अभी तक आपने पढ़ा -ऋचा को उसके पिता किसी अस्पताल में भर्ती कर देते हैं ,किन्तु' नितिका की आत्मा 'उसे ढूंढते हुए ,वहां भी पहुंच जाती है और वो ,वहां के मुर्दों को भी ,खड़ा कर देती है। सभी को अपने संम्मोहन में ले लेती है या फिर जो भी नर्सें ,उसे और उन भूतों को देखती हैं ,भय से ,बेहोश हो जाती हैं। जब नितिका ,ऋचा को ,उसी के पलंग पर ,उसे अपाहिज़ जैसा बना देती है ,तभी एक व्यक्ति आता है ,जो अपनी शक्ति से नितिका की शक्ति को कमजोर बना देता है दूसरी तरफ से भैरों बाबा भी ,उस पर प्रहार करते हैं ,जब नितिका दोनों तरफ से ,उलझ जाती है और उसे भागने का भी समय नहीं मिल पाता ,तब वो अपने को बचाने के लिए ,फिर से ऋचा के पापा यानि अपने ही पति के शरीर में ,प्रवेश कर जाती है। अब आगे -
उसको संभालने के लिए दो ''वार्ड बॉय ''भी आते हैं किन्तु नितिका की शक्ति के सामने ,वो मामूली थे और वो उन्हें अपनी शक्ति दिखा देती है। दोनों को ,इतना जोर से हवा में ,उछालती है और फिर दीवार पर पटक देती है। अब तो वो अनजान व्यक्ति और बाबा दोनों ही ,अपने मंत्रों द्वारा उस पर वार करते हैं। उस प्रहार से बचने के लिए ,वो फिर से भागने का प्रयत्न करती है किन्तु वे दोनों वार्ड बॉय ,उसे पुनः पकड़ने की नाकाम कोशिश करते हैं। अब तो ,वो यंत्र भी ऋचा ने उठा लिया जिससे नितिका की रूह को शांत किया जा सकता था। वो बाहर आती है ,उसने अपने पिता की देह में ,अपनी माँ की आत्मा को देखा जो अपना आतंक फैला रही थी। तभी उन महाशय ने कहा -ऋचा ,इस पर प्रहार करो !
ऋचा ,अभी उन्हें खड़े हुए देख रही थी क्योंकि वो उसमें ,नितिका को नहीं अपने पिता को देख रही थी। वो कैसे अपने पिता पर प्रहार कर सकती है ?तभी बाबा भी बोले -ये तुम्हारे माता -पिता हैं ही नहीं ,ये तो तुम भी जानती हो ! इनकी किस्मत में ,औलाद का सुख है ही नहीं। यदि ये तुम्हारे पापा के साथ ही चली गयी तो पता नहीं ,क्या -क्या अनर्थ कर बैठेगी ?वो लोग अभी ऋचा को समझा ही रहे थे कि उसके पापा खिड़की से कूद गए। तभी दोनों बोले -तुमने ये क्या अनर्थ कर दिया ?
बाबा !आपने ही तो बताया था कि इससे पापा की जान को ,खतरा भी हो सकता है।
तभी वो अनजान व्यक्ति बोले -तब हम तुम्हारे पापा को बचा सकते थे ,जब उस आत्मा की मुक्ति होती तब उस जख़्म को भरा जा सकता था। मेरा बेटा ही ,इस अस्पताल का डॉक्टर है ,ये अस्पताल मैंने ही लोगों की सेवा के लिए खोला था किन्तु इसमें मरीज़ ठीक होते हैं तो मर भी जाते हैं। कई बार उनकी आत्मा इसी अस्पताल में भटकती दिखती ,उनकी शांति के लिए ,मैं ये पूजा -पाठ करता हूँ किन्तु कुछ आत्माएं ,तुम्हारी माँ की तरह ,अड़ियल और ज़िद्दी होती हैं ,उनका समाधान करना पड़ता है ,कहते हुए ,उन्होंने अपना परिचय दिया।
वो बोले ,जब इस बच्ची को लाया गया ,तभी मैं समझ गया था ,फिर भी कहीं , कुछ गड़बड़ है और बाबा को देखकर तो मैं ,समझ ही गया था। किन्तु मेरा बेटा ,डॉक्टर है ,वो इन बातों पर विश्वास नहीं करता ,वो कहता है -यदि इसी ,तरह लोग ठीक होने लगे तो ,फिर डॉक्टरों की क्या आवश्यकता ?सभी झाड़ -फूंक न कर लें। वो भी अपनी जगह सही है ,किन्तु ऐसी भी दुनिया है ,आत्माओं की दुनिया , उसका भी अस्तित्व है ,ये हम मानते हैं। तब बेटा अपना कार्य करता है ,मैं अपना। उस सूक्ष्म आत्मिक दुनिया का हमें अनुभव है। कई आत्माओं से मैं मिला हूँ। सभी आत्मायें ,हम इंसानों की तरह अलग -अलग स्वभाव की होती हैं। कुछ शांत ,कुछ बदले की भावना में जल रही होती हैं ,कुछ अपने मज़े के लिए दूसरों को परेशान करती हैं।
ख़ैर ,छोड़िये ,बहुत लम्बा हो जायेगा ,अब समय भी नहीं ,रहा। अब बस ये उम्मीद लगाइये- कि नितिका की आत्मा '' द्वारा किसी को हानि न पहुंचे। ऋचा भी स्वस्थ होकर ,अपने घर आ गई किन्तु उस घर में ,अपने पिता के बिना ,क्या करें ?वो तो पूर्णतः अनाथ हो गयी। उनकी कोई सूचना ,नहीं मिल रही थी। तब ऋचा बाबा से बोली -बाबा क्या चौबे दम्पत्ति को ,मुक्ति मिल गयी होगी ?
तब बाबा बोले -जब तक ,उनके पुत्र को मुक्ति नहीं मिलेगी ,तब तक उन्हें भी शांति नहीं मिल पाएगी।
बाबा ,उनके बेटे की तो कोई जानकारी ही नहीं है , कहाँ है ,किसने उसे मारा है ?
अब ये बात तो ,वही बता सकता है।
वो कैसे ?
अब मुझे ,उसे मुक्त करना होगा , एक पूजा द्वारा उसका पता लगाना होगा कि वो कहाँ है ?
बाबा ,आप सही ,कह रहे हैं ,जब तक पापा का पता नहीं चल जाता ,तब तक' प्रदीप चौबे ' का ही पता कर लेते हैं।
शाम को ,बाबा पूजा करने बैठ जाते हैं ,किन्तु वो आत्मा किसी से सम्पर्क साधना चाहती है ,बाबा ही ,सूक्ष्म रूप में ,उससे मिलते हैं।
तब वो आत्मा कहती है - मैं मुक्ति चाहता हूँ ,बाबा ने कहा -हम तुम्हें मुक्त ही कराने आये हैं किस प्रकार, तुम्हारी मुक्ति होगी ?मेरे मन में ,कुछ प्रश्न हैं ,उनका जबाब मिल जाने के पश्चात ,मेरा बेटा ही, मेरे सभी संस्कार ,विधि पूर्वक करेगा।
अगले दिन ,बाबा ने जिस जगह सूखे पेड़ -पौधे लगे थे। उधर ही ,उन पुलिस वालों के सामने ,खुदवाना आरम्भ किया ,तब ऋचा को उस दिन वाली बात भी स्मरण हो जाती है ,जब उसने इधर की सफाई करवाई थी और ये स्थान पुनः इसी तरह हो गया था और एक दिन ,जब उसने उस पेड़ की एक टहनी तोड़ी थी ,तब किसी कराहने की आवाज सुनी थी। इसका अर्थ है , प्रदीप चौबे को भी नितिका ने ही मारा और इसे यहाँ दफ़न कर दिया। हे.... भगवान !ये औरत कितनी गुनहगार है ?इसने तो इस घर का सर्वनाश ही कर दिया।
अभी धैर्य रखो ,सब तुम्हारे समक्ष ही हो रहा है , मालूम हो जायेगा।
उस स्थान से कुछ अस्थियां निकलीं ,जिनको उस' तांत्रिक पूजा 'में रखकर ,बाबा ने पुलिस के हवाले कर दीं। अब बाबा ने ''प्रदीप चौबे ''की आत्मा को ,अपने क़ातिल को ,पकड़वाने में सहायता करने के लिए , मुक्त कर दिया।
क्या ?''प्रदीप चौबे ''की आत्मा अपने वचन का मान रखेगी ,वो अपने गुनहगार को सजा स्वयं देगी या फिर उसे सार्वजनिक होना होगा। ये कातिल कौन है ?ढूंढने में सहायता कीजिये और पढ़ते रहिये बेचारी.....