हैं अंतर्यामी, सहज करें व्यापार
बिना तराजू के स्वामी, करें हैं सम व्यवहार।
सबकुछ तेरा नाम प्रभु, इंसा की नहीं औकात
पल में राजा तू बनाए, पल में रंक बनि जात।
नाथ की लीला निराली,क्या स्वामी क्या माली
बाग की रक्षा माली करे, जग की रक्षा स्वामी।
एक कड़ी जुड़े दूजे से, नर नर से करे मिताई
कृपा भये जगबंधन छूटे, जग की करे भलाई।
भगवन के रंग रूप में, सब घट रही समाय
जैसे फूलों के रंगरूप में,खुशबू लखि न जाय।
➖ अशोक सिंह 'अक्स'
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