लोकसभा में आज पंजाब से लोकसभा में चुनकर आए सांसद भगवंत मान ने सत्ताधारी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस सरकार ने डिजिटल इंडिया के नाम पर जनता से वोट मांगे, आज हमारे खाने-पीने, पढने-लिखने और पहननेओढने जैसे मुद्दों पर रोक लगा रही है।
नई दिल्ली: लोकसभा में आज पंजाब से आप सांसद भगवंत मान ने सत्ताधारी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस सरकार ने डिजिटल इंडिया के नाम पर जनता से वोट मांगे, आज हमारे खाने-पीने, पढ़ने-लिखने और पहननेओढ़ने जैसे मुद्दों पर बहस कर रही है। गंभीर मुद्दों और समस्याओं का समाधान करने के बजाय जनता को देशद्रोह और राष्ट्रद्रोह के नाम पर सता रही है। रोजगार देने और जरूरी सामानों की कीमत कम करने के बजाय जनता को धर्म के नाम पर बरगला रही है और आपस में लड़ने के लिए उकसा रही है।
भगवंत मान ने कहा, मैं पंजाब से आता हूं और मुझे पंजाब के किसानों की चिंता है, जो भूखे मर रहे हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि बेटियों की शादी कराने के लिए वे अपना किडनी बेचने को मजबूर हैं। दुख तो इस बात का है कि इस कदर बदहाल पंजाब का यह किसान कभी पूरे देश को खाना खिलाता था। मैं सरकार से जानना चाहता हूं कि पंजाब का किसान आज कहां जाएगा?
सत्ताधारी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार दलित विरोधी है। यह जहां दलित विरोधी काम किए जा रहे हैं। रोहित वेमुला जैसे दलित छात्र इस सरकार में आत्महत्या करने को मजबूर हैं और मंत्री लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाला भाषण दे रही हैं मानो यह संसद नहीं, देश का मंदिर नहीं बल्कि क्योंकि सास भी कभी बहू थी, सीरियल हो।
पीएम पाकिस्तान जाकर शरीफ के साथ चाय पी रहे हैं और देश में कह रहे हैं कि हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे, आतंकवादियों का सिर कलम कर देंगे। जबकि आए दिन पठानकोट जैसे मामलों को अंजाम दिया जा रहा है और वह चुप है। उसे पूरा देश देशद्रोही नजर आ रहा है, देश के हर स्कूल, काॅलेज और सरकारी संस्थानों में उसे हर रोज सुबह तिरंगा फहराना है बस नागपुर के आरएसएस दफ्तर में आज तक तिरंगा नहीं लहराया गया, इससे कोई सरोकार नहीं है।
इस सरकार को वह धर्म के नाम पर बांटने में लगी है, दूसरों को बदनाम करने में जुटी है। सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री के दफ्तर में छापेमारी करवाती है, लेकिन वहां से क्या निकलता है कुछ भी नहीं। इन सबके बावजूद उसका ध्यान सकारात्मक मुद्दों पर नहीं बल्कि नकारात्मक चीजों को बढ़ावा देने पर लगा है।
अंत में भगवंत ने कहा, कौम को कबीलों में मत बांटिए, इस लंबे सफर को मीलों में मत बांटिए, एक बहता दरिया है हमारा देश, इसे नदियों और झीलों में मत बांटिए।