अभी तक आपने पढ़ा -ऋचा ,उस घर की कहानी जानने की इच्छुक है ,इसके लिए उसे दीक्षित परिवार के दम्पत्ति मिलते हैं। पहले तो वो लोग उसे,किसी भी तरह की जानकारी उसे देने के लिए तैयार नहीं होते हैं, किन्तु जब ऋचा उन्हें समझाती और विश्वास दिलाती है -कि उन्हें कुछ नहीं होगा ,तब वो उसे बातें बताने के लिए तैयार हो जाती हैं।
दीक्षित परिवार से जानकारी लेने के लिए ,आज ऋचा अपने दफ्तर भी नहीं गयी ,जब वो उनके घर पहुंचती है ,तब पता चलता है - रात से ही उनके पति को बुख़ार है ,अपने पति की इस तरह हालत देखकर ,वो फिर से ऋचा को कुछ भी न बताने का निर्णय लेती हैं। वो बुरी तरह डर गयीं थीं, वो जान गयीं थी , कि वो आत्मा नहीं चाहती कि हम ऋचा को उसके विषय में कुछ भी जानकारी दें । किंतु ऋचा भी अपने विश्वास पर अडिग थी उनके उस डर को बाहर निकालना चाहती थी ।उसने उन्हें समझाया भी.... इस तरह डरने से काम नही चलेगा।कब तक आप लोग ! इस तरह डर - डरकर जीते रहेंगे? इन बातों को वो भी सम्झतीं थी किंतु पति की ऐसी हालत देखकर ,उसका किसी भी तरह सहयोग करने के लिए तेयार नही हुई।
तब ऋचा उन्ही के मंदिर से सिंदूर लाकर ,दीक्षित साहब के माथे पर लगाती है और कुछ समय पश्चात ही ,उनका बुखार उतर जाता है।
तब वो आंटी ,ऋचा के समझाने पर ,कहानी कुछ इस तरह बताती हैं - चौबे परिवार हमारे पड़ोसी ही थे ,उनका एक बेटा और बहु भी थे। अभी वो इतना ही बता पाईं थीं कि एकाएक शांत हो गयीं।
ऋचा बोली -आंटीजी ,आगे क्या हुआ ?एक -दो बार के पूछने पर भी नहीं बोलीं और ऋचा को घूरने लगीं -तू क्या जानना चाहती है ?तू यहां से चली जा ,यहां से चली जा....... उनकी आवाज भी बदल गयी थी और स्वर भी तेज हो चला था। ऋचा समझ गयी हो न हो ,ये वही आत्मा है जो अपना प्रभाव दिखा रही है। ऋचा पहले तो ,घबराई फिर तुरंत ही अपने कलावे हाथ को उनके माथे से छुआ दिया। उसके छुआते ही , कुछ देर तक तड़पती रही, उसके पश्चात वो शांत हो गयीं, तब एकदम से चौंककर बोलीं -क्या हुआ ?
ऋचा समझ गयी ,कि इन्हें कुछ पता ही नहीं चला। बोली -आप मुझे चौबे परिवार के विषय में बता रही थीं ,अब आगे बताइये।
वे बोलीं - दोनों पति -पत्नी ,अकेले ही उस मकान में रहते थे। एक दिन अचानक ,चौबे जी की तबियत बिगड़ गयी और उनकी पत्नी अकेली घबरा गयीं। उन्होंने डॉक्टर को भी फोन कर दिया और हम लोगों को भी आवाज लगाने लगीं किन्तु नींद में हम लोगों को पता नहीं चल पाया। डॉक्टर भी देर से आया ,उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था और वे घबराकर रोने लगीं। चौबेजी को लकवा मार गया था। डॉक्टर भी आये ,और हम लोग भी किन्तु तब तक ,दोनों पति -पत्नी ने परेशानी झेली। उनके लिए एक -एक पल बरसों के समान हो गया। उन्हें ऐसा समय भी आ सकता है इसकी उम्मीद ही नहीं थी।
उनका मुँह टेढ़ा हो गया था ,उन्हें खाना खिलाना दवाई देना ,कितने कार्य हो जाते हैं ? उनके बेटे को फोन किया गया वो आया भी और एक नर्स का इंतजाम करके चला गया। नर्स आती और चौबे जी के सभी कार्य करती उन्हें समय पर दवाई देना उनकी देखभाल करना। उसे आते हुए , अभी लगभग पंद्रह दिन ही हुए थे ,उसने अपने व्यवहार और सेवा से उन दोनों का दिल जीत लिया। एक माह पश्चात हमने देखा ,वो तो अपनी एक बेटी के संग ,अपना सामान लेकर ,वहीं बसने आ गयी। हमने उनसे पूछा भी- कि इस नर्स को घर में ही क्यों रख लिया ?
वो बोलीं - बेचारी..... बड़ी ही परेशान है ,एक बेटी है और पति ने उसे छोड़ दिया। अब नर्स की नौकरी करके अपना और अपनी बेटी का खर्चा चलाती है।
हमने प्रश्न भी किया -उसके पति ने उसे क्यों छोड़ दिया ?
तब उन्होंने बताया -उसने किसी दूसरी लड़की से विवाह कर लिया है और इसे मारता -पीटता भी था। इस 'बेचारी 'का इस दुनिया में और कोई नहीं। हमने सोचा -ये यहां तो आती ही है ,इसकी बेटी की देखभाल की भी ,इसे परेशानी रहती है। अब तक तो ,ये पड़ोसन से कहकर आती थी किन्तु परसों बता रही थी - कि पड़ोसन की लापरवाही से इसकी बेटी गिर गयी और उस बेचारी को बहुत चोट आई।
तब हमने सोचा -क्यों न ,इसे यहीं एक कमरा दे दिया जाये ,चौबे जी के साथ -साथ अपनी बेटी की देखरेख भी कर लेगी। और हम दोनों को भी सहारा हो जायेगा ,जिसमें कि ये पढ़ी -लिखी होने के साथ -साथ ,इसे सभी दवाइयों की जानकारी भी है। किस समय मालिश करनी है ,किस समय खाने में क्या देना है ?इसने तो आते ही सब संभाल लिया ,वो निश्चिन्त होकर बोलीं।
मैंने उनसे कहा भी था -भाभीजी ,एकदम से किसी पर ,इतना अधिक विश्वास करना भी ठीक नहीं।
तब वो बोलीं -ऐसे हमसे क्या ,ले जायेगी ? प्यार के दो बोल ही तो हैं ,इसकी परेशानी भी कम होगी और हमें सहारा भी हो जायेगा।
तब मैंने कहा था -क्या आप इससे किराया नहीं लेंगी ?
बोलीं -ये तो पहले ही परेशान है ,बेचारी को पैसे ही कितने मिलते हैं ?अब हमारे बहु -बेटे यहां रहते तब क्या किराया देते ?अब वे तो हैं नहीं ,ये ही उसी जगह रह लेगी। एक कमरा ही तो लिया है ,बाक़ी घर तो अभी भी ख़ाली पड़ा है।
हमने देखा -अब तो श्रीमान और श्रीमती चौबे उस पर बहुत अधिक विश्वास करने लगे। चौबे जी भी अब, धीरे -धीरे स्वस्थ हो रहे थे।
जब उसे रहते छह माह हो गए ,एक दिन अपने साथ एक लड़की को लेकर आई। पहले तो हम लोगों ने समझा , इसी के साथ कार्य करती होगी किंतु तब हमारा उसके वस्त्रों पर ध्यान गया वो लड़की बड़ी चमकीली सी ड्रेस पहने हुए थी । इतनी रात्रि को ये कौन लड़की इसके साथ है इसके कपड़े देखकर नहीं लग रहा ये कोई नर्स भी हो सकती है तब मैने अपने बेटे को दिखाया देखो तो जरा आज चौबे जी के यहाँ कौन नई लड़की आई है ?
मम्मी! आप भी न कुछ ज्यादा ही ताका -झांकी करती हो होगी कोई उसकी दोस्त हो सकता है किसी कार्यक्रम में जाने के लिए, तेयार होकर आई हो। आप नीचे चलिए कहकर मुझे अंदर ले गया। आखिर वो लड़की कौन थी? जो चौबे जी के घर आई थी, उसके आने का उद्देश्य क्या था? ऐसे उसने किस तरह के वस्त्र धारण किये हुए थे जो श्रीमति दीक्षित को खटक रहे थे , सभी सवालों के जबाब चाहिए तो पढ़िये - बेचारी