shabd-logo

गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)

23 नवम्बर 2020

549 बार देखा गया 549

गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)


समय-समय की बात होती है। कभी हम भी गिरनार की चढ़ाई को साधारण समझते थे पर आज तो सोच के ही पसीना छूटने लगता है। आज से आठ वर्ष पूर्व एक विशेष राष्ट्रीय एकता शिविर (Special NIC Camp) में महाराष्ट्र डायरेक्टरेट का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। पूरे बारह दिन का शिविर था। मेरे साथ दस SD कैडेट्स और सात SW कैडेट्स ने हिस्सा लिया था। जनवरी का महीना था, हल्का गुलाबी ठंड पड़ रही थी। वैसे वहाँ पर भी ठंडी में भी तापमान लगभग 17℃ ही था। इसलिए कुछ विशेष परेशानी नहीं हुई। इस तरह के शिविरों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों व दार्शनिक स्थलों के भ्रमण पर ही विशेष जोर दिया जाता है। तीसरे दिन से ही प्रतियोगिताएँ शुरू हो गई थी। पूरे भारत से कुल सत्रह डायरेक्टरेट ने हिस्सा लिया था।

हमारा बेस कैम्प जूनागढ़ में था। इसके आस-पास के इलाके हमने भ्रमण के लिए शामिल किए थे। जिसमें सोमनाथ मंदिर, द्वारिकापुरी, जूनागढ़ किला, गिरनार की ट्रेकिंग और गिरि सफारी मुख्य रूप से शामिल था।

वैसे तो ऐसे शिविर मजेदार होते हैं और यादगार बन जाते हैं। गिरनार की चढ़ाई के एकदिन पहले डिनर के समय मेस में केरला की जीसीआई ने कहा, 'एके सर, यदि आप गिरनार की चढ़ाई चढ़ गए तो मेरी तरफ से आपको मुँहमाँगा ईनाम....'

इतना सुनते ही सभी लोग हाँ में हाँ मिलाने लगे कि हो जाए। मैं भी अख्खड़ राजपूत, पीछे कहाँ हटने वाला। वो भी किसी हिरनी की चुनौती सिंह को स्वीकार न हो..। उत्साह वैसे ही जबरदस्त था क्योंकि बसंती ने चुनौती दिया था। वैसे भी मेरी और उसकी जमती थी। अक्सर हमारे प्रैक्टिस भी साथ हुआ करते थे। उनके यहाँ के एक अधेड़ मेजर भी थे। वो अधेड़ था अर्थात पचास पार, कहने लगे, 'सिंह सर मैं आपका साथ दूँगा।'

बाद में पूछने पर पता चला कि बसंती उनको भाव नहीं देती, इसलिए थोड़े से खफ़ा हैं जनाब।

दूसरे दिन हम सभी तैयार होकर हल्का नाश्ता किए और रवाना हो गए। मेरी पैदल चलने की आदत से यहाँ फायदा हुआ। सीढ़ियों की ऊँचाई अधिक होने के कारण थोड़ी सी परेशानी हो रही थी। पाँच हजार सीढ़ी चढ़ने के बाद केरला वाले मेजर साहब तो साथ छोड़ दिए अर्थात जवाब दे दिए और वहीं देरासर में बैठ गए। मैं अपने सत्रह कैडेट व गुजरात डायरेक्टरेट के दस कैडेट के साथ धीरे-धीरे दस हजार सीढियों को कैसे पार कर गया... मुझे पता ही नहीं चला। लेकिन मुकाम तक पहुँचने में मुझे लगभग साढ़े तीन घंटे का समय लग गया था। बहुत से कैडेट्स ढाई से तीन घंटे में ही ऊपर पहुँच गए थे। वहाँ पर लगभग तीस साल से सेवारत महंत जी विराजमान थे, उनसे मिलकर बेहद खुशी हुई। परिचय होने पर पता चला कि वे ब्राह्मण नहीं हैं बल्कि कछवां के यदुवंशी हैं। पर अब पूरी तरह से जूनागढ़ और गिरनार के होकर रह गए थे। दरअसल सात हजार सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद शायद मैं रुक जाता पर कैडेट्स का सहयोग और बसंती की चुनौती ने मुझे हमेशा एक कदम आगे बढ़ाते रहने को उत्साहित किया, जिसकी बदौलत किला फतह करने में सफलता मिली। ऊपर पहुँचने के बाद तो लोग थके-माँदे दिखाई दे रहे थे पर मेरा उत्साह तो सातवें आसमान पर था। आप भी समझ सकते हैं कि जहाँ चुनौती हो... तो बात कुछ और ही होती है। दूसरी तरफ ये भी भावना मन में थी कि चुनौती पूरा न होनें पर साथी मेस में अवश्य उपहास करेंगे। चोटी पर पहुँचने के बाद इसी बात की खुशी थी कि अब मजाक का पात्र नहीं बनूगा।

दोपहर दो बजे के बाद उतरने का उपक्रम शुरू हुआ। रवानगी के समय महंत जी ने एक सोटी (लाठी) दिया और बोले, 'कैप्टन साहब, उतरने में आपकी मदद करेगी।'

सच में उतरते समय मुझे आभास हुआ कि लाठी से काफी सहायता मिल रही थी। बहुत से लोंगों के पैर थरथरा रहे थे। नीचे अम्बाजी के पास बसंती भी मिली, थकी-मांदी, हताश, चेहरे पर बारह बजा हुआ था। वो प्यासी भी थी। उसे नींबू पानी पिलाया।

बोलने लगी, 'मुझे यकीन नहीं हो रहा है। क्या! आपने सच में... पूरा कर लिया।'

सभी के लिए हैरानी का विषय था क्योंकि मेरा वजन निन्यानबे किलो था। पर हो गया।

"हाथ कंगन आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या...।" जीता जागता प्रमाण सामने था। गवाही में तो पूरी जमात खड़ी थी।

अनायास मेरे मुँह से निकल गया - 'घबराइए मत, मेरी फरमाइश से आपको शर्मिंदगी महसूस नहीं होगी।' कोई ऊंट-पटांग फरमाइश नहीं होगी।

उसका चेहरा खिल उठा, एक अलग तरह की चमक दिखाई दी। आँखे जैसे कृतज्ञता ज्ञापित कर रही हों। ऐसी अदा जैसे पूरी तरह से समर्पित हो। मुझे भी ऐसा एहसास हो रहा था जैसे वो जिंदगी में पहली बार शरमा रही हो। शाम को पाँच बजे तक सभी लोग नीचे आ गए थे। वहाँ पर सभी के लिए नींबू-पानी की व्यवस्था की गई थी। कुछ लोंगों को ग्लूकोज़ भी दिया जा रहा था। कुछ तो लंगड़ा कर चल रहे थे, उनकी जांघे छिल गई थी। कांछ लग गई थी। थोड़ी सी समस्या केरला वाले मेजर साहब के साथ हो गई थी। वे उतर नहीं पा रहे थे तो उनके लिए डोली की व्यवस्था की गई। तीन हजार रुपए डोली वाले को दिया गया तब कहीं जाकर मेजर साहब नीचे उतरे और कैम्प खत्म होने तक चलने की हालत में नहीं थे।

बसंती को मेजर साहब का उड़ाने का मौका मिल गया था। रह रहकर चुटकी ली ही लेती थी।

डिनर के समय मेस में आधे से कम लोग ही थे। सभी रोबोटिक चाल चल रहे थे। हमारी व्यवस्था सूबेदार मेजर साहब ने कर दी थी सो थकान महसूस नहीं हुई। बड़े आराम से रात कटी। दूसरे दिन सुबह नाश्ते पर मेस में ही सभी से मुलाकात हुई। सभी उकसाने लगे, सिंह सर की तो चाँदी ही चाँदी है... माँगो जो माँगना है। लोंगों ने क्या-क्या कल्पनायें की थी। पर सब पर पानी फिर गया। पर हुआ कुछ ऐसा जिसके बारे में कोई सोचा नहीं था और न तो किसी को भनक थी।

मेरे मुँह से निकला,'शर्त पूरा करने के लिए बसंती को डांस करना होगा। मैं जानता हूँ बसंती बहुत अच्छा डांस करती है।'

सभी हैरान।

मैंने कहा, 'हाँ, बिल्कुल सही सुना आपलोंगों ने। दरअसल कैडेट्स के रिहर्सल के दौरान मैंने बसंती को डांस करते देखा था।'

रही सही कसर मेजर ने पूरी कर दी थी, पहली बार उन्होंने ही बताया था कि बसंती एक अच्छी डांसर है।

बहुत ही अच्छी डांसर रह चुकी थी। बहुत पहले उसने डांस का कोर्स भी किया था।

सहमति बन गई। बसंती ने भी शरमाते हुए हाँ में हामी भर दी। हालांकि उसने अकेले में कई बार पूछा, 'आपको किसने बताया कि मैं डांस जानती हूँ।'

इस बात को अंत तक मैंने रहस्य ही रहने दिया और हर बार एक ही जवाब रहता कि मैंने रिहर्सल के दौरान देखा था।

डिनर के बाद हम सभी लोग रिहर्सल स्पॉट रंगमंच पर पहुँच गए। उसके बाद बसंती ने जो धमाकेदार डांस किया देखकर सभी दंग रह गए। गजब के लटके झटके और अदाकारी के साथ प्रस्तुति। सभी ने वाह-वाह किया।

पर बसंती ने पास आकर कहा, 'आपने तो मेरी जान ही निकाल ली। हाय मार डाला।'

सच ही कहा उसने, गिरनार की चढ़ाई के दो ही दिन के बाद ऐसा प्रदर्शन, लाज़वाब था। जहाँ एक तरफ लोग तीन-चार दिन तक टेढ़े होकर चल रहे थे वहीं बसंती ने जादू सा कर दिया और सब के चेहरे खिल गए।

दस दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला।

खैर इस दौरान हमनें ज्योतिर्लिंग सोमनाथ और तीर्थधाम द्वारकाधीश के अलौकिक दर्शन प्राप्त किए। हालांकि हमारे एक साथी हिमाचल प्रदेश के थे, द्वारिकधाम में किसी पंडा के चँगुल में फँस गये थे और उन्हें दस हजार का चूना लग गया था। जब तक मामला मेरे पास तक आया तबतक देर हो चुकी थी, कहने का मतलब ये कि हमारे पास भी समय की पाबंदी थी और वो कौन सा पंडा था उसको ढूँढने में समय लगता। सो उस प्रकरण को अनसुलझा ही छोड़ दिए। हुआ यूँ कि जब हम बाहर आकर गाड़ी में बैठकर भेंट द्वारका के लिए रवाना हुए तब उस घटना के बारे में बताया गया। इसलिए आपसी सहमति बनी कि लौटकर जाना बेवकूफी होगी।

भले ही सब अलग-अलग प्रांत से आते हैं पर दस-बारह दिन में ही ऐसी जुगलबंदी हो जाती है कि बिछुड़ते समय आँखों में आँसू भर आना और सिसकना तो आम बात हो जाती है। हम सब कितने जल्दी एक दूसरे के साथ घुलमिल जाते हैं, एक दूसरे के विश्वास को जीत लेते हैं, एक दूसरे के बन जाते हैं।

काशः! ऐसा ही व्यावहारिक जिंदगी में हो और हमसब अपने आस-पास अड़ोस-पड़ोस में भी इसी तरह का लगाव व विश्वास बनाए रखें तो सारे गिले शिकवे मिट जाए।

जिंदगी में कुछ ऐसे पल और लम्हें होते हैं जो बहुत ही छोटे होते हैं पर अविस्मरणीय और यादगार बन जाते हैं। उसके कुछ छाप हमारे मानस पटल पर आजीवन के लिए अंकित हो जाते हैं, ये बात और है कि समय के थपेड़ों के साथ धूमिल अवश्य होते जाते हैं। वैसे ही ये विशेष शिविर भी दो वजह से यादगार बन गई, एक तो बसंती की डांस और दूसरी तरफ लौटने का आरक्षण न हो पाने के कारण जो सफर के दौरान उत्पन्न अनुभव किसी त्रासदी से कम नहीं थी, इसने इसे अविस्मरणीय बना दिया।

➖ अशोक सिंह 'अक्स'

#अक्स

1

कोविड-19 और ऑनलाइन शिक्षा

9 जून 2020
0
1
1

कोविड-19 और ऑनलाइन शिक्षाCOVID-19 महामारी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिये लागू किये गए लॉकडाउन के कारण नौकरी, धंधा, कारोबार, व्यापार और व्यवसाय के साथ - साथ स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से व्यावसायिक, चिकित्सकीय

2

कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो….

22 जुलाई 2020
1
1
1

कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो….हम अपने आस - पास अक्सर लोंगों को बोलते हुए सुनते हैं, हर कोई आध्यात्मिक अंदाज में संदेश देते रहता है - 'कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो…...।' वस्तुतः ठीक भी है। एक विचार यह है कि फल की चिंता कर्म करने से पहले करना कितना उचित है अर्थात निस्वार्थ भाव से कर्म को बखूब

3

अजी ये क्या हुआ....?

23 जुलाई 2020
0
1
0

अजी ये क्या हुआ…?होली रास नहीं आयाकोरोना काल जो आयामहामारी साथ वो लायाअपना भी हुआ परायाबीपी धक धक धड़कायाछींक जो जोर से आया…तापमान तन का बढ़ायाऐंठन बदन में लायाथरथर काँपे पूरी कायाछूटे लोभ मोह मायादुश्मन लागे पूरा भायापूरा विश्व थरथराया……नाम दिया महामारीजिससे डरे दुनिया सारीचीन की चाल सभी पे भारीबौखला

4

कोरोना महामारी और बकरीद पर्व

24 जुलाई 2020
0
1
0

पिछले चार महीनें से कोरोना वायरस का प्रकोप चारो ओर फैला हुआ है। कोरोना महामारी के कारण लोंगों का जीना मुहाल है। ऐसे में मुसलमान भाइयों के बकरीद पर्व का आगमन हो रहा है। पूरा विश्व आज कोरोना से त्राहि त्राहि कर रहा है तो ऐसे में बकरीद का पर्व इससे अछूता कैसे रह सकता है। कोरोना के चलते विश्वव्यापी मंदी

5

कोरोना देव की कृपा

28 जुलाई 2020
0
2
0

कोरोना देव की कृपाजीवन का नाहीं कौनों ठिकानामरै के चाहिय बस कौनों बहाना बुढ़न ठेलन का बाटै आना जानाजवनकेउ का नाहीं बाटै ठिकानारोग ब्याधि का बाटै ताना बानाफैलल बा भाई वायरस कोरोनाझटके पटके में होला रोना धोनाकितना मरि गयेन बिना कोरोनामेहर माई बाप के बाटै भाई रोनाअस्पताल वाले पैसा लूटत बानाभागल भागल बीर

6

बप्पा को लाना तो हमारी जिम्मेदारी है

29 जुलाई 2020
0
1
0

बप्पा को लाना हमारी जिम्मेदारी है...अबकी बरस तो कोरोना महामारी हैउत्सव मनाना तो हमारी लाचारी हैरस्में निभाना तो हमारी वफादारी हैबप्पा को लाना तो हमारी जिम्मेदारी है।अबकी बरस हम बप्पा को भी लायेंगेंसादगी से हम सब उत्सव भी मनायेंगेंसामाजिक दूरियाँ हम सब अपनायेंगेंमास्क सेनिटाइजर प्रयोग में लायेंगें।दू

7

क्या कहेंगें आप...?

30 जुलाई 2020
0
2
0

क्या कहेंगें आप...?हम सभी जानते हैं कि प्रकृति परिवर्तनशील है। अनिश्चितता ही निश्चित, अटल सत्य और शाश्वत है बाकी सब मिथ्या है। बिल्कुल सच है, हमें यही बताया जाता है हमनें आजतक यही सीखा है। तो मानव जीवन का परिवर्तनशील होना सहज और लाज़मी है। जीवन प्रकृति से अछूता कैसे रह सकता है…? जीवन भी परिवर्तनशील ह

8

क्या मृत्यु से डरना चाहिए……?

31 जुलाई 2020
0
3
0

क्या मृत्यु से डरना चाहिए……?अगर हम बात मृत्यु की करते हैं तो अनायास आँखों के सामने किसी देखे हुए मृतक व्यक्ति के शव का चित्र उभरकर आ जाता है। मन भी न चाहते हुए शोकाकुल हो उठता है। आखिर ऐसी मनस्थिति के पीछे क्या वजह हो सकती है…? जबकि आज के परिवेश में घर के अंदर भी हमें दिन में ही ऐसी लाशों को देखने क

9

तनाव मुक्त जीवन ही श्रेष्ठ है……

1 अगस्त 2020
0
2
0

तनाव मुक्त जीवन ही श्रेष्ठ है……आए दिन हमें लोंगों की शिकायतें सुनने को मिलती है….... लोग प्रायः दुःखी होते हैं। वे उन चीजों के लिए दुःखी होते हैं जो कभी उनकी थी ही नहीं या यूँ कहें कि जिस पर उसका अधिकार नहीं है, जो उसके वश में नहीं है। कहने का मतलब यह है कि मनुष्य की आवश्यकतायें असीम हैं….… क्योंकि

10

हिंदी साहित्य के धरोहर "मुंशी प्रेमचंद"

1 अगस्त 2020
0
2
0

हिंदी साहित्य के धरोहर "मुंशी प्रेमचंद"जनमानस का लेखक, उपन्यासों का सम्राट और कलम का सिपाही बनना सबके बस की बात नहीं है। यह कारनामा सिर्फ मुंशी प्रेमचंद जी ने ही कर दिखाया। सादा जीवन उच्च विचार से ओतप्रोत ऐसा साहित्यकार जो साहित्य और ग्रामीण भारत की समस्याओं के ज्यादा करीब रहा। जबकि उस समय भी लिखने

11

जीवित हो अगर, तो जियो जीभरकर...

2 अगस्त 2020
0
4
0

जीवित हो अगर, तो जियो जीभरकर...जीते तो सभी हैं पर सभी का जीवन जीना सार्थक नहीं है। कुछ लोग तो जिये जा रहे हैं बस यों ही… उन्हें खुद को नहीं पता है कि वे क्यों जी रहे हैं? क्या उनका जीवन जीना सही मायनें में जीवन है। आओ सबसे पहले हम जीवन को समझे और इसकी आवश्यकता को। जिससे कि हम कह सकें कि जीवित हो अगर

12

यही तो संकल्प है.. अब पूरा करके दिखायेंगें

2 अगस्त 2020
0
1
0
13

जय बोलो प्रभु श्री राम की

5 अगस्त 2020
0
1
0

जय बोलो प्रभु श्री राम कीजय बोलो प्रभु श्री राम कीअयोध्या नगरी दिव्य धाम कीपावन नगरी के उस महिमा कीतुलसीदास जी के गरिमा कीजो जन्म भूमि कहलाता हैत्रेतायुग से जिसका नाता हैसुनि रामराज्य मन भाता है।जय बोलो प्रभु श्री राम कीअयोध्या नगरी दिव्य धाम कीजग के पालनहारी श्री रामबिगड़ी सबके बनाते कामभ्राता भरत क

14

मेहतर....

7 अगस्त 2020
0
2
0

मेहतर….साहबअक्सर मैंने देखा हैअपने आस-पासबिल्डिंग परिसर व कालोनियों मेंकाम करते मेहतर परडाँट फटकार सुनातेलोंगों कोजिलालत करतेमारते भर नहींपार कर देते हैं सारी हदेंथप्पड़ रसीद करने में भी नहीं हिचकते।सच साहबकिसी और पर नहींबस उसी मेहतर परजो साफ करता हैउनकी गंदगीबीड़ी सिगरेट की ठुंठेंबियर शराब की खाली बो

15

वक़्त अच्छा हो तो....

8 अगस्त 2020
0
3
1

वक्त अच्छा हो तो….कोरोना काल में अंतर्मन ने पूछा -इस दुनिया में तुम्हारा अपना कौन है..?सवाल सुनते हीएक विचार मन में कौंधामाँ-बाप, भाई-बहन, पत्नी…बेटा - बेटी या फिर मित्र..किसे कहूँ अपना..?यदि वक़्त अच्छा हो तोजो अदृश्य हैसर्वशक्तिमान हैसर्वव्यापी हैवो भी अपना है तब सब कुछ ठीक है।वक़्त अच्छा हो तोमाँ-ब

16

मैं सड़क....

9 अगस्त 2020
0
1
1

मैं सड़क …अरे साहबकोरोना महामारी के कारणफुर्सत मिलीआपबीती सुनाने कामौका मिला।सदियों से सेवाव्रतीदिन-रात सजग तैनातसीनें पर सरपट दौड़ती गाड़ियों का अत्याचार।हाँ साहब.. 'अत्याचार'तेजगति से बेतहाशाचीखती - चिल्लातीभागती गाड़ियाँ..।क्षमता से अधिकबोझ लादे…आवश्यकता से अधिकरफ़्तार में भागती गाड़ियाँ...।मेरे चिथड़े

17

कोविड की तानाशाही...

10 अगस्त 2020
0
1
0

कोविड की तानाशाहीहम कहते हैं बुरा न मानोमुँह को छिपाना जरूरी हैअपनेपन में गले न लगाओदूरियाँ बनाना जरूरी हैकोरोना महामारी तोएक भयंकर बीमारी हैकहने को तो वायरस हैपर छुआछूत बीमारी हैहट्टे कट्टे इंसानों पर भी एक अकेला भारी हैआँख मुँह और नाक कान सेकरता छापेमारी हैएक पखवाड़े के भीतर हीअपना जादू चलाता हैकोर

18

सागर की लहरें....

11 अगस्त 2020
0
2
1

सागर की लहरें...सागर की लहरें किनारे से बार-बार टकरातीचीखती उफान मारती रह-रहकर इतरातीमन की बेचैनी विह्वलता साफ झलकतीसदियों से जीवन की व्यथा रही छिपाती पर किनारे पहुँचते ही शांत सी हो जातीवह अनकही बात बिना कहे लौट जातीअपने स्पर्श से मन आल्हादित कर जातीसंग खेलने के लिए उत्साहित हो उकसातीजैसे ही हाथ बढ़

19

स्वस्थ रहना है तो....

12 अगस्त 2020
0
0
0

स्वस्थ रहना है तो….स्वस्थ रहना है तो नियम का पालन अर्थात अनुशासन को जीवन में अपनाना होगा। कहा जाता है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है। बिल्कुल सही है। यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो खुशी व प्रसन्नता कहाँ से मिलेगी। कहने का तात्पर्य यह है कि खुशी व प्रसन्नता के लिए सुख सुविधाओं का व शारीरिक सुख

20

मस्त हवाओं का ये झोंका....

13 अगस्त 2020
0
2
0

मस्त हवाओं का ये झोंका, बेमौसम ही प्यार करे…प्रियतम पास नहीं हैं फिर भी मिलन को बेकरार करेजीवन में बहार नहीं फिर भी प्रणय गीत स्वर नाद करेसजना की कोई खबर नहीं फिर जीना क्यों दुस्वार करेबिन तेरे सजना जीना मुश्किल रग - रग में है ज्वार उठे तेरे ही नाम से मेरी सुबह हुई है तेरे ही नाम से शाम ढले।मस्त हवा

21

जिंदगी को जिओ पर संजीदगी से....

14 अगस्त 2020
0
2
2

जिंदगी जिओ पर संजीदगी से…….आजकल हम सब देखते हैं कि ज्यादातर लोगों में उत्साह और जोश की कमी दिखाई देती है। जिंदगी को लेकर काफी चिंतित, हताश, निराश और नकारात्मकता से भरे हुए होते हैं। ऐसे लोंगों में जीवन इच्छा की कमी सिर्फ जीवन में एक दो बार मिली असफलता के कारण आ जाती है। फिर ये हाथ पर हाथ रखकर बैठ जा

22

ऐसा भी दिन आएगा कभी सोचा न था....

16 अगस्त 2020
0
1
0

ऐसा भी दिन आएगा कभी सोचा न था….सृष्टि के आदि से लेकर आजतक न कभी ऐसा हुआ था और शायद न कभी होगा….। जो लोग हमारे आसपास 80 वर्ष से अधिक आयु वाले जीवित बुजुर्ग हैं, आप दस मिनिट का समय निकालकर उनके पास बैठ जाइए और कोरोना की बात छेड़ दीजिए। आप देखेंगे कि आपका दस मिनिट का समय कैसे दो से तीन घंटे में बदल गया

23

पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है....

17 अगस्त 2020
0
2
2

पैसा बहुत कुछ तो है पर सबकुछ नहीं है…..मनुष्य स्वभाव से ही बहुत लालची और महत्त्वाकांक्षी होता है। अर्थ, काम, क्रोध, लोभ और माया के बीच इस तरह फँसता है कि बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। यह उस दलदल के समान है जिसमें से जितना ही बाहर निकलने का प्रयास किया जाता इंसान उस दलदल में और फँसता जाता है। इस सं

24

सांत्वना देते हुए.....

18 अगस्त 2020
0
2
0

सांत्वना देते हुए.....चिंटू बच्चा…..सुनकर बहुत दुःख हुआ….दो मिनट के लिए तो आँखों के आगे अँधेरा सा छा गया…कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं….क्या कहूँ… क्या बोलूँ….. कुछ समझ में नहीं आ रहा है।हिम्मत से काम लेना… घरवालों का ध्यान रखना।ईश्वर की लीला समझना सबके बस की बात नहीं…इतना ही समझ जायें तो फिर इंसान दर

25

असहिष्णुता....

2 सितम्बर 2020
0
1
0

असहिष्णुता….मनुष्य के जीवन में उसके व्यक्तित्व और सोच-विचार पर खान-पान व रहन-सहन का बहुत असर पड़ता है। कहा जाता है जैसा खान-पान, वैसा अचार-विचार। अर्थात सादा जीवन, सादा भोजन - उच्च विचार। जिस तरह से फसल को समय-समय से सींचा जाता है, खाद-पानी दिया जाता है तो उसका समुचित विकास होता है। जिसका उचित देखभाल

26

हिंदी अध्यापक संघ द्वारा आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह'

9 सितम्बर 2020
0
0
0

कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ द्वारा आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह'कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से आयोजित 'शिक्षक दिवस समारोह' दिनांक 8 सितंबर, 2020 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के दिन ही 'शिक्षक दिवस समारोह' का आयोजन

27

समाज और देश के उत्थान में युवाओं की भूमिका

9 सितम्बर 2020
2
0
0

समाज और देश के उत्थान में युवाओं की भूमिकासमाज और देश के उत्थान में युवाओं की अहम भूमिका होती है। मैं युवाओं की बात को स्वामी विवेकानंद जी के उन विचारों के माध्यम से शुरू कर रहा हूँ जिनमें युवाओं को विशेष रूप से संबोधित किया गया है। स्वामीजी की मान्यता है कि भारतवर्ष का नवनिर्माण शारीरिक शक्ति से न

28

रिज़वी महाविद्यालय में हिंदी काव्य-पाठ का आयोजन संपन्न

25 सितम्बर 2020
0
0
1

रिज़वी महाविद्यालय में ऑनलाइन मंच के माध्यम से दो दिवसीय 'हिंदी काव्य-पाठ समारोह' सम्पन्नरिज़वी महाविद्यालय कला, विज्ञान एवं वाणिज्य के कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी विभाग के तत्वाधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय 'हिंदी काव्य-पाठ समारोह' का आयोजन संपन्न हुआ। दोनों दिन समारोह का शुभारंभ सरस्वती

29

हे कवि मन हिंदी की जय बोल

26 सितम्बर 2020
0
1
0

हे कवि मन, हिंदी की जय बोलजिसने निजभाषा का मान बढ़ायाहिंदी को जन - जन तक पहुँचायाराजभाषा का दर्जा भी दिलवायाहे कवि मन, हिंदी की जय बोल।जो घर-घर में बोली जाती हैजो सबके मन को हरसाती हैसभी जाति धरम को भाती हैहे कवि मन हिंदी की जय बोल।जिसके बावन अक्षर होते हमारेकवि जिससे प्रकृति को चितारेजो जनमानस के भा

30

रह जाता कोई मोल नहीं

27 सितम्बर 2020
0
0
0

रह जाता कोई मोल नहींजब जीवन की आपाधापी सेटूट चुका हो मानव मनफिर आशा की किरणों कारह जाता कोई मोल नहीं।जब मन तानों से आहत होदिल भी छलनी हो जाएफिर मधुर प्रिय वचनों कारह जाता कोई मोल नहीं।जब सुख-सुविधाओं का खान होपर काया रोगों से घिरा होफिर पास पड़े धन दौलत कारह जाता कोई मोल नहीं।जब धरती तपती हो कड़ी धूप

31

हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा महात्मा गाँधी जयंती के अवसर पर आयोजित वेब संगोष्ठी

3 अक्टूबर 2020
0
0
0

महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारामहात्मा गाँधीजी की जयंती के उपलक्ष्य में वेबसंगोष्ठी का आयोजन" महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा 'महात्मा गाँधीजी जयंती व शास्त्री जयंती के अवसर पर वेबसंगोष्ठी का आयोजन दिनांक 2 अक्टूब

32

बुद्ध की बात मानों और अपना दीपक स्वयं बनों....

4 अक्टूबर 2020
1
1
1

अपना दीपक स्वयं बनोअपना दीपक स्वयं बनों…. कथन तो एकदम सरल है। पर सारगर्भित है। सोचिए जरा 'अपना दीपक स्वयं बनों ' कहने का तात्पर्य क्या है..? इस बात को अच्छी तरह से समझने के लिए चिंतन व मनन की आवश्यकता है। दीपक से रोशनी मिलती है, दीपक से अँधेरे का नाश होता है, दीपक से हमारा जीवन पथ प्रकाशित होता है,

33

कान की व्यथा कान की जुबानी

6 अक्टूबर 2020
0
0
0

कान की व्यथा कान की जुबानी इस दुनिया में कोई पूर्ण नहीं है… सभी अपूर्ण हैं। कोई सुखी नहीं है सभी दुखी हैं। जिसके पास सबकुछ है फिर भी वो उसका भोग आनन्द पूर्वक न करके जो नहीं है या जो अप्राप्य है उसके लिए दुखी है। सभी के मन में कोई न कोई व्यथा है जिसने आहत कर रखा है। औरों की बात तो छोड़ो एक दिन कान बेच

34

विशुद्ध किसान गुदड़ी के लाल

7 अक्टूबर 2020
0
2
1

विशुद्ध किसान गुदड़ी के लालहम किसान हमें खेती प्याराहम कुछ भी उगा सकते हैंइस जग में दूजा काम नहीं जो मेरे मन को भा सकते हैं।हम उस किसान के बेटे हैंसंभव है तुझको याद नहींजय जवान जय किसान का नाराबिल्कुल तुझको है याद नहीं।ईमानदारी जिसके रग-रग में समायाबेमिसाल ऐसा इनसान कहाँसादा जीवन और उच्च विचार होमिलत

35

बहुत याद आता है.. वो गुजरा जमाना

8 अक्टूबर 2020
0
2
1

बहुत याद आता है..वो गुजरा जमाना...बहुत याद आता है, वो गुजरा जमानावो बीता बचपन, हरकतें बचकानाआपस में लड़ना, फिर रूठना-मनानाचंदा मामा का आना, खाना खिलानासुबह का कलेवा, वो बासी खानाजिसके बिना दिन, लागे सूना-सूना।दादा-दादी के पास, नित होता था सोनानीदिया रानी का आना, चुपके से सुलानापरियों की कहानी का, नित

36

चले आना प्रभुजी चले आना....

12 अक्टूबर 2020
0
1
0

"चले आना प्रभुजी चले आना..."कभी परशुराम बन केकभी बलराम बन केअहंकार मिटाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना...कभी घनश्याम बन केकभी श्यामघन बन केधरती को भिगाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना....कभी राम बन केकभी श्याम बन केपाप मिटाने चले आनाचले आना प्रभुजी चले आना....कभी किसान बन केकभी नौजवान बन केअमन चै

37

उठो बहना शमशीर उठा लो....

14 अक्टूबर 2020
0
1
0

"उठो बहना शमशीर उठा लो..."उठो बहना शमशीर उठा लोसोयी सरकार न जागेगीहर घर में है दुःशासन बैठाऔर कब तक तू भागेगी...?समय आ गया फिर बन जाओतुम झाँसी की रानीशमशीर उठाकर लिख डालोएकदम नई कहानीमरते दम तक याद रहेसबको एकदम जुबानी....।उठो बहना शमशीर उठा लोबन जाओ तुम मरदानीकोई नज़र

38

भक्तों ने पुकारा और मैया चली आई...

19 अक्टूबर 2020
0
1
0

भक्तों ने पुकारा और मैया चली आईभक्तों ने पुकारा और मैया चली आईदर्शन देकर के मैया आपन कृपा बरसाई......जब-जब नवरात्रि आई, माई के दरबार सजाईघर में ही दरबार लगाई, स्वागत में मंगलाचार गाई....माँ के दरबार में..आज मंगलाचार है..सबका स्वागत सत्कार हैहो रही जयजयकार है माँ अंबे का सत्कार हैमाता भवानी आई हैं सं

39

मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं....

23 अक्टूबर 2020
0
1
0

मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं...मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं..दुनिया के सताए लोग यहाँ सीने से लगाए जाते हैं।मातारानी के दरबार में दुःख दर्द मिटाए जाते हैं।संसार मिला है रहने को यहाँ दुःख ही दुःख है सहने कोपर भर-भर के अमृत के प्याले यहाँ रोज पिलाये जाते हैं।मातारानी

40

कोरोना की काली भयावह रात

24 अक्टूबर 2020
0
1
0

कोरोना की वो काली भयावह रातमाना कि आज है कोरोना की काली भयावह रातदरअसल मिली है अपने कट्टर पड़ोसी से सौगातयूँ ही कोई देता है अर्जित अपनी थाती व विरासतसच पूछो तो ये है करनी यमराज के साथ मुलाक़ात..।नींद भी आती नहीं, आते नहीं सपनेंबेसब्री बढ़ती जाती है याद आते हैं अपनेंसमाचारपत्रों में पढ़कर भयावहता की खबरे

41

अनमोल वचन

28 अक्टूबर 2020
0
1
0

अनमोल वचनश्रद्धा सम भक्ति नहीं, जो कोई जाने मोलहीरा तो दामों मिले, श्रद्धा-भक्ति अनमोल।दयावान सबसे बड़ा, जिय हिय होत उदारतीनहुँ लोक का सुख मिले, करे जो परोपकार।स्वार्थी सारा जग मिले, उपकारी मिले न कोयसज्जन से सज्जन मिले, अमन चैन सुख होय।सब कुछ होत है श्रम से, नित श्रम करो तुम धायसीधी उँगली घी न निकसे

42

जीवन को सरल, सहज और उदार बनाओ

30 अक्टूबर 2020
0
0
0

जीवन को सरल, सहज और उदार बनाओमनुष्य कहने के लिए तो प्राणियों में सबसे बुद्धिमान और समझदार कहलाता है। पर गहन अध्ययन व चिंतन करने पर पता चलता है कि उसके जैसा नासमझ व लापरवाह दूसरा कोई प्राणी नहीं है। विचारकों, चिंतकों, शिक्षाशास्त्रियों और मनीषियों ने बताया कि सीखने की कोई आयु और अवस्था नहीं होती है।

43

महाप्रसाद के बदले महादान

31 अक्टूबर 2020
0
0
0

महाप्रसाद के बदले महादानआप सभी जानते हैं कि कोरोना विषाणु के कारण जनजीवन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। व्यापार, कारोबार और रोजगार भी अछूता नहीं रहा। कोरोना के कारण पूरे विश्व में भय व्याप्त है। ऐसे में पड़ने वाले त्योहारों का रंग भी फीका पड़ता गया। राष्ट्रीय त्यौहार स्वतंत्रता दिवस का आयोजन तो कि

44

हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

1 नवम्बर 2020
0
0
0

हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्नमहाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल और बालभारती के संयुक्त तत्वावधान में बहुप्रतीक्षित बारहवीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक, मूल्यमापन एवं आराखड़ा संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 1 नवंबर, 2020 को सुबह 11.30 बजे संपन्न हुआ

45

सबसे सरल, सहज और दुर्बल प्राणी शिक्षक

5 नवम्बर 2020
0
0
0

सबसे सरल, सहज और दुर्बल प्राणी 'शिक्षक'आप हमेशा से ही इस समाज में एक ऐसे वर्ग, समुदाय या समूह को देखते आये हैं जो कमजोर, दुर्बल या स्वभाव से सरल होता है और दुनिया वाले या अन्य लोग उसके साथ कितनी जटिलता, सख्ती या बेदर्दी से पेश आते हैं। वो बेचारा अपना दुःख भी खुलकर व्यक्त नहीं कर पाता है। वैसे तो उसे

46

अनमोल वचन ➖ 3

6 नवम्बर 2020
0
0
0

अनमोल वचन ➖ 3सद्गुरु हम पर प्रसन्न भयो, राख्यो अपने संगप्रेम - वर्षा ऐसे कियो, सराबोर भयो सब अंग।सद्गुरु साईं स्वरूप दिखे, दिल के पूरे साँचजब दुःख का पहाड़ पड़े, राह दिखायें साँच।सद्गुरु की जो न सुने, आपुनो समझे सुजानतीनों लोक में भटके, तबतक गुरु न मिले महान।सद्गुरु की महिमा अनंत है, अहे गुणन की खानभव

47

ऑर्गेनिक खेती और हैड्रोपोनिक खेती का बढ़ता चलन

7 नवम्बर 2020
0
1
0

ऑर्गेनिक खेती और हैड्रोपोनिक खेती का बढ़ता चलनहालही में मैंने 4 नवंबर, 2020 के अंक में छपा एक लेख पढ़ा जिसका शीर्षक था 'लेक्चरर की नौकरी छोड़ बनें किसान' मिट्टी नहीं पानी में उगती हैं फल और सब्जियाँ। यह कारनामा गुरकीरपाल सिंह नामक व्यक्ति ने कर दिखाया। जो एक कंप्यूटर इंजीनियर थे और लेक्चरर पद पर नौकरी

48

'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है'

8 नवम्बर 2020
0
0
0

'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है'कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। जहाँ एक तरफ दावा किया जा रहा था कि अब कोरोना का खात्मा होने को आया है और सबकुछ खोल दिया गया, भले ही कुछ शर्तें रख दी गई। हमेशा सरकार प्रशासन सूचना जारी करने तक को अपनी जिम्मेदारी मानती है और उसीका निर्वहन करती है। जैसे सिगरेट के पैकेट प

49

अनमोल वचन ➖ 4

9 नवम्बर 2020
0
1
0

अनमोल वचन ➖ 4दाता इतना रहमिए, कि पालन-पोषण होयपेट नित भरता रहे, अतिथि सेवा भी होय।दीनानाथ हैं अंतर्यामी, सहज करें व्यापारबिना तराजू के स्वामी, करें हैं सम व्यवहार।सबकुछ तेरा नाम प्रभु, इंसा की नहीं औकातपल में राजा तू बनाए, पल में रंक बनि जात।नाथ की लीला निराली,क्या स्वामी क्या मालीबाग की रक्षा माली

50

शिक्षक के व्यवसाय का महत्त्व

11 नवम्बर 2020
1
0
0

शिक्षक के व्यवसाय का महत्त्वशिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के व्यवसाय का ऐसा ही महत्त्व है जैसे कि ऑपरेशन करने के लिए किसी डॉक्टर अर्थात सर्जन का महत्त्व होता है। शिक्षक सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि राष्ट्र की भी धूरी है। समाज व राष्ट्र सुधार और निर्माण के कार्य में उसकी महती भूमिका होती है। शिक्षक ही शिक

51

आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ

14 नवम्बर 2020
0
0
0

आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँआओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँदीप बनाने वालों के घर में भी दीये जलाएँचीनी हो या विदेशी हो सबको ढेंगा दिखाएँअपनों के घर में बुझे हुए चूल्हे फिर जलाएँअपनें जो रूठे हैं उन्हें हम फिर से गले लगाएँ।आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँजो इस जग में जगमग-जगमग जलता जाएजो अपनी आभा को इस जग म

52

जननायक बिरसा मुंडा

15 नवम्बर 2020
0
0
0

जननायक बिरसा मुंडावैसे तो हम हजारों समाजसुधारकों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, उनका जन्मदिन मनाते हैं। पर कुछ ऐसे होते हैं जो अल्पायु जीवनकाल में ही महान कार्य कर जाते हैं पर उनको स्मरण करना सिर्फ औपचारिकता रह जाती है या फिर क्षेत्रीय स्तर पर ही उनकी पहचान सिमटकर रह जाती है। आज मैं बात क

53

अनमोल वचन ➖ 5

16 नवम्बर 2020
0
1
0

अनमोल वचन ➖ 5दीप से दीप की ज्योति जलाई, दिवाली की ये रीति निभाईएक कतार में रखि के सजाई, फिर सब कुशल क्षेम मनाई।पाँच दिनों का त्योहार अनोखा, भाऊबीज तक सजे झरोखापकवानों का खुशबू हो चोखा, हर कोई रखता है लेखा-जोखा।धनतेरस की बात निराली, करते हैं सब अपनी जेबें खालीकोई खरीदे सोना-चाँदी तो, कोई बर्तन शुभ दि

54

भारत का स्विट्जरलैंड

19 नवम्बर 2020
0
0
0

भारत का स्विट्जरलैंडएक लंबे अरसे के बाद मातारानी के यहाँ से बुलावा आ ही गया। हमनें मातारानी वैष्णोदेवी का दर्शन करने के पश्चात दूसरे दिन हमनें कटरा से ही अगले सात दिन के लिए ट्रैवलर फोर्स रिजर्व कर लिया था। कटरा से सुबह हम सब डलहौजी के लिए रवाना हुए थे। नवंबर माह का अंतिम सप्ताह चल रहा था। सैलानियो

55

गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)

23 नवम्बर 2020
0
0
0

गिरनार की चढ़ाई (संस्मरण)समय-समय की बात होती है। कभी हम भी गिरनार की चढ़ाई को साधारण समझते थे पर आज तो सोच के ही पसीना छूटने लगता है। आज से आठ वर्ष पूर्व एक विशेष राष्ट्रीय एकता शिविर (Special NIC Camp) में महाराष्ट्र डायरेक्टरेट का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। पूरे बारह दिन का शिविर था। मेरे साथ द

56

सवेरे सवेरे उठकर देखा

29 नवम्बर 2020
0
0
0

सवेरे - सवेरे उठकर देखासुनहरी किरण छिटके देखाचिड़िया अभी-अभी थी आईनव सृष्टि की गीत सुनाई।मन भी उमंग जोश से भराहर पल लगता था सुनहरासुगंधित संगीतमय वातावरणअंधकार के पट का अनावरण।मैंने किरणों से कहा,मुझे थोड़ी सी ऊर्जा दोगीचिड़िया से कहा,गाने का तजुर्बा दोगीनव किसलय दल से कहा,जीवन स्नेह से भर दोगीफूलों की

57

पीने के पानी की सुविधा न होने से त्रस्त हैं लोग

30 नवम्बर 2020
0
0
0

पीने के पानी की सुविधा न होने से त्रस्त हैं लोगमुंबई उपनगर से लगा हुआ और तेजी से विकास की ओर आग्रसर हो रहे नालासोपारा (पश्चिम) स्थित यशवंत गौरव कॉम्प्लेक्स इलाके में लोग पिछले पाँच-सात साल से रह रहे हैं और अभीतक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरश रहे हैं।इस इलाके का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। लोंगों ने अप

58

अबला की चाह

1 दिसम्बर 2020
0
2
1

अबला की चाहचाह नहीं मैं अनपढ़ गँवार रहअनजान के माथे थोपी जाऊँबस चाह नहीं मैं बीज की तरहजब जहाँ चाहे वहाँ बोयी जाऊँचाह नहीं सूत्र बंधन की भीबंधि दहेज प्रथा की बलि चढ़ी जाऊँबस चाह नहीं है इस जग मेंअधिकारों से वंचित रह जाऊँ....!चाह मेरी बस इतनी सी है...बाला बनकर जनमूं जग मेंजीने का हो अधिकार मेरादादा-दाद

59

वक़्त का तराजू

4 दिसम्बर 2020
0
0
0

वक़्त का तराजूवक़्त वह तराजू है साहबजो बुरे वक़्त में अपनों का वजन बता देता हैपराये को साथ लाकर खड़ा कर देता हैवक़्त ही वह मरहम है साहबजो गहरे से गहरे घाव को भी फौरन भर देता हैऔर भरे हुए घाव को कुरेदकर हरा कर देता हैवक़्त ही सबसे बड़ा गुरू है साहबजटिल पाठ को भी पल भर में समझा देता हैमूर्ख को भी विद्वता का

60

शामत मुझ पर ही आनी है....

5 दिसम्बर 2020
1
0
0

शामत मुझ पर ही आनी है...शादी अपनों की होया किसी बेगाने कीखर्चा उतना ही है जीश्रीमतीजी के जाने की। जब देखो तब सुनाती रहती हैंखर्च ही क्या है? खर्च ही क्या है?सुन – सुनकर कान पक गयादुकानों के चक्कर काटते-काटतेसच मानों पूरा दिन बीत गया….जेब खाली होकर क्रेडिट पर आ गया। सोचा छोड़ो अब तो झंझट छूटातभी खनकती

61

गुम हूँ उसके याद में.....

7 दिसम्बर 2020
0
0
0

गुम हूँ उसके याद में....गुम हूँ उसके याद में, जिसे चाहा था कभीगोदी में सुलाकर जिसने, दुलारा था कभीप्रसव-वेदना की पीड़ा से, जाया था कभीदुःख सहकर उसने, पाला-पोसा था कभीरात-रात भर जागकर, सुलाया था कभी।गुम हूँ उसके याद में, जिसने दुनिया में लाया था कभीअपने सपनों को तोड़-तोड़कर, जिलाया था कभीखुद भूखी रह-रहक

62

एक मसीहा जग में आया....

8 दिसम्बर 2020
0
0
0

एक मसीहा जग में आया....एक मसीहा जग में आयादलितों का भगवान बनाराजनीति मन को ना भायाज्ञानसाधना ही आधार बना।निर्धनता को धता बतायाछात्रवृत्ति से अरमान सजोयाकाला पलटन में स्थान मिलागुरू से पूरा सम्मान मिला।अर्थशास्त्र जो मन को भायाडॉक्टरेट की डिग्री दिलवायावर्णव्यवस्था थी मन में चुभतीशोध प्रबंध उस पर ही

63

जब-जब मैं उसे पुकारूँ...

12 दिसम्बर 2020
0
1
1

जब-जब मैं उसे पुकारूँ...जब-जब मैं उसे पुकारूँवो दौड़ी-दौड़ी चली आएआँधी हो या तूफान होवो कभी ना घबराए...।ऐसी प्यारी निंदिया....सभी के भाग्य में आएअकेलेपन की रुसवाई मेंकभी भी ना सताए...।निंदिया को मैं पुकारूँसपनों की बाट जोहूँसपना लगती अति सुहानीएकदम परियों सी कहानी।परियों की कहानी अलबेलीजो होती है एकदम

64

नसीब अपना अपना...

14 दिसम्बर 2020
0
1
1

नसीब अपना-अपनाकिसी ने सच कहा है साहबदुनिया में सभी लेकर आते हैंनसीब अपना-अपना....।विधिना ने जो लिख दियातकदीर छठी की रात मिटाए से भी नहीं मिटतालकीर खींची जो हाथ....।नसीब में होता है तोबिना माँगे मोती मिल जाता हैनसीब में न होने परमाँगने से भीख भी नहीं मिलती है।ये तो नसीब का ही खेल हैरात का सपना सुबह स

65

बारामती का शेर....

20 दिसम्बर 2020
0
0
0

बारामती का शेर....बारामती के लोंगों ने बस एक ही नाम को है पूजा शरद पवार नाम मान्यवर हर गली शहर में है गूँजासाहब महाराष्ट्र की धरती पर ऐसा नाम कहाँ है दूजाराजनीति गलियारे में भी वही नाम जाता है पूजा।बड़े महारथी पाँव चूमते झुक झुककर भाई जिसकेगाथा क्या गाऊँ मैं भाई उसके चरित्र की महिमा केबोल कभी बड़ बोलन

66

तुम शेर बन अड़े रहो....

22 दिसम्बर 2020
0
0
0

तुम शेर बन अड़े रहो....कोरोना अभी गया नहीं...शेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहोशेरनी भी साथ हो, शावक भी पास होबाहर हवा ठीक नहीं, निकलना उचित नहींशेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहो...।दूध की मांग हो या सब्जी की पुकार होभले राशन की कमी हो, तुम फिकर करो नहींतुम निडर खड़े रहो, बिल्कुल डरो नहींशेर बन अड़े रहो

67

श्मशान घाट पर हादसा ....क्या कहेंगे आप..?

3 जनवरी 2021
0
0
1

श्मशान घाट पर भीषण हादसा...20 की मौत..क्या कहेंगे आप..?उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद स्थित मुरादनगर श्मशान घाट में लोग दाहसंस्कार के लिए आये हुए थे। सभी लोग छत के नीचे खड़े थे। छत गिर गई और देखते-देखते बीस लोग काल के ग्रास में समा गए। जबकि और लोंगों के दबे होने की आशंका जताई गयी है। हालांकि राहत कार

68

राष्ट्रीय युवा दिवस

11 जनवरी 2021
0
1
0

युवा शक्ति के प्रेरक और आदर्श स्वामी विवेकानंद (राष्ट्रीय युवा दिवस)स्वामी विवेकानंद भारतीय आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन को विश्वपटल पर स्थापित करने वाले नायक हैं। भारत की संस्कृति, भारतीय जीवन मूल्यों और उसके दर्शन को उन्होंने ‘विश्व बंधुत्व व मानवता’ स्थापित करने वाले विचार के रूप में प्रचारित किया।

69

हिंदी सेवी सम्मान...👍

20 जनवरी 2021
0
0
0

हिंदी सेवी सम्मान...दो दिन पहले ही फोन आया। अनजान नम्बर था। सामने से आवाज आई, 'अशोक जी नमस्कार। आपके लिए खुशखबरी है। इस वर्ष आपको हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।'एक पल के लिए तो मुझे कुछ नहीं सूझा। खैर जो कुछ मैंने सुना वो सच था। मुंबई प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार सभा ने हिंदी के प्रचार

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए