कोविड-19 और ऑनलाइन शिक्षा
COVID-19 महामारी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिये लागू किये गए लॉकडाउन के कारण नौकरी, धंधा, कारोबार, व्यापार और व्यवसाय के साथ - साथ स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से व्यावसायिक, चिकित्सकीय, तकनीकी सभी प्रभावित हुए हैं। अभी तो छात्रों की परीक्षाओं पर भी अनिश्चितता की तलवार लटक ही रही थी कि उनको पिछले प्रदर्शन व उपलब्धि के आधार पर प्रोन्नति करने का निर्णय समुचित जान पड़ा।
कोविड-19 की समस्या विश्वव्यापी है। लोग अपने व्यवसाय, रोजी रोटी को छोड़कर बस एक ही चिंता में हैं कि किसी तरह इस महामारी (मायावी दानव) से बचा जाए। देखिए मायावी दानव कहने का तात्पर्य यूँ है कि इसका स्वरूप दिन प्रति दिन बदलता जा रहा है, जो हमारी समझ से परे है। उसे वैज्ञानिक और चिकित्सक ही समझे।
बात ये है कि जहाँ राजनेता से लेकर प्रशासन राहत पैकेज की तरफ ध्यान केंद्रित किये हुए हैं तो कुछ लोगों ने प्रवासी श्रमिकों की भी सुधि ले लिए। हालांकि काफी जद्दोजहद के बाद श्रमिकों को गन्तव्य या मूल निवास तक जाने की छूट मिली। फिर भी अफरा - तफरी मची हुई है। चिंता सताए जा रही है। आगे क्या होगा? भले ही जीवित रहने की जिजीविषा ने हजारों को काल के मुँह में धकेल दिया। पर आशावादी मानव, मनु की संतानें इतने से जौ भर भी विचलित नहीं हुए।
एक तरफ लोगों के जान के लाले पड़े हैं तो दूसरी तरफ अवसरवादी लोग छात्रों के भविष्य को लेकर दिन-रात एक कर दिये हैं। उनकी नींद चैन सबकुछ गायब है। उन्हें ट्रेन, हवाई जहाज अर्थात विमान, वाहनों के आवागमन से कोई सरोकार नहीं है। वे छात्रों की शिक्षा को लेकर चिंतित हैं। बेशक चिंतित होना लाज़मी है। कुछ को टीचरों की तनख्वाह हजम नहीं हो रही है। तो कुछ को अपने तिजोरी की चिंता है। होनी भी चाहिए, आखिर लाखो - करोड़ों की पूंजी का निवेश जो है। अतः सब अपना अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। इसीलिए तो ऑनलाइन लर्निंग, टीचिंग, क्लास की चर्चा होने लगी। जूम, गूगल मीट, क्लाउड आदि आदि की माँग बढ़ गई। युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई। तरह तरह के वेबिनार आयोजित किए जाने लगे। एक स्पर्धा, होड़ सी लग गई है, सबसे आगे निकल जाने की। हम किसी से कम नहीं….. बस बौना पड़ता जा रहा है व्यक्तित्व….गौण होती जा रही है मानवता…..।
अभी तक मोबाइल, टैब, नोट, मैकबुक से लेकर अन्य उपकरणों को भी हम छात्रों से दूर रखने की वकालत करते थे। दलीलें देते थे कि मानसिक विकास रुक जाएगा, आँखें खराब हो जाएगी आदि आदि। पर हमारे पास तो सुविधा है। हाथी के दाँत की तरह.. खाने का और दिखाने का और….।
अब हम भी ऑनलाइन शिक्षा व ई शिक्षा की वकालत करने लगे हैं। आपको यकीन नहीं होगा मैंनें तो दिन रात एक करके तैयारी भी कर लिया है। …..क्षमा चाहूंगा, सिर्फ मैं अकेला नहीं हूँ… मेरे जैसे हजारों लाखों मिलेंगे। जिन्होंने अपने सिद्धांतों की तिलांजलि दे दी। अनअपेक्षित परिवर्तन को स्वीकार कर लिया…. सिर्फ स्वीकार नहीं किया बल्कि चार कदम आगे बढ़ाकर गले लगा लिया..। खैर अब तेजी से ही नहीं और तेज़ी से ऑनलाइन शिक्षा की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
सच मानों वेबिनार के कारण अब कमर में दर्द रहने लगा है….आँख से पानी बहने लगा है…. हो सकता है कि आगे लहू के आँसू भी निकलें… पर आप बिल्कुल हैरान मत होइए। मैं तैयार हूँ नींव का पत्थर बनने के लिए… ताकि गौरवान्वित हो सकूँ। बुलंद आलीशान ईमारत को बनाने में योगदान तो दे सकूँ।
चलिए एक कदम आगे बढ़ाते हैं, हम वही शिक्षक हैं जो किसी भी कीमत पर चुनावी ड्यूटी नहीं करना चाहते… अंत तक टालमटोल करते हैं। वैसे ही ऑनलाइन शिक्षा को भी अपनायेंगे और उतनी ही वफादारी और संजीदगी के साथ ई कार्य का निर्वहन भी करेंगें।
आइए ऑनलाइन शिक्षा की बढ़ती भूमिका, उसकी विशेषताएँ और चुनौतियों पर विचार- विमर्श कर लेते हैं अर्थात आपको भी अवगत करा दूँ कि मन में कौन-सा तूफान पल रहा है।
ऑनलाइन शिक्षा से क्या तात्पर्य है?
ऑनलाइन शिक्षा से तात्पर्य अपने स्थान पर ही इंटरनेट व अन्य संचार उपकरणों की सहायता से प्राप्त की जाने वाली शिक्षा से है।
ऑनलाइन शिक्षा के विभिन्न रूप हैं, जिसमें वेब आधारित लर्निंग, मोबाइल आधारित लर्निंग या कंप्यूटर आधारित लर्निंग और वर्चुअल क्लासरूम इत्यादि शामिल हैं।
आज से जब कई वर्ष पहले ई-शिक्षा की अवधारणा आई थी, तो दुनिया इसके प्रति उतनी सहज नहीं थी, परंतु समय के साथ ही ई-शिक्षा ने संपूर्ण शैक्षिक व्यवस्था में अपना स्थान बना लिया है।
इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि छात्र अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी समय और कहीं पर भी अपना शैक्षिक कार्य कर सकते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि इस शैक्षिक व्यवस्था में समय और स्थान की कोई पाबंदी नहीं है। छात्र को पूरी आजादी है।
ई-शिक्षा के माध्यम से छात्र वेब आधारित स्टडी मटीरियल को लंबे समय तक सहेज कर सुरक्षित रख सकते हैं और बार-बार देख कर इसके जटिल पहलूओं को समझ सकते हैं।
ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई करना काफी हद तक कम लागत वाली होती है। क्योंकि छात्रों को पुस्तकें या किसी दूसरे स्टडी मटीरियल पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है। दूसरी तरफ आज के माहौल में कोविड-19 की अवधि के दौरान घर में रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
ऑनलाइन शिक्षा या ई-शिक्षा इंटरनेट और कंप्यूटर कौशल का ज्ञान विकसित कराता है जो अध्यापकों के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी तकीनीकी रूप से परिपूर्ण करता है।
ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्र नए कौशल सीखने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। उनका कीमती समय बचेगा।
ऑनलाइन शिक्षा की राह में चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं।
अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से की जाने वाली पढ़ाई में पिछड़ सकते हैं।
छात्र बिना किसी शिक्षक और सहपाठियों के अकेला महसूस कर सकते हैं।
परिणामस्वरूप वे अवसाद से पीड़ित हो सकते हैं। अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं।
खराब इंटरनेट कनेक्शन या पुराने कंप्यूटर ऑनलाइन शिक्षा को निराशाजनक बना सकते हैं।
भारत में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव व इंटरनेट की कम गति ऑनलाइन शिक्षा की राह में सबसे बड़ी चुनौती है।
वर्चुअल क्लासरूम में प्रैक्टिकल या लैब वर्क करना मुश्किल होता है।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में विद्युत व्यवस्था का अभाव है, जो ऑनलाइन शिक्षा में रुकावट बन सकती है।
कुल मिलाकर ऑनलाइन शिक्षा की सफलता, कुशल शिक्षकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों, इंटरनेट सेवा और स्थानीय प्रशासन के द्वारा मुहैया कराए जाने वाली सुविधाओं पर भी निर्भर रहेगा। फिलहाल तो मानसून का सामना सफलता पूर्वक कर लिया जाए तो समझो कि हमनें कोविड-19 के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षा पर भी परचम फहरा लिया है..।
साभार…
प्रा. अशोक सिंह
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