अभी तक आपने पढ़ा -एक व्यक्ति जो कादम्बिनी को, एक बालिका को, जबरदस्ती खींचकर अपने झोंपड़े के अंदर ले जाती है ,देखता है ,वो व्यक्ति पहले तो गांववालों को बुलाने की सोचता है किंतु कादम्बिनी कहीं हाथ से न निकल जाये इसीलिए स्वयम ही पीछा करता है। उसका पीछा करते हुए ,उसके झोपड़े में ही चला जाता है। किन्तु वहां न ही ,वो लड़की मिलती है न ही वो महिला। वो जानता था- कि उसके गांव से कुछ दिनों से कई बच्चियां गायब हुई हैं इसीलिए जब उसने उस महिला को ,उस बच्ची को जबरदस्ती ले जाते देखा ,तो रोका नहीं ,क्योंकि वो एक ही बच्ची को नहीं वरन अन्य बच्चियों को भी बचाना चाहता था किन्तु झोंपड़े में तो कुछ भी सबूत उसे नहीं मिला। तब वो दोनों किधर गयीं ,वो एक पत्थर पर बैठकर ,यही सोच रहा था। अब आगे -
वो उस पत्थर की शिला पर बैठकर सोचने लगा तभी वो शिला अपने स्थान से खिसकने लगी ,पहले तो वो ड़र गया , उसके पश्चात ,उसने पुनः प्रयास कर देखा -तो वो एक सुरंग में चला गया और आगे बढ़ने लगा उसे नहीं मालूम ,कि वो सुरंग कहाँ जाकर रुकेगी ?इससे पहले तो उसने कभी भी ,ऐसी किसी सुरंग के विषय में नहीं सुना था। उसे चलते -चलते लगभग ,आधा घंटा हो गया ,तब उसे किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। वो उस दिशा में ही बढ़ने लगा। तब उसे एक गुफा का मुख दिखाई दिया। उस गुफ़ा को वो पहचानता था ,ये जंगल के दूसरे छोर की गुफा थी यानि मैं उस जंगल के दूसरे छोर पर हूँ। उसे आश्चर्य हुआ ,कि इतनी लम्बी गुफ़ा ,एक महिला तो नहीं बना सकती ,अवश्य ही उसके साथ ,कोई इसका साथी भी है।
वो सचेत होकर ,आगे बढ़ा -उसने देखा ,जिस बालिका को कादम्बिनी जबरदस्ती अपने संग लाई थी ,वो इस समय शांत है ,ऐसा लग रहा था ,जैसे वो सो गयी हो। उसे आश्चर्य हुआ ,कि ये बच्ची इतनी शीघ्रता से कैसे सो सकती है ?तभी उसने देखा ,एक डरावना सा व्यक्ति ,एक प्याले में ,कुछ लेकर आता है और जिस बच्ची के रोने की आवाज सुनकर ,वो इधर आया ,उसे उस प्याले में जो भी द्रव्य था, उसे पिलाया और वो बच्ची कुछ पलों में ही सो गयी या फिर बेहोश हो गयी। तब उसे लगा ,इसी तरह ,इन बच्चियों को भी इन लोगों ने ,बेहोश किया होगा।
तब कादम्बिनी कहती है -आज ही पूर्णिमा की रात्रि है ,आज ही इनकी बलि दे देंगे। अभी ,मैं जाती हूँ वरना किसी को भी शक़ हो सकता है। कहकर वो जिधर से आई थी ,उसी रास्ते से चली गयी। उस व्यक्ति ने सोचा -इससे तो बेहतर है ,मैं वापस जाकर ,गांववालों को ले आता हूँ किन्तु उसी रास्ते से वापस गया तो शायद कादम्बिनी को पता चल जाये और ये लोग बच्चियों को और कहीं छिपा दें। अभी वो ये सब सोच ही रहा था कि उस तांत्रिक जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने ,प्रधान की पोती को उठाया और पूजा के स्थान पर लिटा दिया और अपनी ही कुछ तांत्रिक क्रियाएँ करने लगा।
वो लड़की अचानक ही उठ बैठी ,तब उसने फिर से कुछ मंत्र पढ़े ,अब तुम जो भी मैं कहूँगा ,वही करोगी कहकर उसने उसे फिर से सोने का आदेश दिया। अभी रात्रि होने में काफी समय था ,वो व्यक्ति परेशान था कि मैं इस दोनों की शैतानी शक्तियों से जीत नहीं पाउँगा। किस तरह ,गांववालों को इस ओर बुलाया जाये ?और इन दोनों को पता भी न चले। इसके लिए उसने गुफा के पीछे जाकर बहुत सारे सूखे पत्ते इकट्ठे किये ,बस ये उसकी मेहनत थी ,पता नहीं, उन्हें ये संदेश पहुंचेगा भी या नहीं ,पहुंच भी गया तो कोई समझ भी पायेगा ,इसका उसे संदेह था।फिर भी उसने अपना प्रयास जारी रखा। काफी ऊँचा ढेर बन गया था। वो स्वयं भी थक गया था उसे रात्रि को भी जागना था आज सुबह ही भोजन करके घर से निकला था ,तबसे अब भूख भी लगी थी , इसीलिए थोड़ी देर के लिए ,सुस्ताने लग गया था।पता नहीं ,कब उसे नींद आ गयी ?
जब उसकी आँख खुली ,तो काफी अँधेरा हो चुका था , वो घबराता सा उठा और गुफा की तरफ बढ़ा। उसने छुपते -छुपाते देखा कादम्बिनी भी आ चुकी थी ,अब वे लोग बलि और पूजा की तैयारी कर रहे थे।पहले उन्हें दूध से नहलाया गया फिर कादम्बिनी ने उन बच्चियों के मस्तक को लाल सिंदूर से सजाया। उनमें से कुछ जाग चुकी थीं ,कुछ अभी भी निद्रा में थीं। उसके हवन कुंड की अग्नि प्रज्ज्वलित होने लगी। तभी वो व्यक्ति भी बाहर गया और उन पत्तों के ढेर में ,आग लगा आया।
बाहर भी अग्नि और अंदर भी अग्नि ,धुंआ तीव्र गति से बढ़ने लगा और अग्नि ने भी अपना प्रचंड रूप धारण किया। चाँद भी धीरे -धीरे अपना प्रकाश फैलाता हुआ ,आगे बढ़ रहा था। वो तांत्रिक ,अपनी कुछ क्रियाएं कर रहा था। तभी उसने कादम्बिनी को अपने सामने के स्थान पर बैठने को कहा। वो आकर बैठ गयी और उसके साथ ही ,हवन की सामग्री भी डालने लगी ,कुछ समय पश्चात ,उस तांत्रिक ने ,प्रधान की बच्ची का नाम लिया -ऋचा उठो ! वो लड़की सम्मोहित सी ,कादम्बिनी के समीप आकर बैठ गयी।
कादम्बिनी ने उसे नजरभर देखा ,मुस्कुराई ,वो बच्ची तो उसी तांत्रिक की आँखों में ही लगातार देख रही थी। तभी तांत्रिक ने हवन कुंड में कुछ ऐसा फेंका ,कि एकदम से वातावरण में धुआँ फेेल गया ,उस धुएं के फैलते ही तांत्रिक ने ,ऋचा को आदेश दिया -तुम्हारे बराबर में जो ,स्त्री है ,उसे मार दो.... दुबारा उसकी आवाज गुंजी -उसे मार दो..... इससे पहले , कि कोई कुछ समझ पाता ,उस बच्ची ने अपने हाथ के चाकू से कादम्बिनी सीने पर ,ज़ोरदार वार किया। वार इतना ज़ोरदार था ,कि एक ही वार में कादम्बिनी पीछे की और गिर पड़ी।
ये अचानक क्या हुआ ?बलि तो बच्चियों की दी जानी थी और जान तो कादम्बिनी की ली गयी। ये क्या रहस्य है ?वो व्यक्ति कौन था ?जिसने कादम्बिनी का पीछा किया ,कादम्बिनी की जान लेने के पीछे तांत्रिक का क्या उद्देश्य था ?क्या अन्य बालिकाओं की बलि दी गयी या उन्हें बचा लिया गया ?क्या गांववाले उस व्यक्ति के दिए संकेतों को समझ सके ,जानने के लिए पढ़ते रहिये -बेचारी....