अभी तक आपने पढ़ा , भैरों बाबा ऋचा और उसके पापा को एक ,तीन सौ साल पुरानी कहानी सुनाते हैं ,जो कादम्बिनी और भुवन की है ,इससे ये तो पता चल जाता है- कि नितिका और उसका पति पिछले जन्म में भी पति -पत्नि ही थे किन्तु ऋचा का उनसे क्या रिश्ता है ?उसके मन में उठ रहे ,सवालों का जबाब देते हैं। वो बताते हैं -कादम्बिनी को गांव से बाहर निकाल दिया जाता है किन्तु उस सजा से ,उसके ह्रदय में कोई परिवर्तन नहीं होता और वो गाँववालों से बदला लेने के लिए ,अपनी शक्तियाँ बढ़ाती है ,इसमें उसकी सहायता पास के गांव का एक ''तांत्रिक ''करता है। कादम्बिनी को अपनी शक्तियां बढ़ाने के लिए दस कन्याओं की बलि देनी है ,अब तक वो अपने ही गांव की आठ कन्याओं को पकड़ लेती है। अब आगे -
कादम्बिनी कन्याओं की तलाश में ,अपने ही गांव में भेष बदलकर घूम रही थी ,तभी उसकी नजर प्रधान की पोती पर गयी ,जो अभी कुछ दिनों पहले ही ,दसवें बरस में लगी है। कादम्बिनी मौका देखकर ,उस बच्ची के समीप गई किन्तु वो उसकी वेशभूषा देखकर ,डरकर भाग गयी। तब कादम्बिनी ने ,एक अन्य छोटी लड़की को जो लगभग छह या सात बरस की होगी। उसे कोई मीठी चीज देकर ,बहलाया और कहा -ऋचा को अपने साथ ले कर जंगल में खेलने आ जाओ !वहां और भी बहुत सी मिठाइयाँ हैं।
अबकि बार ऋचा मुस्कुरा दी और बोली -बाबा ,उस समय भी मेरा नाम ऋचा ही था ,नहीं ,इस समय तो तुम्हारा नाम मालिनी है ,ऋचा तो तुम्हारा नाम रखा गया है।
बाबा की बात सुनकर वो हतप्रभ रह गयी कि ये सब भी बाबा को मालूम है।
हाँ क्योंकि इसी नाम से तुम्हारा इतिहास जुड़ा है और इसी नाम वाली लड़की ही उस आत्मा का नाश करेगी।
क्या उस समय भी मैंने ,किसी आत्मा का नाश किया था ?
किसी का नहीं ,कादम्बिनी का नाश किया था।
वो कैसे ?उस समय तो ,मैं बहुत छोटी थी ,अभी आपने ही तो बतलाया।
हाँ ,तुम छोटी अवश्य थीं किन्तु बहादुर थीं ,तुम उस छोटी बच्ची के कहने पर जंगल के नजदीक तो चली गयीं किन्तु उसके अंदर नहीं गयी। तब कादम्बिनी , उसे ज़बरदस्ती जंगल की तरफ खींचने लगी। वो बेचारी..... लड़की रो रही थी और उसने अपने बचाव के लिए , एक पेड़ का तना पकड़ लिया। अभी दोनों में खिंचतान चल ही रही थी ,उसके रोने की आवाज भी तेज हो रही थी। किसी भी तरह कादम्बिनी उस लड़की को ,जल्द से जल्द उस जंगल के अंदर ले जाना चाह रही थी , लड़की गायब है , इससे पहले किसी को पता चले।उसके साथ जो बच्ची आई थी वो तो अपने आप ही ,मीठी गोली के लालच में चली गयी किन्तु ऋचा जाने के लिए तैयार नहीं थी। तभी उधर से गुजरते हुए ,एक व्यक्ति ने किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो वो उसी आवाज की दिशा में बढ़ चला।
गांव में पहले से ही ,बच्चियों के खोने की चर्चा हो रही थी- कि कौन है ?जो बच्चियों को ले जाता है। न ही उनका पता चलता है ,न ही उनकी कोई लाश ,ये भी पता नहीं चल रहा -कि उन्हें कोई जानवर ले जा रहा है या फिर इंसान। समझ नहीं आ रहा ,गांव की बच्चियाँ किधर जा रही हैं ?एक गांववाले को कादम्बिनी पर शक़ भी हुआ। उसे लग रहा था -जब से हमने कादम्बिनी को गांव से बाहर निकाला है ,तभी से बच्चियां गायब होनी आरम्भ हुई हैं। एक दिन सभी गाँव वालों को लेकर आया भी था किन्तु उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा।
ऐसा कैसे हो सकता है ?बिन किसी ठोस सबूत के ,कादम्बिनी पर भी अंगुली नहीं उठा सकते।
बाबा ! फिर बच्चे कहाँ जा रहे थे ?वो गांव वालों को क्यों नहीं मिले ?
क्योंकि कादम्बिनी ने ,वे बच्चे जंगल के दूसरे छोर पर एक गुफा में छिपा रखे थे और वहां उन्हें वो तांत्रिक देख रहा था ,जो कादम्बिनी की सहायता कर रहा था। जंगल के दूसरे छोर तक जाने का गाँव के लोगों के दिमाग में ही नहीं आया ,उन्हें लगा ,ये मामूली औरत जंगल के बीच में ही नहीं जा सकती जंगल के बीच में ही इतने जहरीले सांप ,बिच्छू और बड़े जानवर हैं ,वहां जाने की तो ,बड़े -से बड़ा भी हिम्मत नहीं कर पाता, तो ये कैसे जा सकती है ?
किन्तु वो गुफा तो उस तांत्रिक की शक्तियों का पुराना अड्डा था और अब तो कादम्बिनी भी उसके संग थी जो उसकी भी सहायता कर रही थी। कादम्बिनी का तो उद्देश्य मात्र ,अपने गांववालों को सबक सिखाना था , वो अपनी शक्तियाँ भी बढ़ाना चाहती थी। जब उस व्यक्ति ने ,बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो वो आवाज की दिशा में बढ़ा ,उसने देखा -कादम्बिनी ,एक बच्ची को जबरदस्ती खींचकर ले जाना चाहती है और वो बच्ची पेड़ के तने को पकड़कर, उससे छूटना चाहती है। किन्तु वो एक छोटी बच्ची और वो जवान महिला ,कब तक उसकी ताकत से लड़ती ?आख़िरकार उसके हाथ से वो पेड़ का तना छूट गया।
वो उस बालिका को लेकर नजदीक ही बने झोपड़े में चली गयी। वो व्यक्ति भी ,इसी प्रतीक्षा में था क्योंकि वो एक बच्ची को ही नहीं ,अन्य बच्चियों को भी बचाना चाहता था। वो भी उसके पीछे झोपड़े में गया किन्तु वहां उसे कोई नहीं दिखा।
ऐसा कैसे हो सकता ?वहां तो कोई भी नहीं है ,न ही वो औरत ,न ही वो बच्ची ,कहाँ जा सकती हैं ,उस झोपडी में एक चारपाई ,कुछ खाना बनाने के बर्तन ,कपड़े टांगने के लिए ,एक बड़ा सा मजबूत डंडा जो झूले की तरह लटक रहा था। उसने झोपड़ी का ठीक से मुआयना किया ,हो न हो इसी से कोई राह तो मिलेगी ,कुछ भी समझ नहीं आया ,कोई भी स्थान ऐसा नहीं लगा जिसे देखकर कहा जा सके कि ये रास्ता हो सकता है ,इसलिए तो गांववालों को भी ,कुछ नहीं मिला। किन्तु मैंने तो उस औरत को ,एक बच्ची से संग अंदर जाते देखा है। वो हताश सा एक ऊँचे से पत्थर पर बैठ गया जो शायद ऐसे ही रखा था। उस पर बैठते ही ,वो पत्थर अपने स्थान से खिसकने लगा। वो ड़र कर उठ गया ,अब वो पत्थर पुनः इसी तरह हो गया। अब उसने अपना पांव उस पर रखा ,पांव रखते ही ,उस पत्थर में फिर से हलचल हुई।
अब तो ,उसे एक रास्ता मिल ही गया उसने फिर से पत्थर पर ,एक पैर क्या दोनों पैर रखे और वो पत्थर धीरे -धीरे खिसकने लगा ,पत्थर खिसकता हुआ नीचे की तरफ गया और एक निश्चित जगह पर जाकर रुक गया। उसे सामने ही एक रास्ता दिखा ,वो उतर गया। उसके उतरते ही ,वो पत्थर वापस अपने उसी स्थान पर पहुंच गया।
अब वो व्यक्ति आगे बढ़ा ,वो शायद एक लम्बी सुरंग सी थी किन्तु उस सुरंग में अँधेरा नहीं था ,पता नही ,उसमें रौशनी किधर से आ रही थी ?वो आगे बढ़ता ही जा रहा था
क्या वो आदमी, उन बच्चियों तक पहुँच सका? क्या वो बच्चियों को सही- सलामत वापस ले आया या उसके साथ कोई दुर्घटना हो गयी? जानने के लिए पढ़ते रहिये -बेचारी