अभी तक आपने जाना ,कादम्बिनी जो भुवन की पत्नी थी ,उसकी हत्या तीन सौ बरस पहले ऋचा ने की थी ,ये बात ''भैरों बाबा ''ने उसके पापा और उसको बताई- कि आज जो नितिका और उसके पिता हैं ,वे पहले भी पति -पत्नी रह चुके थे और उनके पूर्व जन्मों के कारण ही ,उन्हें पारिवारिक सुख नहीं मिला था। उसी का पूर्व जन्म हैं जिनका वो आज भी भुगतान कर रही है। और अब तो वो अपनी शक्तियों के चलते ,और भी क्रूर आत्मा बन गयी है।अब आगे -
अब वो तीनों ''भैरों बाबा ''के स्थान से ,अपने घर के लिए ,प्रस्थान करना चाहते हैं। तभी बाबा बोले -अपने नेत्र बंद करके अपने घर का ध्यान लगाओ !
उन्होंने ऐसा ही किया ,जब नेत्र खोले तो ,अपने घर पर ही थे। वहाँ सब कुछ अस्त -व्यस्त था ,जिन पंडितजी को उसने मारा था, उनकी लाश भी नहीं थी।''भैरों बाबा ''ने उस घर के बीचों -बीच आंगन में ,अपना हवन कुंड बनाया। वे लोग ,अभी इन्ही कार्यों में ,तल्लीन थे।
तब ऋचा बाहर निकली -शायद किसी को कुछ मालूम हो , तब किसी ने बताया - कि यहाँ पुलिस भी आई थी और पूछताछ भी कर रही थी ,कि यहाँ कौन रहता था ? ''देवीलाल जी ''से भी पूछताछ की। पुलिसवालों को शक़ है ,शायद तुम ही उनकी हत्या करके भाग गयीं।
नहीं ,ये सब झूठ है ,ऋचा ने कहा। तभी दुपहिया पर दो सिपाही आते दिखाई दिए और उन्होंने ऋचा के विषय में जानना चाहा - तब उन्होंने ऋचा की तरफ इशारा किया। उनमें से एक ने ऋचा से कहा -मैडम जी !कहाँ भाग गयी थीं ?
नहीं ,मैं कहीं भागी नहीं थी।
क्या तुम्हें पता है ?दो दिन पहले ,इस घर में ,एक पंडित की हत्या हुई है।
जी..... तभी तो ,हम लोग ड़र कर भागे थे।
डरकर भागे थे, यानि तुम्हारे साथ कोई और भी था।
था नहीं ,हैं...... मेरे पापा !
मतलब कि ,तुम दोनों बाप -बेटी ने मिलकर खून किया।
ये क्या बकवास कर रहे हैं ?आप !भला हम क्यों पंडितजी को मारेंगे ?
तो फिर किसने मारा ?आप ही बता दीजिये !
बता भी दिया ,तो आप लोग उसे पकड़ नहीं पाएंगे।
आप एक बार उसका नाम तो बताइये !बाक़ी हम देख लेंगे ,एक ने अकड़ते हुए अपना डंडा दिखाते हुए कहा।
ठीक है ,ऋचा मुस्कुराई और बोली -''नितिका ''ने।
ठीक है ,उसका घर कहाँ है ?उसे आप कैसे जानती हैं ?उसकी पंडित जी से क्या दुश्मनी है ?इसका सम्पूर्ण विवरण हमें दे दीजिये।
ऋचा बोली -नितिका इसी घर में रहती थी।
रहती थी ,यानि तुम लोगों ने उसे भगा दिया।
ऋचा को थोड़ा क्रोध आया और बोली -ये क्या लगा रखा है ?यानि -यानि ,जाओ !अपने आप पता कर लो !अब मैं तुम लोगों को कुछ नहीं बताऊंगी।
तभी दूसरे ने ,उसे डपटते हुए कहा ,पहले मैडम की पूरी बात तो सुन ले ,तब उसके पश्चात ही तो हम ,आगे की कार्यवाही करेंगे।
तब ऋचा ने पुनः बोलना प्रारम्भ किया -नितिका इसी घर में रहती थी ,जब इस घर के मालिक और मालकिन जिन्दा थे। उसने इस घर के मालिक और मालकिन को भी मार दिया और स्वयं भी लापता हो गयी। लोग ये कहते हैं कि जब से वो मरी है ,उसकी आत्मा इसी घर में रहती है।
क्या आत्मा..... ? वो कब मरी ?
ये तो मुझे भी नहीं पता ,वो कब और कैसे मरी ?किंतु इस घर में जो भी रहने आता है ,उसे डराकर भगा देती है या मार डालती है। वो पंडितजी भी हमारी सहायता करने ही आये थे ताकि इस घर को उस आत्मा से मुक्ति मिल सके किन्तु उस आत्मा ने उन्हें भी मार डाला। उनकी वो हालत देखकर ,आप ही बताइये !कोई कैसे उस स्थान पर रुक सकता है ?हम दोनों बाप -बेटी भी ,अपनी जान बचाकर भागे।
मैडम जी ,भूत -आत्मा की कहानी सुनाकर आप हमें डराना चाहती हैं ताकि हम अपनी कार्यवाही न कर सकें।
आप कुछ भी करिये ,आपको किसी ने रोका नहीं है ,आप चाहें तो ,पुलिस -थाने में,आज से बीस बरस पहले , किसी ने नितिका नाम की नर्स के खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कराई थी ,पता लगा लीजिये।
आप हमें ,बीस साल पुरानी कहानी सुना रही हैं ,उस समय तो तुम स्वयं ही बच्ची रही होंगी।
जी हाँ ,मैं बच्ची ही थी ,ये कहानी मेरे पापा ने मुझे सुनाई थी ,लो !अब हमारा घर भी आ गया ,अब आप ही उनसे जो भी पूछना है ,पूछ लीजिये।
एक बात समझ नहीं आई ,तुम लोग भाग गए ,तब वापस क्यों आये हो ?
हम ''भैरों बाबा ''के साथ आये हैं ,वो बहुत ही पहुंचे हुए तांत्रिक और सिद्ध पुरुष हैं। वे ही हमें उस आत्मा से छुटकारा दिलवायेंगे।
हम पुलिस वाले हैं ,हम इन चीजों पर विश्वास नहीं करते ,चलिए ,हम भी आपके साथ अंदर चलते हैं।
जब वो लोग अंदर जाते हैं ,तब ऋचा के पापा तो अलग कमरे में कुछ कार्य कर रहे थे ,और ''भैरों बाबा ''पूजा की तैयारी में थे।
तभी उनमें से एक सिपाही को, न जाने क्या हुआ ?और बोला -आप लोगों को अंदर किसने आने दिया ?क्या आप नहीं जानते- कि यहाँ अभी कुछ दिन पहले ,एक व्यक्ति की हत्या हुई है। तुम इस घर में इस तरह कैसे आ सकते हो ?
ऋचा उसे देख रही थी ,और मन ही मन अपना माथा पीट रही थी कि इन लोगों को मैंने बाहर ही सम्पूर्ण बातें बतला दीं फिर भी वो ''राग अलाप '' रहे हैं।
बाबा ने मुस्कुराकर ,उसे अपने समीप बुलाया ,वो उनके समीप जाने लगा किन्तु पूजा स्थल तक न पहुंच सका। वो आगे बढ़ने के लिए ,बल लगा रहा था किन्तु इसी तरह जड़वत खड़ा रहा।
तभी एक और व्यक्ति ने ,उस घर में प्रवेश किया और बोला -मैं ''इंस्पेक्टर ललित खन्ना ''इस केस का दायित्व मुझे ही मिला है। ये आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं ?
जी.... हम लोग भी इधर चक्कर लगाने ही आये थे ,किन्तु ये लोग मिल गए ,और अब ये लोग तो कोई दूसरी ही कहानी सुना रहे हैं। इन बाबा ने पता नहीं ,इसे क्या कर दिया ?जब से ऐसे ही खड़ा है।
इंस्पेक्टर ने ,बाबा की तरफ देख ,उन्हें प्रणाम किया।
''खूब तरक्क़ी करो ''कहकर बाबा ने आशीर्वाद दिया और बोले -ईश्वर सब भला करेंगे।
उनकी बातें सुनकर ,इंस्पेक्टर बोला -अब मैं चलता हूँ ,अपना आशीर्वाद बनाये रखिए।
तब बाबा ने उस सिपाही के समीप आये और उसके माथे पर हाथ रखा। एक क्षण के लिए ,उसका शरीर कँपकँपाया और वो सामान्य हो गया। तब बाबा बोले -ये उसी के वश में ,आ गया था इसीलिए ऐसी भाषा बोल रहा था।
दोस्तों मेरी ये रचना'' तीस भाग ''पूर्ण कर चुकी है ,आशा करती हूँ आप लोगों का सहयोग इसी तरह मिलता रहेगा। अभी और भी रहस्य खुलने बाकि हैं ,इसीलिए जुड़े रहिये -बेचारी ...... से ,धन्यवाद !