अभी तक आपने पढ़ा ,ऋचा की माँ की आत्मा ऋचा को अपने साथ उड़ाकर ले जाती है ,भैरों बाबा और उसके पिता उसे ढूंढकर ,उसे अस्पताल में भर्ती कर देते हैं, किन्तु उन्हें वहां भी ,उसके आने का अंदेशा लगता है। बाबा ऋचा की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं ,तब भी आधी रात्रि को 'नितिका की आत्मा 'उस अस्पताल में प्रवेश कर ही जाती है। अब आगे -
बाबा को नितिका के अस्पताल में, घुसने का एहसास हो जाता है और उनका सुरक्षा कवच भी टूट जाता है। इक्का -दुक्का नर्स सो रही थी। कुछ लोग ऊंघ रहे थे किन्तु जैसे ही ,पीछे की खिड़की से नितिका ने प्रवेश किया ,अस्पताल में अचानक से गर्मी बढ़ गयी किन्तु नींद में होने के कारण ,किसी का ध्यान उस ओर नहीं गया। नितिका की आत्मा ऋचा के कमरे में ,प्रवेश कर गयी ,किन्तु वो उसके नज़दीक न पहुंच सकी। उसने उसके पलंग को हवा में उड़ाने का प्रयत्न किया और ऋचा पलंग सहित छत की ऊंचाई पर थी।
पलंग हिलने से ,ऋचा की निंद्रा टूटी और वो बेचैन हो उठी ,उसने लेटे ही लेटे ,अपने हाथों से तकिये के नीचे के यंत्र को टटोला। इससे पहले की वो आश्वस्त हो पाती ,पलंग तीव्र गति से नीचे आ गिरा ,जिस कारण ऋचा पलंग पर ही उछली और उसके हाथ में ,जो यंत्र था ,उसके हाथ से छूटकर नीचे जा गिरा।ऋचा फिर से उस यंत्र को उठाने का प्रयास करने लगी किन्तु उसके हाथ तो ऐसे के ऐसे ही मुड़ गये। 'नितिका ने अब उसके दोनों हाथ ही मोड़ दिए थे ,ताकि वो अब उस यंत्र को पुनः उठाने का प्रयास न कर सके।
कुछ गिरने ,उठा -पटक की सी आवाज़ से ,किसी नर्स की नींद खुली और वो अंदाजा लगाने लगी कि- ये आवाज़ किधर से आ रही है ?तभी उसे कई लोग ,अपनी ओर आते दिखे ,वो समझ नहीं पाई कि -ये लोग कौन हैं ?और इतनी रात्रि में ,कहाँ से आये और क्या कर रहे हैं ?उसने उनके समीप जाकर पूछा- कि तुम लोग किधर से आये और किसने उन्हें इस तरह आने की इजाज़त दी। किन्तु जब उसने उनके चेहरे देखे तो वो एक चीख़ के साथ ,वहीं बेहोश हो गयी। वो लोग और कोई नहीं ,नितिका के संग आई, कुछ आत्माएं थीं ,जो इसी अस्पताल में अपना दम तोड़ चुकी थीं और उन्हें कैद कर लिया गया था ताकि अस्पताल के लोगों को तंग न कर सकें किन्तु आज तो नितिका का पलड़ा भारी था। उसे अन्य शैतान आत्माओं का भी साथ मिल गया था। इस समय अस्पताल में ,जगह -जगह आत्मायें नजर आ रही थीं।
बाबा उधर परेशान ,दरबान से अंदर जाने की इज़ाजत मांग रहे थे किन्तु उन्होंने देखा -तो वो भी ,इस समय शैतान के चंगुल में था। बाबा समझ नहीं पा रहे थे, कि क्या किया जाये ?पता नहीं उधर ,ऋचा का क्या हाल होगा ?अभी रात्रि के साढ़े बारह बजे थे ,इस समय शैतानी शक्तियों का प्रकोप अधिक था -जिस भी नर्स को वो आत्मायें दिख जातीं तो कहतीं -''अब तू हमसे पूछेगी, कि हम कौन हैं ?''कहकर कहकहे लगाने लगते। ऐसा लग रहा था कि वो अस्पताल मरीज़ों के लिए नहीं वरन शैतानों का अड्डा है।
ऋचा कुछ भी न कर पाने के कारण विवश थी ,पलंग पर ही, उसके हाथ -पैर टेढ़े -मेढ़े हो चुके थे किन्तु नितिका अभी भी उस पलंग को छू नहीं पा रही थी। बाबा ने जो धागा उसके पलंग के चारों ओर बांधा था ,वो किसी सफ़ाई कर्मी की लापरवाही के कारण ,टूट चुका था ,किन्तु उसके अवशेष उस पलंग में अभी भी बंधे थे। लगभग एक बजा होगा ,धीरे -धीरे ,कहीं से कुछ मंत्रों के उच्चारण का स्वर सुनाई पड़ने लगा और समय के साथ -साथ ,वो ध्वनि बढ़ने भी लगी। उस आवाज़ के कारण ,वो शैतानी आत्माएं भी, विचलित होने लगीं।
अब तो ,उस अस्पताल का दरबान भी मूर्छित सा हो गया ,बाबा को भी ,अंदर जाने मार्ग मिल गया। तभी नितिका के समीप ,एक व्यक्ति प्रकट हुआ और वो कुछ मंत्र पढ़ने लगा, जिसके कारण ऋचा के ऊपर से ,नितिका प्रभाव कम होने लगा।
बाबा को ,अपने समीप न पाकर ,ऋचा के पापा भी उठ बैठे और उन्हें खोजते हुए ,उनके पीछे ही उस अस्पताल में प्रवेश कर गए। अस्पताल के अंदर घुसते ही ,अजीब सी गंध का एहसास हुआ ,उनका सर चकराने लगा किन्तु बेटी की चिंता के कारण ,उस ओर ध्यान न देकर ,बाबा के पीछे -पीछे ही चलते गए। ऋचा के कमरे के समीप उन्होंने देखा -कोई व्यक्ति ,मंत्र -तंत्र कर रहा है ,ऋचा के पापा तेज गति से ,बाबा के समीप जा पहुंचे। उनके मन में अनेक ,प्रश्न उठ रहे थे ,बाबा ने आँखों के इशारे से ,उन्हें आश्वस्त किया कि सब ठीक है।
वो व्यक्ति ,अब ऋचा के कमरे का द्वार खोलकर अंदर दाखिल हो चुका था। और ऋचा को ठीक करने का प्रयत्न करने लगा ,उसके सामने नितिका की शक्ति कमजोर पड़ रही थी। वो बाहर की ओर ,भागने का प्रयत्न करने लगी। किन्तु बाहर बाबा के मंत्रों के कारण ,विवश हो गयी। आज तेरा सर्वनाश निश्चित है ,कहकर बाबा आगे बढ़े ,उनके पीछे ही उसका पति भी ,उधर ऋचा की शारीरिक स्थिति ठीक हो चुकी थी। अब वो उठकर ,यंत्र को उठा लेती है।अब बाज़ी उनके हाथ में थी ,जो भी शैतानी शक्तियाँ ,उस अस्पताल में दिखाई दे रही थीं ,अब ग़ायब हो चुकी थीं।
नितिका भी ,अब उस स्थान को छोड़कर जाना चाहती थी ,तभी बाबा ने उस व्यक्ति को इशारे से समझाया कि यदि ये ,अभी भाग गयी तो हाथ आना मुश्किल हो जायेगा ,उस व्यक्ति ने उनके इशारे को समझा और भी तीव्र गति से ,मंत्रोच्चारण करने लगा। कमरे के अंदर वो व्यक्ति और बाहर बाबा थे ,तभी नितिका ने अचानक पलटा खाया और वो अपने पति के शरीर में ,प्रविष्ट कर गयी। वो जानती थी -कि बाबा ने ऋचा के कारण ही ,पहले उसे बचाया था और अब ऋचा भी ,अपने पिता पर प्रहार नहीं करेगी। अपने पति में आकर वो बच तो गयी किन्तु मंत्रों के प्रहार को नहीं ,झेल पा रही थी।इससे पहले , कि वो वहां से भागती ,तभी दो 'वार्ड बॉय 'वहाँ आ पहुँचे।
वे शायद उस व्यक्ति को , पहले से ही जानते थे और उन्होंने उनके एक ही इशारे से उसको पकड़ लिया। वो एक आम इंसान और नितिका एक आत्मा जो इस समय अपने पति के तन पर कब्ज़ा जमाये थी। उसने आख़िर उन्हें अपनी शक्ति दिखला ही दी और दोनों को दूर दीवार में पटककर मारा।
क्या अबकि बार ,नितिका का अंत हो जायेगा ?वो अनजान व्यक्ति कौन है ?जो उनकी सहायता कर रहा है। क्या नितिका के साथ ही ,प्रदीप चौबे को भी मुक्ति मिल जाएगी या फिर ये किसी और की साज़िश है जानने के लिए ,पढ़ते रहिये -बेचारी ....