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भारत का स्विट्जरलैंड

19 नवम्बर 2020

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भारत का स्विट्जरलैंड


एक लंबे अरसे के बाद मातारानी के यहाँ से बुलावा आ ही गया। हमनें मातारानी वैष्णोदेवी का दर्शन करने के पश्चात दूसरे दिन हमनें कटरा से ही अगले सात दिन के लिए ट्रैवलर फोर्स रिजर्व कर लिया था। कटरा से सुबह हम सब डलहौजी के लिए रवाना हुए थे। नवंबर माह का अंतिम सप्ताह चल रहा था। सैलानियों का जबरदस्त जमावड़ा था। जम्मू माधोपुर वाया पठानकोट होते हुए हम लोग शाम सात बजे के लगभग डलहौजी पहुँचे थे। सफर के दौरान सिर्फ नाश्ता, दोपहर के भोजन के लिए रुके थे। हाँ, और एक जगह चिंचवटी माता के मंदिर का दर्शन करने के लिए रुके थे, नहीं तो पूरे बारह घंटे का सफर। उफ! कितना घुमावदार रास्ता। हम कुल मिलाकर नौ लोग थे। जिसमें से दो लोंगों को छोड़कर बाकी सभी को उल्टियाँ होने लगी थी।
डलहौजी में सुभाष चौक के पास होटेल बुक किया गया था पर सुविधाजनक न होने के कारण हमनें वहाँ से खज्जियार के लिए कूच कर दिया। लक्कड़मंडी होते हुए अँधेरी रात में घुमावदार-चक्करदार सड़क से होते हुए रात साढ़े दस बजे खज्जियार पहुँचे थे। वहीं एक होटेल में मुकाम किया गया। तीन कमरे में हम नौ लोग ठहरे थे। वैसे देखा जाए तो पूरे होटेल में सिर्फ हमी लोग थे। दरअसल सैलानियों के ज्यादातर जमावड़ा डलहौजी में ही होता है, डलहौजी वहाँ का प्रमुख स्थान है जहाँ सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। खज्जियार में आपको दूर-दूर तक जंगल अर्थात देवदार के वृक्ष व खाइयों के सिवा कुछ नहीं दिखाई देता है। शायद इसीलिए लोग खज्जियार में नहीं रुकते या फिर वे ही रुकते हैं जिन्हें प्रकृति की गोद में रहना अच्छा लगता हो।सुबह का नज़ारा गजब का था। कभी हमनें सपनें में भी ऐसे नज़ारे के बारे में नहीं सोचा था। अदभुत..! जिस होटल में हम ठहरे थे उसकी खिड़की से जो बर्फ का नज़ारा दिखा... वो लाजवाब था। होटल भी लकड़ी का बना हुआ। किसी भी कमरे में पंखा नहीं लगा था। होटेल में पहुँचते ही हमारे अभिन्न मित्र गिरीश भाई (चिम्पांजी) ने मिश्रा जी से पूछा, 'यार कैसी घटिया जगह है..? कहने के लिए होटेल है और कमरे में न ऐसी है और न पंखा है।'
बात मेरे तक आई तो मुझे भी थोड़ी हैरानी हुई। मैंने मैनेजर से पूछा, "भाई कमरे में पंखे नहीं हैं, लोग कैसे रहते होंगे..?
मैनेजर ने कहा, "गर्मी में भी ठंडी पड़ती है, दिसंबर से फरवरी-मार्च तक सबकुछ बंद रहता है। तीन से चार महीनें इतना बर्फबारी होता है कि रास्ते बंद होते हैं।"
खैर इसका प्रमाण हमें दो घंटे बाद मिल गया। होटल का कंबल पर्याप्त नहीं था, हमें अपना कंबल भी निकालना पड़ा और जैकेट पहनकर सोए। दरअसल सोए क्या सिमटकर कंपकपी के साथ कब आँख लग गयी पता ही नहीं चला। और इसके बाद जब आँख खुली और हमनें जो खिड़की खोला... ऐसा लगा जैसे अचानक बर्फ हमारे शरीर में प्रवेश कर गई। हद तो तब हो गयी कि घंटे भर में मेरी छोटी उँगली के किनारे से अनायास खून दिखने लगा। होंठों पर पपड़ी सी जम गई। पर घूमने व प्रकृति का नजारा देखने की ललक थी सो ठंडी को नजरअंदाज कर प्राकृतिक सुषमा में एकाकार होने लगे। वास्तव में उस अनुपम छटा का वर्णन करने के लिए शब्द संयोजन संभव नहीं हुआ...बस इतना ही कह सकता हूँ - 'अदभुत और अलौकिक।' शायद इसीलिए मिनी स्विट्जरलैंड कहा गया है।
घूमने जाते समय हमने देखा था कि होटल ढलान पर बना हुआ था नीचे की तरफ बहुत गहरी खाई थी। वहाँ आस-पास सारे होटल ऐसे ही बने थे। खज्जियार झील का नज़ारा देखने लायक था। चारो तरफ देवदार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, बीचोबीच स्थित झील। वैसे अब वह सिर्फ नाम का ही झील है दरअसल उसे कुछ समय के लिए बर्फ का झील कहें तो उचित होगा। ठंड की वजह से सैलानी वहाँ कम थे। वहीं ठहरने के कारण हमलोग सुबह जल्दी पहुँच गए थे। दूसरे लोग डलहौजी से आते हैं।
खज्जियार से हम लोग एक दो पॉइंट का नजारा लेते हुए लक्कड़मंडी के पास स्थित कालाटॉप पहुँचे। बहुत ही सुंदर व रमणीय स्थान। उस स्थान की प्राकृतिक सौंदर्य व खूबसूरती के कारण उसे भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है। वैसे तो मैं कभी स्विट्ज़रलैंड नहीं गया पर कालाटॉप की खूबसूरती को देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि स्विट्जरलैंड कैसा होगा..? प्रवेशद्वार के पास ही 'भारत का स्विट्ज़रलैंड' लिखा बोर्ड अंग्रेज़ी और हिंदी में लगा हुआ है। उस स्थान पर पांच घंटे का समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। सर्दी का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि चाय छानते ही ठंडा हो जाता था। वहाँ सर्दी से बचने के लिए गरमागरम चाय का ही सहारा था और उसके साथ कांदे-बटाटे की भजिया लाजवाब था।
कई दार्शनिक स्थलों का भ्रमण करते हुए हम सब चंबा के लिए रवाना हुए थे। पूरा सफर एक एडवेंचरस एक्टिविटीज के जैसा था। घुमावदार-खतरनाक मोड़, सँकरा रास्ता कहीं भी कोई बेरिकेड्स नहीं था। दूर-दूर तक सिर्फ पहाड़ दिखाई दे रहा था और हम सब नीचे उतरते जा रहे थे। जैसे-जैसे चंबा की तरफ बढ़ रहे थे वैसे-वैसे ये एहसास हो रहा था कि हम तो सिर्फ ऊपर से नीचे उतर रहे थे। जब चंबा डैम को देखा तो बाहरी हिस्से के खाड़ी की गहराई को देखकर उस डैम की गहराई व उसकी क्षमता और विशालता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। उस पर ही बिजली उत्पादन के तीन प्रकल्प लगभग तीन चरणों में पूरे किए गए हैं जिसकी बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 1100MW है। बताया जाता है कि वहाँ का पानी 'वॉटर स्पोर्ट्स' के लिए अनुकूल है। पर वॉटर स्पोर्ट्स काफी महँगे हैं, साधारण बोटिंग की फेरी जो आधे घंटे की होती है उसके लिए ₹500/ शुल्क रखा गया था। बहुत प्रयास के बाद 8+1 की सुविधा मिली थी। रावी नदी के उस पानी में जलजीव नहीं पलते अर्थात खतरनाक जलजीवों के लिए अनुकूल नहीं है, इसलिए पूरीतरह से सुरक्षित है। एक तरफ सबकुछ जानने व देखने की कौतूहलता थी तो दूसरी तरफ एक अनजाना भय भी मन में उन अनिष्ट घटनाओं के बारे में सोचने के लिए बाध्य कर रहा था जिसकी हमनें अपेक्षा नहीं करते। वहाँ चप्पे-चप्पे पर उस विशाल प्रकल्प का पूरा विवरण दर्ज था और साथ ही स्पष्ट शब्दों में चेतावनी लिखी गई थी, लगातार उदघोषणा की जा रही थी। चारो तरफ संरक्षक तैनात थे, जो किसी को भी प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने से रोक रहे थे।
इस ट्रिप के दौरान डलहौजी पब्लिक स्कूल हमारे आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। इस स्कूल के संकुल में पैटन टैंक और फाइटर जेट स्कूल की शोभा बढ़ा रहे हैं। देखने में तीन किलोमीटर का दायरा ऐसा प्रतीत होता था जैसे हम विदेश में हों। ये वही स्कूल है जिसमें गदर फ़िल्म का गाना 'मैं निकला गड्डी लेकर....' फिल्माया गया था। उसके पश्चात अन्य दार्शनिक स्थलों के सौंदर्य का आनंद लिया गया।
इस ट्रिप के दौरान हमारा गाईड बने हुए थे हमारे ट्रैवेलर्स फोर्स के ड्राइवर सूबेदार मेजर प्रभात सिंह, जो कि पहले सेना अर्थात फौज में जूनियर कमीशंड ऑफिसर थे। वे सूबेदार मेजर पद से रिटायर हो चुके थे और अपने व्यवसाय के रूप में खुद का ट्रैवेलर्स फोर्स चला रहे थे। उनकी ड्राइविंग बहुत अच्छी थी। दूसरी बात वे वहाँ के स्थानीय थे इसलिए सड़क से लेकर क्षेत्र की भी पूरी जानकारी थी, जिसका पूरा फायदा हमें मिला। पूछने पर उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के चप्पे-चप्पे से वे परिचित हैं। ये सभी इलाके उनके लिए अपना इलाका था, इसलिए हमें किसी भी तरह की असुविधा नहीं हुई। मेरे दो-तीन साथी अग्रज गिरजाशंकर, सोनी आप्पा और भोज कुमार बेशक इस टूर के अनुभव से वंचित रह गए... हमें भी उनकी कमी महसूस हुई। यदि वे लोग भी साथ होते तो निश्चित ही और आनंद आता और एक यादगार बन जाता। लेकिन वे इस टूर पर टिकिट आरक्षित कराने के बाद भी नहीं आ पाए। खैर अगले किसी रचना में उनके साथ के अन्य अनुभवों को शेयर करेंगे।
"गर जिंदा हो तो अक्स ये जिंदगी जी लो,
क्योंकि जिंदगी तो जिंदादिल ही जिया करते हैं, वरना कहने को तो मुरदे भी अकड़ते हैं।"

➖ अशोक सिंह 'अक्स'
#अक्स

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कोविड-19 और ऑनलाइन शिक्षा

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कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो….

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कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो….हम अपने आस - पास अक्सर लोंगों को बोलते हुए सुनते हैं, हर कोई आध्यात्मिक अंदाज में संदेश देते रहता है - 'कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो…...।' वस्तुतः ठीक भी है। एक विचार यह है कि फल की चिंता कर्म करने से पहले करना कितना उचित है अर्थात निस्वार्थ भाव से कर्म को बखूब

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अजी ये क्या हुआ....?

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अजी ये क्या हुआ…?होली रास नहीं आयाकोरोना काल जो आयामहामारी साथ वो लायाअपना भी हुआ परायाबीपी धक धक धड़कायाछींक जो जोर से आया…तापमान तन का बढ़ायाऐंठन बदन में लायाथरथर काँपे पूरी कायाछूटे लोभ मोह मायादुश्मन लागे पूरा भायापूरा विश्व थरथराया……नाम दिया महामारीजिससे डरे दुनिया सारीचीन की चाल सभी पे भारीबौखला

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कोरोना महामारी और बकरीद पर्व

24 जुलाई 2020
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पिछले चार महीनें से कोरोना वायरस का प्रकोप चारो ओर फैला हुआ है। कोरोना महामारी के कारण लोंगों का जीना मुहाल है। ऐसे में मुसलमान भाइयों के बकरीद पर्व का आगमन हो रहा है। पूरा विश्व आज कोरोना से त्राहि त्राहि कर रहा है तो ऐसे में बकरीद का पर्व इससे अछूता कैसे रह सकता है। कोरोना के चलते विश्वव्यापी मंदी

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कोरोना देव की कृपा

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कोरोना देव की कृपाजीवन का नाहीं कौनों ठिकानामरै के चाहिय बस कौनों बहाना बुढ़न ठेलन का बाटै आना जानाजवनकेउ का नाहीं बाटै ठिकानारोग ब्याधि का बाटै ताना बानाफैलल बा भाई वायरस कोरोनाझटके पटके में होला रोना धोनाकितना मरि गयेन बिना कोरोनामेहर माई बाप के बाटै भाई रोनाअस्पताल वाले पैसा लूटत बानाभागल भागल बीर

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बप्पा को लाना तो हमारी जिम्मेदारी है

29 जुलाई 2020
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बप्पा को लाना हमारी जिम्मेदारी है...अबकी बरस तो कोरोना महामारी हैउत्सव मनाना तो हमारी लाचारी हैरस्में निभाना तो हमारी वफादारी हैबप्पा को लाना तो हमारी जिम्मेदारी है।अबकी बरस हम बप्पा को भी लायेंगेंसादगी से हम सब उत्सव भी मनायेंगेंसामाजिक दूरियाँ हम सब अपनायेंगेंमास्क सेनिटाइजर प्रयोग में लायेंगें।दू

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क्या कहेंगें आप...?

30 जुलाई 2020
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क्या कहेंगें आप...?हम सभी जानते हैं कि प्रकृति परिवर्तनशील है। अनिश्चितता ही निश्चित, अटल सत्य और शाश्वत है बाकी सब मिथ्या है। बिल्कुल सच है, हमें यही बताया जाता है हमनें आजतक यही सीखा है। तो मानव जीवन का परिवर्तनशील होना सहज और लाज़मी है। जीवन प्रकृति से अछूता कैसे रह सकता है…? जीवन भी परिवर्तनशील ह

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क्या मृत्यु से डरना चाहिए……?

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क्या मृत्यु से डरना चाहिए……?अगर हम बात मृत्यु की करते हैं तो अनायास आँखों के सामने किसी देखे हुए मृतक व्यक्ति के शव का चित्र उभरकर आ जाता है। मन भी न चाहते हुए शोकाकुल हो उठता है। आखिर ऐसी मनस्थिति के पीछे क्या वजह हो सकती है…? जबकि आज के परिवेश में घर के अंदर भी हमें दिन में ही ऐसी लाशों को देखने क

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तनाव मुक्त जीवन ही श्रेष्ठ है……आए दिन हमें लोंगों की शिकायतें सुनने को मिलती है….... लोग प्रायः दुःखी होते हैं। वे उन चीजों के लिए दुःखी होते हैं जो कभी उनकी थी ही नहीं या यूँ कहें कि जिस पर उसका अधिकार नहीं है, जो उसके वश में नहीं है। कहने का मतलब यह है कि मनुष्य की आवश्यकतायें असीम हैं….… क्योंकि

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हिंदी साहित्य के धरोहर "मुंशी प्रेमचंद"

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हिंदी साहित्य के धरोहर "मुंशी प्रेमचंद"जनमानस का लेखक, उपन्यासों का सम्राट और कलम का सिपाही बनना सबके बस की बात नहीं है। यह कारनामा सिर्फ मुंशी प्रेमचंद जी ने ही कर दिखाया। सादा जीवन उच्च विचार से ओतप्रोत ऐसा साहित्यकार जो साहित्य और ग्रामीण भारत की समस्याओं के ज्यादा करीब रहा। जबकि उस समय भी लिखने

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जीवित हो अगर, तो जियो जीभरकर...

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जीवित हो अगर, तो जियो जीभरकर...जीते तो सभी हैं पर सभी का जीवन जीना सार्थक नहीं है। कुछ लोग तो जिये जा रहे हैं बस यों ही… उन्हें खुद को नहीं पता है कि वे क्यों जी रहे हैं? क्या उनका जीवन जीना सही मायनें में जीवन है। आओ सबसे पहले हम जीवन को समझे और इसकी आवश्यकता को। जिससे कि हम कह सकें कि जीवित हो अगर

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यही तो संकल्प है.. अब पूरा करके दिखायेंगें

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जय बोलो प्रभु श्री राम की

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जय बोलो प्रभु श्री राम कीजय बोलो प्रभु श्री राम कीअयोध्या नगरी दिव्य धाम कीपावन नगरी के उस महिमा कीतुलसीदास जी के गरिमा कीजो जन्म भूमि कहलाता हैत्रेतायुग से जिसका नाता हैसुनि रामराज्य मन भाता है।जय बोलो प्रभु श्री राम कीअयोध्या नगरी दिव्य धाम कीजग के पालनहारी श्री रामबिगड़ी सबके बनाते कामभ्राता भरत क

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मेहतर....

7 अगस्त 2020
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मेहतर….साहबअक्सर मैंने देखा हैअपने आस-पासबिल्डिंग परिसर व कालोनियों मेंकाम करते मेहतर परडाँट फटकार सुनातेलोंगों कोजिलालत करतेमारते भर नहींपार कर देते हैं सारी हदेंथप्पड़ रसीद करने में भी नहीं हिचकते।सच साहबकिसी और पर नहींबस उसी मेहतर परजो साफ करता हैउनकी गंदगीबीड़ी सिगरेट की ठुंठेंबियर शराब की खाली बो

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वक़्त अच्छा हो तो....

8 अगस्त 2020
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वक्त अच्छा हो तो….कोरोना काल में अंतर्मन ने पूछा -इस दुनिया में तुम्हारा अपना कौन है..?सवाल सुनते हीएक विचार मन में कौंधामाँ-बाप, भाई-बहन, पत्नी…बेटा - बेटी या फिर मित्र..किसे कहूँ अपना..?यदि वक़्त अच्छा हो तोजो अदृश्य हैसर्वशक्तिमान हैसर्वव्यापी हैवो भी अपना है तब सब कुछ ठीक है।वक़्त अच्छा हो तोमाँ-ब

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मैं सड़क....

9 अगस्त 2020
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मैं सड़क …अरे साहबकोरोना महामारी के कारणफुर्सत मिलीआपबीती सुनाने कामौका मिला।सदियों से सेवाव्रतीदिन-रात सजग तैनातसीनें पर सरपट दौड़ती गाड़ियों का अत्याचार।हाँ साहब.. 'अत्याचार'तेजगति से बेतहाशाचीखती - चिल्लातीभागती गाड़ियाँ..।क्षमता से अधिकबोझ लादे…आवश्यकता से अधिकरफ़्तार में भागती गाड़ियाँ...।मेरे चिथड़े

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कोविड की तानाशाही...

10 अगस्त 2020
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कोविड की तानाशाहीहम कहते हैं बुरा न मानोमुँह को छिपाना जरूरी हैअपनेपन में गले न लगाओदूरियाँ बनाना जरूरी हैकोरोना महामारी तोएक भयंकर बीमारी हैकहने को तो वायरस हैपर छुआछूत बीमारी हैहट्टे कट्टे इंसानों पर भी एक अकेला भारी हैआँख मुँह और नाक कान सेकरता छापेमारी हैएक पखवाड़े के भीतर हीअपना जादू चलाता हैकोर

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सागर की लहरें....

11 अगस्त 2020
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सागर की लहरें...सागर की लहरें किनारे से बार-बार टकरातीचीखती उफान मारती रह-रहकर इतरातीमन की बेचैनी विह्वलता साफ झलकतीसदियों से जीवन की व्यथा रही छिपाती पर किनारे पहुँचते ही शांत सी हो जातीवह अनकही बात बिना कहे लौट जातीअपने स्पर्श से मन आल्हादित कर जातीसंग खेलने के लिए उत्साहित हो उकसातीजैसे ही हाथ बढ़

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स्वस्थ रहना है तो....

12 अगस्त 2020
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स्वस्थ रहना है तो….स्वस्थ रहना है तो नियम का पालन अर्थात अनुशासन को जीवन में अपनाना होगा। कहा जाता है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है। बिल्कुल सही है। यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो खुशी व प्रसन्नता कहाँ से मिलेगी। कहने का तात्पर्य यह है कि खुशी व प्रसन्नता के लिए सुख सुविधाओं का व शारीरिक सुख

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मस्त हवाओं का ये झोंका....

13 अगस्त 2020
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मस्त हवाओं का ये झोंका, बेमौसम ही प्यार करे…प्रियतम पास नहीं हैं फिर भी मिलन को बेकरार करेजीवन में बहार नहीं फिर भी प्रणय गीत स्वर नाद करेसजना की कोई खबर नहीं फिर जीना क्यों दुस्वार करेबिन तेरे सजना जीना मुश्किल रग - रग में है ज्वार उठे तेरे ही नाम से मेरी सुबह हुई है तेरे ही नाम से शाम ढले।मस्त हवा

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जिंदगी को जिओ पर संजीदगी से....

14 अगस्त 2020
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जिंदगी जिओ पर संजीदगी से…….आजकल हम सब देखते हैं कि ज्यादातर लोगों में उत्साह और जोश की कमी दिखाई देती है। जिंदगी को लेकर काफी चिंतित, हताश, निराश और नकारात्मकता से भरे हुए होते हैं। ऐसे लोंगों में जीवन इच्छा की कमी सिर्फ जीवन में एक दो बार मिली असफलता के कारण आ जाती है। फिर ये हाथ पर हाथ रखकर बैठ जा

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ऐसा भी दिन आएगा कभी सोचा न था....

16 अगस्त 2020
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ऐसा भी दिन आएगा कभी सोचा न था….सृष्टि के आदि से लेकर आजतक न कभी ऐसा हुआ था और शायद न कभी होगा….। जो लोग हमारे आसपास 80 वर्ष से अधिक आयु वाले जीवित बुजुर्ग हैं, आप दस मिनिट का समय निकालकर उनके पास बैठ जाइए और कोरोना की बात छेड़ दीजिए। आप देखेंगे कि आपका दस मिनिट का समय कैसे दो से तीन घंटे में बदल गया

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पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है....

17 अगस्त 2020
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पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है…..मनुष्य स्वभाव से ही बहुत लालची और महत्त्वाकांक्षी होता है। अर्थ, काम, क्रोध, लोभ और माया के बीच इस तरह फँसता है कि बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। यह उस दलदल के समान है जिसमें से जितना ही बाहर निकलने का प्रयास किया जाता इंसान उस दलदल में और फँसता जाता है। इस सं

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सांत्वना देते हुए.....

18 अगस्त 2020
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सांत्वना देते हुए.....चिंटू बच्चा…..सुनकर बहुत दुःख हुआ….दो मिनट के लिए तो आँखों के आगे अँधेरा सा छा गया…कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं….क्या कहूँ… क्या बोलूँ….. कुछ समझ में नहीं आ रहा है।हिम्मत से काम लेना… घरवालों का ध्यान रखना।ईश्वर की लीला समझना सबके बस की बात नहीं…इतना ही समझ जायें तो फिर इंसान दर

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असहिष्णुता....

2 सितम्बर 2020
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असहिष्णुता….मनुष्य के जीवन में उसके व्यक्तित्व और सोच-विचार पर खान-पान व रहन-सहन का बहुत असर पड़ता है। कहा जाता है जैसा खान-पान, वैसा अचार-विचार। अर्थात सादा जीवन, सादा भोजन - उच्च विचार। जिस तरह से फसल को समय-समय से सींचा जाता है, खाद-पानी दिया जाता है तो उसका समुचित विकास होता है। जिसका उचित देखभाल

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हिंदी अध्यापक संघ द्वारा आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह'

9 सितम्बर 2020
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कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ द्वारा आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह'कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह' दिनांक 8 सितंबर, 2020 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के दिन ही 'शिक्षक दिवस समारोह' का आयोजन

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समाज और देश के उत्थान में युवाओं की भूमिका

9 सितम्बर 2020
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समाज और देश के उत्थान में युवाओं की भूमिकासमाज और देश के उत्थान में युवाओं की अहम भूमिका होती है। मैं युवाओं की बात को स्वामी विवेकानंद जी के उन विचारों के माध्यम से शुरू कर रहा हूँ जिनमें युवाओं को विशेष रूप से संबोधित किया गया है। स्वामीजी की मान्यता है कि भारतवर्ष का नवनिर्माण शारीरिक शक्ति से न

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रिज़वी महाविद्यालय में हिंदी काव्य-पाठ का आयोजन संपन्न

25 सितम्बर 2020
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रिज़वी महाविद्यालय में ऑनलाइन मंच के माध्यम से दो दिवसीय 'हिंदी काव्य-पाठ समारोह' सम्पन्नरिज़वी महाविद्यालय कला, विज्ञान एवं वाणिज्य के कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी विभाग के तत्वाधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय 'हिंदी काव्य-पाठ समारोह' का आयोजन संपन्न हुआ। दोनों दिन समारोह का शुभारंभ सरस्वती

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हे कवि मन हिंदी की जय बोल

26 सितम्बर 2020
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हे कवि मन, हिंदी की जय बोलजिसने निजभाषा का मान बढ़ायाहिंदी को जन - जन तक पहुँचायाराजभाषा का दर्जा भी दिलवायाहे कवि मन, हिंदी की जय बोल।जो घर-घर में बोली जाती हैजो सबके मन को हरसाती हैसभी जाति धरम को भाती हैहे कवि मन हिंदी की जय बोल।जिसके बावन अक्षर होते हमारेकवि जिससे प्रकृति को चितारेजो जनमानस के भा

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रह जाता कोई मोल नहीं

27 सितम्बर 2020
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रह जाता कोई मोल नहींजब जीवन की आपाधापी सेटूट चुका हो मानव मनफिर आशा की किरणों कारह जाता कोई मोल नहीं।जब मन तानों से आहत होदिल भी छलनी हो जाएफिर मधुर प्रिय वचनों कारह जाता कोई मोल नहीं।जब सुख-सुविधाओं का खान होपर काया रोगों से घिरा होफिर पास पड़े धन दौलत कारह जाता कोई मोल नहीं।जब धरती तपती हो कड़ी धूप

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हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा महात्मा गाँधी जयंती के अवसर पर आयोजित वेब संगोष्ठी

3 अक्टूबर 2020
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महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारामहात्मा गाँधीजी की जयंती के उपलक्ष्य में वेबसंगोष्ठी का आयोजन" महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा 'महात्मा गाँधीजी जयंती व शास्त्री जयंती के अवसर पर वेबसंगोष्ठी का आयोजन दिनांक 2 अक्टूब

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बुद्ध की बात मानों और अपना दीपक स्वयं बनों....

4 अक्टूबर 2020
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अपना दीपक स्वयं बनोअपना दीपक स्वयं बनों…. कथन तो एकदम सरल है। पर सारगर्भित है। सोचिए जरा 'अपना दीपक स्वयं बनों ' कहने का तात्पर्य क्या है..? इस बात को अच्छी तरह से समझने के लिए चिंतन व मनन की आवश्यकता है। दीपक से रोशनी मिलती है, दीपक से अँधेरे का नाश होता है, दीपक से हमारा जीवन पथ प्रकाशित होता है,

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कान की व्यथा कान की जुबानी

6 अक्टूबर 2020
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कान की व्यथा कान की जुबानी इस दुनिया में कोई पूर्ण नहीं है… सभी अपूर्ण हैं। कोई सुखी नहीं है सभी दुखी हैं। जिसके पास सबकुछ है फिर भी वो उसका भोग आनन्द पूर्वक न करके जो नहीं है या जो अप्राप्य है उसके लिए दुखी है। सभी के मन में कोई न कोई व्यथा है जिसने आहत कर रखा है। औरों की बात तो छोड़ो एक दिन कान बेच

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विशुद्ध किसान गुदड़ी के लाल

7 अक्टूबर 2020
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विशुद्ध किसान गुदड़ी के लालहम किसान हमें खेती प्याराहम कुछ भी उगा सकते हैंइस जग में दूजा काम नहीं जो मेरे मन को भा सकते हैं।हम उस किसान के बेटे हैंसंभव है तुझको याद नहींजय जवान जय किसान का नाराबिल्कुल तुझको है याद नहीं।ईमानदारी जिसके रग-रग में समायाबेमिसाल ऐसा इनसान कहाँसादा जीवन और उच्च विचार होमिलत

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बहुत याद आता है.. वो गुजरा जमाना

8 अक्टूबर 2020
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बहुत याद आता है..वो गुजरा जमाना...बहुत याद आता है, वो गुजरा जमानावो बीता बचपन, हरकतें बचकानाआपस में लड़ना, फिर रूठना-मनानाचंदा मामा का आना, खाना खिलानासुबह का कलेवा, वो बासी खानाजिसके बिना दिन, लागे सूना-सूना।दादा-दादी के पास, नित होता था सोनानीदिया रानी का आना, चुपके से सुलानापरियों की कहानी का, नित

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चले आना प्रभुजी चले आना....

12 अक्टूबर 2020
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"चले आना प्रभुजी चले आना..."कभी परशुराम बन केकभी बलराम बन केअहंकार मिटाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना...कभी घनश्याम बन केकभी श्यामघन बन केधरती को भिगाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना....कभी राम बन केकभी श्याम बन केपाप मिटाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना....कभी किसान बन केकभी नौजवान बन केअमन चै

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उठो बहना शमशीर उठा लो....

14 अक्टूबर 2020
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"उठो बहना शमशीर उठा लो..."उठो बहना शमशीर उठा लोसोयी सरकार न जागेगीहर घर में है दुःशासन बैठाऔर कब तक तू भागेगी...?समय आ गया फिर बन जाओतुम झाँसी की रानीशमशीर उठाकर लिख डालोएकदम नई कहानीमरते दम तक याद रहेसबको एकदम जुबानी....।उठो बहना शमशीर उठा लोबन जाओ तुम मरदानीकोई नज़र

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भक्तों ने पुकारा और मैया चली आई...

19 अक्टूबर 2020
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भक्तों ने पुकारा और मैया चली आईभक्तों ने पुकारा और मैया चली आईदर्शन देकर के मैया आपन कृपा बरसाई......जब-जब नवरात्रि आई, माई के दरबार सजाईघर में ही दरबार लगाई, स्वागत में मंगलाचार गाई....माँ के दरबार में..आज मंगलाचार है..सबका स्वागत सत्कार हैहो रही जयजयकार है माँ अंबे का सत्कार हैमाता भवानी आई हैं सं

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मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं....

23 अक्टूबर 2020
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मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं...मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं..दुनिया के सताए लोग यहाँ सीने से लगाए जाते हैं।मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं।संसार मिला है रहने को यहाँ दुःख ही दुःख है सहने कोपर भर-भर के अमृत के प्याले यहाँ रोज पिलाये जाते हैं।मातारानी

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कोरोना की काली भयावह रात

24 अक्टूबर 2020
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कोरोना की वो काली भयावह रातमाना कि आज है कोरोना की काली भयावह रातदरअसल मिली है अपने कट्टर पड़ोसी से सौगातयूँ ही कोई देता है अर्जित अपनी थाती व विरासतसच पूछो तो ये है करनी यमराज के साथ मुलाक़ात..।नींद भी आती नहीं, आते नहीं सपनेंबेसब्री बढ़ती जाती है याद आते हैं अपनेंसमाचारपत्रों में पढ़कर भयावहता की खबरे

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अनमोल वचन

28 अक्टूबर 2020
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अनमोल वचनश्रद्धा सम भक्ति नहीं, जो कोई जाने मोलहीरा तो दामों मिले, श्रद्धा-भक्ति अनमोल।दयावान सबसे बड़ा, जिय हिय होत उदारतीनहुँ लोक का सुख मिले, करे जो परोपकार।स्वार्थी सारा जग मिले, उपकारी मिले न कोयसज्जन से सज्जन मिले, अमन चैन सुख होय।सब कुछ होत है श्रम से, नित श्रम करो तुम धायसीधी उँगली घी न निकसे

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जीवन को सरल, सहज और उदार बनाओ

30 अक्टूबर 2020
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जीवन को सरल, सहज और उदार बनाओमनुष्य कहने के लिए तो प्राणियों में सबसे बुद्धिमान और समझदार कहलाता है। पर गहन अध्ययन व चिंतन करने पर पता चलता है कि उसके जैसा नासमझ व लापरवाह दूसरा कोई प्राणी नहीं है। विचारकों, चिंतकों, शिक्षाशास्त्रियों और मनीषियों ने बताया कि सीखने की कोई आयु और अवस्था नहीं होती है।

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महाप्रसाद के बदले महादान

31 अक्टूबर 2020
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महाप्रसाद के बदले महादानआप सभी जानते हैं कि कोरोना विषाणु के कारण जनजीवन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। व्यापार, कारोबार और रोजगार भी अछूता नहीं रहा। कोरोना के कारण पूरे विश्व में भय व्याप्त है। ऐसे में पड़ने वाले त्योहारों का रंग भी फीका पड़ता गया। राष्ट्रीय त्यौहार स्वतंत्रता दिवस का आयोजन तो कि

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हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

1 नवम्बर 2020
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हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्नमहाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल और बालभारती के संयुक्त तत्वावधान में बहुप्रतीक्षित बारहवीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 1 नवंबर, 2020 को सुबह 11.30 बजे संपन्न हुआ

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सबसे सरल, सहज और दुर्बल प्राणी शिक्षक

5 नवम्बर 2020
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सबसे सरल, सहज और दुर्बल प्राणी 'शिक्षक'आप हमेशा से ही इस समाज में एक ऐसे वर्ग, समुदाय या समूह को देखते आये हैं जो कमजोर, दुर्बल या स्वभाव से सरल होता है और दुनिया वाले या अन्य लोग उसके साथ कितनी जटिलता, सख्ती या बेदर्दी से पेश आते हैं। वो बेचारा अपना दुःख भी खुलकर व्यक्त नहीं कर पाता है। वैसे तो उसे

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अनमोल वचन ➖ 3

6 नवम्बर 2020
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अनमोल वचन ➖ 3सद्गुरु हम पर प्रसन्न भयो, राख्यो अपने संगप्रेम - वर्षा ऐसे कियो, सराबोर भयो सब अंग।सद्गुरु साईं स्वरूप दिखे, दिल के पूरे साँचजब दुःख का पहाड़ पड़े, राह दिखायें साँच।सद्गुरु की जो न सुने, आपुनो समझे सुजानतीनों लोक में भटके, तबतक गुरु न मिले महान।सद्गुरु की महिमा अनंत है, अहे गुणन की खानभव

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ऑर्गेनिक खेती और हैड्रोपोनिक खेती का बढ़ता चलन

7 नवम्बर 2020
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ऑर्गेनिक खेती और हैड्रोपोनिक खेती का बढ़ता चलनहालही में मैंने 4 नवंबर, 2020 के अंक में छपा एक लेख पढ़ा जिसका शीर्षक था 'लेक्चरर की नौकरी छोड़ बनें किसान' मिट्टी नहीं पानी में उगती हैं फल और सब्जियाँ। यह कारनामा गुरकीरपाल सिंह नामक व्यक्ति ने कर दिखाया। जो एक कंप्यूटर इंजीनियर थे और लेक्चरर पद पर नौकरी

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'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है'

8 नवम्बर 2020
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'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। जहाँ एक तरफ दावा किया जा रहा था कि अब कोरोना का खात्मा होने को आया है और सबकुछ खोल दिया गया, भले ही कुछ शर्तें रख दी गई। हमेशा सरकार प्रशासन सूचना जारी करने तक को अपनी जिम्मेदारी मानती है और उसीका निर्वहन करती है। जैसे सिगरेट के पैकेट प

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अनमोल वचन ➖ 4

9 नवम्बर 2020
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अनमोल वचन ➖ 4दाता इतना रहमिए, कि पालन-पोषण होयपेट नित भरता रहे, अतिथि सेवा भी होय।दीनानाथ हैं अंतर्यामी, सहज करें व्यापारबिना तराजू के स्वामी, करें हैं सम व्यवहार।सबकुछ तेरा नाम प्रभु, इंसा की नहीं औकातपल में राजा तू बनाए, पल में रंक बनि जात।नाथ की लीला निराली,क्या स्वामी क्या मालीबाग की रक्षा माली

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शिक्षक के व्यवसाय का महत्त्व

11 नवम्बर 2020
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शिक्षक के व्यवसाय का महत्त्वशिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के व्यवसाय का ऐसा ही महत्त्व है जैसे कि ऑपरेशन करने के लिए किसी डॉक्टर अर्थात सर्जन का महत्त्व होता है। शिक्षक सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि राष्ट्र की भी धूरी है। समाज व राष्ट्र सुधार और निर्माण के कार्य में उसकी महती भूमिका होती है। शिक्षक ही शिक

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आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ

14 नवम्बर 2020
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आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँआओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँदीप बनाने वालों के घर में भी दीये जलाएँचीनी हो या विदेशी हो सबको ढेंगा दिखाएँअपनों के घर में बुझे हुए चूल्हे फिर जलाएँअपनें जो रूठे हैं उन्हें हम फिर से गले लगाएँ।आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँजो इस जग में जगमग-जगमग जलता जाएजो अपनी आभा को इस जग म

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जननायक बिरसा मुंडा

15 नवम्बर 2020
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जननायक बिरसा मुंडावैसे तो हम हजारों समाजसुधारकों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, उनका जन्मदिन मनाते हैं। पर कुछ ऐसे होते हैं जो अल्पायु जीवनकाल में ही महान कार्य कर जाते हैं पर उनको स्मरण करना सिर्फ औपचारिकता रह जाती है या फिर क्षेत्रीय स्तर पर ही उनकी पहचान सिमटकर रह जाती है। आज मैं बात क

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अनमोल वचन ➖ 5

16 नवम्बर 2020
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अनमोल वचन ➖ 5दीप से दीप की ज्योति जलाई, दिवाली की ये रीति निभाईएक कतार में रखि के सजाई, फिर सब कुशल क्षेम मनाई।पाँच दिनों का त्योहार अनोखा, भाऊबीज तक सजे झरोखापकवानों का खुशबू हो चोखा, हर कोई रखता है लेखा-जोखा।धनतेरस की बात निराली, करते हैं सब अपनी जेबें खालीकोई खरीदे सोना-चाँदी तो, कोई बर्तन शुभ दि

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भारत का स्विट्जरलैंड

19 नवम्बर 2020
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भारत का स्विट्जरलैंडएक लंबे अरसे के बाद मातारानी के यहाँ से बुलावा आ ही गया। हमनें मातारानी वैष्णोदेवी का दर्शन करने के पश्चात दूसरे दिन हमनें कटरा से ही अगले सात दिन के लिए ट्रैवलर फोर्स रिजर्व कर लिया था। कटरा से सुबह हम सब डलहौजी के लिए रवाना हुए थे। नवंबर माह का अंतिम सप्ताह चल रहा था। सैलानियो

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गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)

23 नवम्बर 2020
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गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)समय-समय की बात होती है। कभी हम भी गिरनार की चढ़ाई को साधारण समझते थे पर आज तो सोच के ही पसीना छूटने लगता है। आज से आठ वर्ष पूर्व एक विशेष राष्ट्रीय एकता शिविर (Special NIC Camp) में महाराष्ट्र डायरेक्टरेट का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। पूरे बारह दिन का शिविर था। मेरे साथ द

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सवेरे सवेरे उठकर देखा

29 नवम्बर 2020
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सवेरे - सवेरे उठकर देखासुनहरी किरण छिटके देखाचिड़िया अभी-अभी थी आईनव सृष्टि की गीत सुनाई।मन भी उमंग जोश से भराहर पल लगता था सुनहरासुगंधित संगीतमय वातावरणअंधकार के पट का अनावरण।मैंने किरणों से कहा,मुझे थोड़ी सी ऊर्जा दोगीचिड़िया से कहा,गाने का तजुर्बा दोगीनव किसलय दल से कहा,जीवन स्नेह से भर दोगीफूलों की

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पीने के पानी की सुविधा न होने से त्रस्त हैं लोग

30 नवम्बर 2020
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पीने के पानी की सुविधा न होने से त्रस्त हैं लोगमुंबई उपनगर से लगा हुआ और तेजी से विकास की ओर आग्रसर हो रहे नालासोपारा (पश्चिम) स्थित यशवंत गौरव कॉम्प्लेक्स इलाके में लोग पिछले पाँच-सात साल से रह रहे हैं और अभीतक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरश रहे हैं।इस इलाके का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। लोंगों ने अप

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अबला की चाह

1 दिसम्बर 2020
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अबला की चाहचाह नहीं मैं अनपढ़ गँवार रहअनजान के माथे थोपी जाऊँबस चाह नहीं मैं बीज की तरहजब जहाँ चाहे वहाँ बोयी जाऊँचाह नहीं सूत्र बंधन की भीबंधि दहेज प्रथा की बलि चढ़ी जाऊँबस चाह नहीं है इस जग मेंअधिकारों से वंचित रह जाऊँ....!चाह मेरी बस इतनी सी है...बाला बनकर जनमूं जग मेंजीने का हो अधिकार मेरादादा-दाद

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वक़्त का तराजू

4 दिसम्बर 2020
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वक़्त का तराजूवक़्त वह तराजू है साहबजो बुरे वक़्त में अपनों का वजन बता देता हैपराये को साथ लाकर खड़ा कर देता हैवक़्त ही वह मरहम है साहबजो गहरे से गहरे घाव को भी फौरन भर देता हैऔर भरे हुए घाव को कुरेदकर हरा कर देता हैवक़्त ही सबसे बड़ा गुरू है साहबजटिल पाठ को भी पल भर में समझा देता हैमूर्ख को भी विद्वता का

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शामत मुझ पर ही आनी है....

5 दिसम्बर 2020
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शामत मुझ पर ही आनी है...शादी अपनों की होया किसी बेगाने कीखर्चा उतना ही है जीश्रीमतीजी के जाने की। जब देखो तब सुनाती रहती हैंखर्च ही क्या है? खर्च ही क्या है?सुन – सुनकर कान पक गयादुकानों के चक्कर काटते-काटतेसच मानों पूरा दिन बीत गया….जेब खाली होकर क्रेडिट पर आ गया। सोचा छोड़ो अब तो झंझट छूटातभी खनकती

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गुम हूँ उसके याद में.....

7 दिसम्बर 2020
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गुम हूँ उसके याद में....गुम हूँ उसके याद में, जिसे चाहा था कभीगोदी में सुलाकर जिसने, दुलारा था कभीप्रसव-वेदना की पीड़ा से, जाया था कभीदुःख सहकर उसने, पाला-पोसा था कभीरात-रात भर जागकर, सुलाया था कभी।गुम हूँ उसके याद में, जिसने दुनिया में लाया था कभीअपने सपनों को तोड़-तोड़कर, जिलाया था कभीखुद भूखी रह-रहक

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एक मसीहा जग में आया....

8 दिसम्बर 2020
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एक मसीहा जग में आया....एक मसीहा जग में आयादलितों का भगवान बनाराजनीति मन को ना भायाज्ञानसाधना ही आधार बना।निर्धनता को धता बतायाछात्रवृत्ति से अरमान सजोयाकाला पलटन में स्थान मिलागुरू से पूरा सम्मान मिला।अर्थशास्त्र जो मन को भायाडॉक्टरेट की डिग्री दिलवायावर्णव्यवस्था थी मन में चुभतीशोध प्रबंध उस पर ही

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जब-जब मैं उसे पुकारूँ...

12 दिसम्बर 2020
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जब-जब मैं उसे पुकारूँ...जब-जब मैं उसे पुकारूँवो दौड़ी-दौड़ी चली आएआँधी हो या तूफान होवो कभी ना घबराए...।ऐसी प्यारी निंदिया....सभी के भाग्य में आएअकेलेपन की रुसवाई मेंकभी भी ना सताए...।निंदिया को मैं पुकारूँसपनों की बाट जोहूँसपना लगती अति सुहानीएकदम परियों सी कहानी।परियों की कहानी अलबेलीजो होती है एकदम

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नसीब अपना अपना...

14 दिसम्बर 2020
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नसीब अपना-अपनाकिसी ने सच कहा है साहबदुनिया में सभी लेकर आते हैंनसीब अपना-अपना....।विधिना ने जो लिख दियातकदीर छठी की रात मिटाए से भी नहीं मिटतालकीर खींची जो हाथ....।नसीब में होता है तोबिना माँगे मोती मिल जाता हैनसीब में न होने परमाँगने से भीख भी नहीं मिलती है।ये तो नसीब का ही खेल हैरात का सपना सुबह स

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बारामती का शेर....

20 दिसम्बर 2020
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बारामती का शेर....बारामती के लोंगों ने बस एक ही नाम को है पूजा शरद पवार नाम मान्यवर हर गली शहर में है गूँजासाहब महाराष्ट्र की धरती पर ऐसा नाम कहाँ है दूजाराजनीति गलियारे में भी वही नाम जाता है पूजा।बड़े महारथी पाँव चूमते झुक झुककर भाई जिसकेगाथा क्या गाऊँ मैं भाई उसके चरित्र की महिमा केबोल कभी बड़ बोलन

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तुम शेर बन अड़े रहो....

22 दिसम्बर 2020
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तुम शेर बन अड़े रहो....कोरोना अभी गया नहीं...शेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहोशेरनी भी साथ हो, शावक भी पास होबाहर हवा ठीक नहीं, निकलना उचित नहींशेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहो...।दूध की मांग हो या सब्जी की पुकार होभले राशन की कमी हो, तुम फिकर करो नहींतुम निडर खड़े रहो, बिल्कुल डरो नहींशेर बन अड़े रहो

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श्मशान घाट पर हादसा ....क्या कहेंगे आप..?

3 जनवरी 2021
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श्मशान घाट पर भीषण हादसा...20 की मौत..क्या कहेंगे आप..?उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद स्थित मुरादनगर श्मशान घाट में लोग दाहसंस्कार के लिए आये हुए थे। सभी लोग छत के नीचे खड़े थे। छत गिर गई और देखते-देखते बीस लोग काल के ग्रास में समा गए। जबकि और लोंगों के दबे होने की आशंका जताई गयी है। हालांकि राहत कार

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राष्ट्रीय युवा दिवस

11 जनवरी 2021
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युवा शक्ति के प्रेरक और आदर्श स्वामी विवेकानंद (राष्ट्रीय युवा दिवस)स्वामी विवेकानंद भारतीय आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन को विश्वपटल पर स्थापित करने वाले नायक हैं। भारत की संस्कृति, भारतीय जीवन मूल्यों और उसके दर्शन को उन्होंने ‘विश्व बंधुत्व व मानवता’ स्थापित करने वाले विचार के रूप में प्रचारित किया।

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हिंदी सेवी सम्मान...👍

20 जनवरी 2021
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हिंदी सेवी सम्मान...दो दिन पहले ही फोन आया। अनजान नम्बर था। सामने से आवाज आई, 'अशोक जी नमस्कार। आपके लिए खुशखबरी है। इस वर्ष आपको हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।'एक पल के लिए तो मुझे कुछ नहीं सूझा। खैर जो कुछ मैंने सुना वो सच था। मुंबई प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार सभा ने हिंदी के प्रचार

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