अभी तक आपने पढ़ा -ऋचा , चौबेजी के बरसों पुराने घर में रहने आती है ,अभी तक तो सभी, यही समझ रहे थे कि -ऋचा अन्य किरायेदारों की तरह ही, इस घर में रहने आई है किन्तु कुछ समय पश्चात ,एहसास होता है कि वो आई नहीं ,वरन उसको तो यहां भेजा गया है। उसे तो स्वयं ही नहीं मालूम था कि वो किसका सामना करने जा रही है ?किन्तु जब उसके साथ हादसे होते हैं तो वो डर जाती है। इन हादसों के कारण ,वो वहां से भागती नहीं वरन उन हादसों के कारणों की ,तह तक जाना चाहती है। उसे अपने गुरूजी द्वारा दिए गए ,बचाव के यंत्रों के कारण ,उसे अपने ऊपर विश्वास बढ़ जाता है ,और इसके लिए वो दीक्षित परिवार से सहायता मांगती है। पहले तो वो बताना नहीं चाहते , वे स्वयं भी ,उसके शिकार हो जाते हैं। तब ऋचा उनके अंदर विश्वास जगाती है कि वो उनके साथ है और जब तक वो सच्चाई से रूबरू नहीं होगी कि वो आत्मा किसकी है ?और क्या चाहती है ? तब अपनी जानकारी के आधार पर ,श्रीमति दीक्षित उसे बताती है -
किस तरह ,चौबे ,परिवार पर परेशानी आती है और उन्होंने अपनी सहायता के लिए एक लड़की को अपने घर में रख लेते हैं ,वो नर्स अपनी बच्ची के संग वहीं रहने आ जाती है उसे रहते हुए ,लगभग छह माह हो जाते हैं और वो उन लोगों पर अपना विश्वास बना लेती है। एक दिन ,वो एक अन्य लड़की को लेकर आती है । मेरा बेटा मुझे अंदर ले आया कहने लगा किसी के घर में ज्यादा रुचि नही लेनी है किंतु मेरा अनुभव कह रहा था ,वह लड़की ठीक नहीं है।कुछ समय पश्चात ,एक अन्य युवक आता है और तीनों उस नर्स के कमरे में ,चले जाते हैं। उन दोनों को छोड़कर वो नर्स,अपनी बच्ची के साथ चौबेजी के कार्य में लग जाती है।
उन्होंने पूछा भी , वो लड़की कौन है ?
कोई नहीं ,मेरी एक दोस्त है कुछ देर ठहरकर चली जाएगी। कहकर अपना कार्य निपटाने लगी।
दो दिन पश्चात ,एक अन्य लड़की आई और और इसी तरह ,दो -तीन घंटे पश्चात ,वो भी चली गयी।
इस तरह सप्ताह में ,चार -पांच लड़कियाँ आईं और उनके पीछे लड़के भी ,विश्वास कब तक टिकता ?अब तो चौबे जी की पत्नी को भी उस पर ,शक होने लगा कि- ये लोग क्यों आ रहे हैं ?
एक दिन उन्होंने मुझे बताया - कभी सहेली ,कभी कोई रिश्तेदार बताकर ,उन्हें हमारे घर में बुलाती है और उन्हें कमरे में अकेले छोड़ देती है , मुझे तो कुछ ठीक नहीं लग रहा।
हम स्त्रियों की छटी इंद्री ,एकदम सचेत हो जाती है ,हो न हो ,ये किसी गलत कार्य में फँस गयी है या फिर स्वयं ही ग़लत कार्य कर रही है। उन्होंने कई ,बार उससे पूछा, किन्तु कुछ जबाब न देकर कहती -आंटी जी ,आपका कार्य सही समय पर हो रहा है। अब मेरे से अथवा मेरे घर कौन आता है ?इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
चौबेजी अभी पूर्णतः स्वस्थ नहीं हुए थे ,और अब उसके सहारे की उन्हें ,आदत भी बन गयी थी। कुछ सोचकर चुप रहीं। उनकी चुप्पी देखकर ,वो तो जैसे ,उन पर हावी हो गयी। अब तो दिन में ,चार लोग भी आ जाते। उसने आंटीजी से ,एक कमरा और किराये पर माँगा किन्तु उसकी हरकतें देखकर उन्होंने ,मना कर दिया और उससे सख्ताई से कहा -जिस कमरे में तुम रह रही हो ,अब उसका किराया भी देना आरम्भ कर दो।
उसने उन्हें घूरा और बोली -दे दूंगी। उनकी बातों के बीच में ही ,ऋचा बोली -आंटीजी ! उस नर्स का कुछ नाम भी तो होगा। उसका क्या नाम था ?
श्रीमती दीक्षित ,मुँह बनाते हुए बोलीं -मेरा तो उसका नाम लेने की इच्छा ही नहीं होती। यदि तुम पूछ ही रही हो , तो बता देती हूँ ,उस चुड़ैल नाम ''नितिका ''था।
क्या...... ऋचा चौंकी। आपको कैसे पता ?वो ''चुड़ैल '' नितिका है।
इस बार चौंकने की बारी उनकी थीं ,बोलीं - क्या उस घर के अंदर ,उसी चुड़ैल का साया है ?
जी..... ऋचा मुस्कुराई।
ऐसा कैसे हो सकता है ?वो कब चुड़ैल बनी ?
ये तो मैं भी नहीं जानती ,किन्तु वो ही उस घर में ,अपना डेरा जमाये है।
वो तो जीते जी ही ,इतनी दुष्टा थी ,मरने के उपरान्त तो और भी खतरनाक हो गयी होगी ,पर वो मरी कब ?श्रीमती दीक्षित ने ऋचा से प्रश्न किया। ऋचा ने अनभिग्यता ज़ाहिर की - मैं क्या जानू ? अब आप आगे बताइये ,आगे क्या हुआ ?
वे बोलीं -अब तो वो अपनी मनमानी करने लगी ,उनकी परिस्थितियों का लाभ उठा रही थी।वे उससे अत्यधिक परेशान थी वे अक्सर मेरे पास आकर उसकी करतूत बतातीं और रोती भी।
अब तो ,चौबेजी पहले से और भी बेहतर हो गए और बाहर भी बैठने लगे। तब उन्हें इस विषय में पता चला तो उसने ,उन्हें भी वही जबाब दिया, किन्तु चौबेजी ,एकदम सख़्त हो गए और कहने लगे -ये हमारा घर है ,कोई कोठा नहीं। यदि तुम्हें यहां रहना है ,तो आराम से रहो ! किंतु हमारे घर में कोई भी बाहर का आदमी नहीं घुसना चाहिए।
जी..... कहकर ,वो बोली -अब आपको ,आगे से कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।
उन्हीं दिनों ,एक आदमी उनके घर में घुसा ,और उस नर्स को लेकर अंदर घुस गया और कुछ समय पश्चात ,अंदर से लड़ने की आवाजें आने लगीं। खूब देर तक लड़ाई होती रही ,हम लोग भी अपने घरों से बाहर निकलकर देखने लगे।
तब वो चिढ़कर बोली -हम दोनों पति -पत्नी की आपस की बातें हैं ,आप लोग क्यों मज़ा ले रहे हैं ?
तब हमें मालूम हुआ ,ये उसका वही पति है ,जो इसको मारता -पीटता है ।
चौबे जी ने उसे बहुत लताड़ा और कहने लगे - क्या तुम्हें तनिक भी शर्म नही, अपनी पत्नी को पीटते हो इस छोटी बच्ची को पिता के होते हुए भी अनाथ की तरह जीवन बसर कर रही है।क्या तुम्हें अपनी जिम्मदरियों का तनिक भी एहसास नही ?
किंतु उसके पति ने जो बताया ,तब हमें पता चला कि वो कोई ''बेचारी ''नहीं ,ग़लती उसके पति की नहीं थी वरन उसकी स्वयं की थी और इसी गुस्से में वो अपनी बच्ची को लेकर भी चला गया।
उसके पति ने उसके विषय में ऐसा क्या बता दिया ?जिसे वो बेचारी समझ रहे थे , उसके प्रति उनकी धारणा ही बदल गयी पढ़ते रहिये - बेचारी