अभी तक आपने पढ़ा -ऋचा की माँ ,''नितिका की आत्मा ''अपने पति के शरीर पर कब्ज़ा कर लेती है किन्तु ये बात ''भैरों बाबा ''को सही नहीं लगती ,उधर ऋचा ,उस स्थान को जलाकर नष्ट कर देती है, जिसके कारण ,''नितिका ''की शक्तियां बढ़ती जा रही थीं, किन्तु जैसे ही नितिका की आत्मा को ज्ञात होता है -कि ऋचा द्वारा ही उसकी आत्मा की मौत होगी यानि उसे मुक्ति मिल सकती है। इसके लिए उसको भी तो तैयार होना होगा। वो आत्मा ,ऋचा के शरीर पर ही कब्ज़ा कर लेती है ,अब बाबा को कुछ अनिष्ट की आशंका होती है और ऋचा के शरीर से ,उसे बाहर आने के लिए कहते हैं -किन्तु वो बाहर नहीं आती तब बाबा उस आत्मा पर अपने मंत्रों से प्रहार करते हैं जिसकी मार वो सहन नहीं कर पाती और विवश होकर बाहर आ जाती है। अब आगे -
वो बाहर आ गयी ,किन्तु उसके क्रोध की अग्नि ,उस वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा भर रही है ,किन्तु अभी ऋचा उस मार के कारण सम्भल नहीं पा रही है और वो इसी तरह ,बैठी रही ,उसके शरीर का पोर -पोर दुःख रहा है।किसी बाहरी आत्मा का अपने अंदर प्रवेश करना और उस ताकत के बाहर आने पर, उसको जो शरीरिक् दण्ड मिला उसके कारण अब ऋचा को कष्ट हो रहा था ।
तब उसके पापा ,बाबा से कहते हैं ,बाबा आपने ये क्या कर दिया ?मेरी बेटी में तो जैसे शक्ति नहीं रही।
बाबा बोले -किसी भी आत्मा का शरीर में प्रवेश होना, कोई आसान कार्य नहीं ,उसके बाहर आने से भी, शरीर को कष्ट तो होगा ही ,किन्तु कोई परेशानी की बात नहीं कुछ समय पश्चात ,ये सामान्य हो जाएगी।
अपनी ही बातों में ,वो इस तरह लीन थे कि उन्हें नितिका का स्मरण ही नहीं रहा ,वो उस स्थान से बाहर भी नहीं जा सकती थी ,तभी एकाएक ,ऋचा बहुत तेजी से हँसी और सीधी खड़ी हो गयी। अभी वो लोग कुछ करते या सम्भलते ,ऋचा ऊपर उड़ने लगी ,अब वो छत की ओर नहीं ,वरन खिड़की की ओर जा पहुंची थी और जोर -जोर से हंस रही थी। शायद उनकी लापरवाही पर ,या फिर अपनी होशियारी पर प्रसन्न हो रही थी जोर- जोर से ठहाके लगाकर हँस रही थी।
वो खिड़की से बाहर आ चुकी थी बाबा और उसके पापा ,उसके पीछे -पीछे थे किन्तु बाहर तो घुप्प अँधेरा था। बाबा को जिस बात का ड़र था ,वही हुआ ,वो नहीं चाहते थे कि नितिका की आत्मा उसे लेकर बाहर जाये ,इस तरह तो उसका मिलना कठिन हो जायेगा।
पता नहीं ,इस बच्ची को लेकर कहाँ जाएगी कहकर ऋचा के पापा ने अपना माथा पीट लिया।
नितिका की आत्मा भी प्रसन्न थी, कि जिसके द्वारा उसकी मुक्ति लिखी है ,आज वो ही मेरे कब्ज़े में है उसका बाप तो वैसे ही उसके ग़म में मर जायेगा।
तभी बाबा... फिर से अपने आसन पर बैठ गए और बोले -इस समय उसकी शक्तियाँ बहुत अधिक हैं ,किन्तु उसे ज्यादा दूर नही ले जा सकेगी और आँखें मूंदकर ,फिर से अपनी पूजा में लीन हो गए।
ध्यान में लीन ,उन्हें सुबह के चार बज गए ,ऋचा के पापा भी सो नहीं पाए वे बाबा के अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहे थे।
कुछ समय पश्चात बाबा ने अपनी आँखें खोलीं और बोले -चलो !
कहाँ ?????उन्होंने पूछा। इससे पहले ही बाबा, तेज गति से बाहर की तरफ निकल गए ,अमृत बेला थी ,चारों तरफ़ सुनसान था ,सड़कें भी सुनसान पड़ी थीं ,अभी कोई इक्का -दुक्का ही जाता दिख रहा था। बाबा और मैं आगे बढ़े जा रहे थे। बाबा अपनी भभूत से एक रेखा सी बनाते जा रहे थे। चलते -चलते बाबा ने किसी से पूछा -किधर है ?वो !!!!
उसने दाईं ओर इशारा किया ,बाबा चलते चले गए ,लगभग चलते हुए ,हमें एक घंटा हो गया था। वो इसीलिए भी बाबा से कुछ पूछ नहीं रहे थे ,कभी बाबा के ध्यान मंत्र में बाधा न पड़ जाये। चलते -चलते वे एक श्मशान की ओर बढ़ गए। श्मशान देखकर ,उनके होश उड़ने लगे ,और परेशान हो उठे ,अब तो उनसे रुका ही नहीं गया और बाबा से पूछ बैठे -बाबा मेरी बच्ची को कहीं उसने मार... इससे पहले कि वो अपना वाक्य पूर्ण कर पाते ,बाबा ने हाथ के इशारे से रोक दिया।
कुछ देर चलने के पश्चात ,बाबा एक स्थान पर रुके,वो तो किसी की खुदी हुई कब्र थी। जिसमें ऋचा लगभग बेहोश पड़ी थी। एक ही दिन में ,वो कितनी कमज़ोर और बेजान सी लगने लगी थी ?उसकी हालत देखकर उसके पापा को रोना आ गया और वो सीधे उस कब्र में उतर गए। अब तक तो ,सूर्य का प्रकाश भी फैलने लगा था। उन दोनों ने मिलकर ,ऋचा को उस कब्र में से निकाला। बाहर लाकर देखा तो ,उसका मुँह खून से सना हुआ था।
बाबा इसने तो...
हाँ ,इसके माध्यम से ''नितिका की आत्मा ''ने अपनी भूख मिटाई है ,जिसने हमारी सहायता की ,वो उसी तन की आत्मा थी बाबा ने बड़ी ही सहजता से कहा।
ऋचा के पापा उनकी बातों का मर्म समझकर ,वमन करने लगे। थोड़ा संभलकर बाबा से बोले -बाबा इसे डॉक्टर के पास ले जाना होगा। ऐसा लगता है ,जैसे- उसने इसका सम्पूर्ण रक़्त ही निचोड़ लिया हो।
बाबा बोले -वो इसका शरीर छोड़ेगी नहीं ,वो इस पर कब्ज़ा करने पुनः आएगी।
बाबा मेरी बच्ची न जाने, किन झंझटों में फंस गयी ?जब वो मेरे अंदर थी ,तभी उसे समाप्त करवा देना था।
उसके साथ -साथ तुम भी ,मर जाते।
मैं ,मर जाता तो कोई बात नहीं थी , जीने के लिए अब मेरी जिंदगी में बचा ही क्या है ?मेरी बच्ची इन परेशानियों में तो न फंसती ,वे भावुक होकर बोले।
बाबा उनकी परेशानी समझकर बोले -तुम तो चले जाते ,किन्तु तुम्हारी बच्ची ,तुम्हारे ही खून के इल्ज़ाम में जेल चली जाती।
कुछ न समझते हुए ,उन्होंने पूछा -वो कैसे ????
जब वो तुम्हें मारती ,तब नितिका को भी मुक्ति मिलती क्योंकि उसका उद्देश्य तुमसे अपना बदला लेना है ,किन्तु उसकी मुक्ति किसी को भी प्रत्यक्ष रूप में नहीं दिखती ,किन्तु तुम्हारा निर्जीव तन सभी को दिखलाई देता ,वो तन जिसकी ,अपनी बेटी ने ,हत्या कर दी। पुलिस प्रत्यक्ष ,प्रमाण देखती ,तुम्हारे खून के इल्ज़ाम में उसे गिरफ़्तार कर लेती। वो अनाथ बच्ची ,जिसके पापा उसके लिए ,त्याग कर रहे थे ,वो भी चेेन से नहीं रह पाती।
क्या नीतिका की आत्मा ऋचा पर फिर से कब्जा करने आयेगी ? भैरों बाबा कैसे उस आत्मा पर नियन्त्रण करेंगे ? नीतिका अपना बदला कैसे लेगी? जानने के लिए पढ़िये - बेचारी