अनमोल वचन ➖ 5
दीप से दीप की ज्योति जलाई, दिवाली की ये रीति निभाई
एक कतार में रखि के सजाई, फिर सब कुशल क्षेम मनाई।
पाँच दिनों का त्योहार अनोखा, भाऊबीज तक सजे झरोखा
पकवानों का खुशबू हो चोखा, हर कोई रखता है लेखा-जोखा।
धनतेरस की बात निराली, करते हैं सब अपनी जेबें खाली
कोई खरीदे सोना-चाँदी तो, कोई बर्तन शुभ दिवाली।
दीप जलाकर करें हैं निवेदन, अंधकार मिटि जाए घन
स्वास्थ्य समृद्धि का लाभ मिले, बना रहे सुखमय जीवन।
नरकचतुर्दशी का दीप जलाकर, यम की करें सेवकाई
अकाल काल से छुटकारा पाकर, फिरि जग की करे भलाई।
लक्ष्मी पूजन और सिद्धि आराधना, अमावस्या की रात का सपना
तन मन से जो करे पूजा अर्चना, धन दौलत और पाए खजाना।
मंगलमय हो तुम्हरी दिवाली, यही है मेरी अरदावली
धन आरोग्य संपदा मिली, सुधरे घर की हालत माली।
जैसी सोच वैसी हो प्राप्ति, साधु संत या नर हो भोगी
दुर्भावना त्याग ज्यों करे, संवरे जीवन बनि जाए योगी।
मानव सम कोई जीव नहीं, हो जो परमारथ में लीन
इहलोक परलोक सुधरि जाये, त्यागे स्वार्थ भावना हीन।
दिवाली सम पर्व नहीं, अँधियारे को देत भगाय
प्रकाश पर्व की रात यही, अँधियारा जात नशाय।
➖ अशोक सिंह 'अक्स'
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